विश्व आदिवासी दिवस; 20 से 25 हजार लोगों की हुंकार; वनवासी नहीं आदिवासी हैं हम…;हमारा हक दो सरकार..See Pics

0

नोट: इस वीडियो को देखने के बाद हमारे यूट्यूब चैनल को लाल कलर वाले सब्सक्राइब बटन को दबाए और घण्टी बजाना न भूले, इससे हमारी सारी सारी खबरे आपके पास आती रहेगी।

सलमान शैख़@ पेटलावद
अपने समाज के लिए कॉलेज खेल मैदान की ओर बढ़ते कदम। आदिवासी एकता जिंदाबाद के नारों की गूंज के बीच जोश से लबरेज हर शख्स। देखते ही देखते पाण्डाल जनमैदिनी से भर गया। हजारो हाथ उठे और हक को लेकर हुंकार भरी। कभी ढोल की थाप तो कभी समर्थन में तालियों की गडगड़ाहट ने उत्साह दुगुना कर दिया।
जी हां, कुछ इसी तरह से शुक्रवार को आदिवासी बाहुल्य इलाके जिले के पेटलावद में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी एकजुट हुए एवं सरकार को चेताने के साथ ही रणनीति भी स्पष्ट कर दी। संख्याबल दिखाने के साथ ही उन्होंने संदेश यह भी दिया कि जब तक हक नहीं मिलेगा, तब तक यह हुँकार थमने वाली नहीं है।सभा स्थल मार्ग पर सुबह से ही लोगों की भीड़ रही। वाहनों की रेलमपेल के साथ ही सभा स्थल तक जाते लोगों का रैला देख व्यवस्था में जुटे पुलिसकर्मियों के भी पसीने छूट गए। कई लोगों ने करीब तीन-चार किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय की, इसके बावजूद उनका जोश ठण्डा नहीं पड़ा। दोपहर 1 बजे तक मैदान पूरी तरह से भर चुका था, जिससे व्यवस्था में जुटे पुलिसकर्मियों ने सभा स्थल तक पहुंचने वाले मार्ग को दोनों ओर से बंद कर दिया और अन्यत्र मार्गो से वाहनों को रवाना किया गया।
कॉलेज मैदान में आयोजित हुई विशाल जनसभा-
कॉलेज मैदान पर मुख्य समारोह आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि विधायक, जपं अध्यक्ष, एसडीएम एमएल मालवीय ने यहां क्रांतिकारी टन्ट्या भील, राजा पूंजा भील, भगवान बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। जनसभा को जयस जिला प्रभारी कांतिलाल भाभर, जयस अध्यक्ष पेटलावद रोशनसिंह सिंगाड़, कलावती गेहलोत, पूर्व एसडीएम विष्णु कमलकर, आरटीओ नंदलाल गामड़, भील प्रदेश युवा मोर्चा धर्मेंद्र डामर, आकास जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र डामर ने संबोधित किया। सभी ने एक सूर में कहा कि हमारे अधिकारियों को दबाने का प्रयास कोई न करें। यदि ऐसा आगे से होता है तो हमारा संगठन उन्हें जवाब देगा। राजनीतिक लाभ के लिए संगठन का समर्थन नहीं करने की प्रवृत्ति वाले लोगों के लिए कहा गया कि कौम के ऐसे लोग सुधर जाएं, वरना उन्हें सुधार देंगे। पदाधिकारियों ने भाजपा-कांग्रेस के एजेंट के आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि हमें किसी पार्टी से कोई लेना-देना नही है। हम एजेंट हैं तो सिर्फ आदिवासियों के।
रैली नही रेला था-
वहीं रैली की विशालता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब आगे चल रहे लोग नगर के श्रद्धांजलि चौक पहुँच चुके थे, तब तक अंतिम सिरा मैदान में ही था। आदिवासी समाज के लोगों द्वारा विशाल व ऐतिहासिक रैली निकाली गयी। रैली का एक छोर गांधी चौक में नजर आ रहा था और एक छोर नया बस स्टैण्ड में था। आदिवासी समाज की पहली बार इतनी लंबी और ऐतिहासिक रैली निकली कि हर आते जाते लोग रैली को ही देखते रह गये। रैली में शामिल हर एक गले मे पिला गमछा पहने आदिवासी महिला पुरूष यह कहते हुए नारे लगा रहे थे कि हम वनवासी नहीं आदिवासी हैं। इस देश के मूल निवासी हैं। जो जमीन सरकारी है वह जमीन हमारी कहते हुए पूरे शहर में भ्रमण किया।
गूंजे ढोल धमाके, बारिश भी नही बिगाड़ सकी सभी को जोश-
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर शहर के कॉलेज मैदान में आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सुबह दस बजे से ही पेटलावद क्षेत्र के सभी ग्रामीण अंचलों से वाहनों से लोग पहुंचना शुरू हो गए थे। बसे खचाखच भरी दिखी। युवा व बुजुर्ग ढोल-ढमाकों के साथ गली-गली, हर बाजार, आदिवासी हुंकार…लेकर रहेंगे अपने अधिकार, एक तीर-एक कमान, आदिवासी एक समान, हर किसी का यह नारा है भारत देश हमारा है..,नहीं सहेंगे अब अत्याचार.. जैसे नारे लगाते सभास्थल पहुंच रहे थे। वहीं दूसरी ओर बारिश भी समाजजनो के जोश के आगे फिकी दिखी। रिमझिम बारिश के बीच भी सभी समाजजन यहां इकठ्ठा हुए और एक महारैली का आयोजन हुआ।
हर कोई ड्रैसकोड में आया नजर-
इस दौरान समाज के युवक-युवतियां अपनी पारंपरिक वेशभूषा में अपने अलग-अलग ड्रैसकोड में नजर आया। पुरूषों ने लाल और केसरिया रंग की पगड़ी और सफेद धोती पहनकर हाथ मे तीर कमान, धारिया, फलिया ओर लठ्ठ लेकर चल रहे थे। मुख्य चौराहो पर कई सामाजिक संगठनों सहित राजनीतिक पार्टियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत भी किया। इस पूरे आयोज में करीब 20 हजार लोग शामिल हुए, जिसमे महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल थे। आयोजन को लेकर जयस, अजाक्स, आकास, एससीएस, भील प्रदेश विद्यार्थी, जयस नारीशक्ति, भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, भील प्रदेश युवा मोर्चा सहित आदिवासी समाज के कई युवा पिछले कई दिनों से तैयारी कर रहे थे, कि अधिक से अधिक संख्या में समाज के लोग एकत्रित हो, जो एक सफल कार्यक्रम और अभी तक के इतिहास में दूसरी बार सबसे बड़ा और विहंगम कार्यक्रम उभरा। इस ऐतिहासिक रैली की सबसे खास बात यह रही कि रैली में शामिल सभी समाजजन साफ, सुथरे वस्त्र धारण किए हुए थे साथ ही वे स्वप्रेरित अंदाज में आत्मविश्वास के साथ अनुशासित तरीके से चल रहे थे।
नेताओ के छुटे पसीने-
इस कार्यक्रम में पूरे तामझाम के साथ आदिवासी समुदाय के लोग एकत्रित हुए हैं, उससे भविष्य में लोग इसके अपने-अपने स्तर पर राजनैतिक संकेतों का अनुमान लगाने में जुट गये हैं। आदिवासी समुदाय की इस विशाल रैली के बाद आगामी कुछ माह में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दावेदारों की साँसें फूलती भी दिखीं। इसका कारण यह था कि आदिवासीयो के द्वारा अब अपनी सक्रियता बढ़ाना आरंभ कर दिया गया है। इस लिहाज से भाजपा और कांग्रेस का यह वोट बैंक विधान सभा चुनावों में काफी हद तक असरकारक भी हो सकता है।
प्रशासन भी रहा चौकन्ना, इनकी रही अहम भूमिका-
इस पूरे आयोजन में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों ने भी अपनी पैनी नजर बनाए रखी। कार्यक्रम स्थल से लेकर रैली की सम्पूर्ण वीडियोग्राफी की गई, ताकि कोई वाद-विवाद की स्थिति निर्मित न होने पाए। एसडीएम एमएल मालवीय, एसडीओपी श्रीमती बबिता बामनिया, टीआई दिनेश शर्मा, तहसीलदार मुकेश काशिव, नायब तहसीलदार श्री नायक सहित प्रशासनिक अमला पूरे समय सुरक्षा व्यवस्था में डटकर मौजूद रहा। इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में भील प्रदेश मप्र के संयोजक दिलीप वसुनिया, छात्र संगठन संरक्षक पवन खराड़ी, दीपक ताड़, लालसिंह डामर, सुरेश भाभर, मुकेश गुंडिया, कपिल डामर, हिम्मत डामर, सुनील मचार, अमरसिंह वसुनिया, ईश्वर गरवाल, कांतिलाल गरवाल, दशरथ बारिया, बद्रीलाल खडिय़ा, मावजी भूरिया, सचि गामड़, विकास बारिया, लालू सिंगाड़, राजेंद्र डोडियार, भागीरथ कटारा, गोपाल कटारा, श्रीलाल मचार व अजाक्स के केरमसिंह चौहान, विजय बारिया, मोतीलाल गामड़, नानुराम गामड़, सुखराम कतीजा, रमेश निनामा, संतोष डिंडोर, डॉ. मनीष सोलंकी, डॉ. सुरेश कटारा, डॉ. एमएल चोपड़ा, भेरूसिंह मैड़ा, देवेंद्र डावर, कलमेश ताड़, कालूसिंह सोलंकी सहित गोपाल कटारा, कांतिलाल गरवाल, ईश्वर गरवाल , सुनील मचार, विजय गामड़ आदि की सराहनीय और अहम भूमिका रही। संचालन अजाक्स अध्यक्ष कैलश वसुनिया ने किया। आभार आदिवासी छात्र संगठन संरक्षक पवन खराड़ी ने माना।

Leave A Reply

Your email address will not be published.