झाबुआ। पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने गुरूवार को सुबह एक नल कनेक्शन का वाॅल्व लिकेज होने से काफी देर तक पानी सड़क पर बहता रहा। जिसके कारण यहां से राहगीरों सहित वाहन चालकों को दिक्कते आई, लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि शहर में वर्तमान में प्रमुख मार्गों सहित काॅलोनियों एवं गली-मोहल्लों में भी जब भी पीएचई विभाग द्वारा जलप्रदाय किया जाता है, तो पानी प्रदाय वाॅल्व लिकेज होने या नल कनेक्शन डेमेज होने से पानी सड़क पर व्यर्थ बहता रहता है, लेकिन विभाग द्वार इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। एक तरफ अनास नदी में पानी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए आगामी दिनों में जलसंकट गहराने के आसार दिखाई दे रहे है वहीं पीएचई विभाग की लापरवाही से अक्सर लिकेज वाॅल्व, फूटी पाइप लाइनों एवं नल कनेक्शनों से व्यर्थ काफी गैलन पानी बहता देखा जाता है।
आयोजित की गई थी कार्यशाला:
हाल ही में कुछ दिनों जल संसाधन विभाग झाबुआ द्वारा ‘हमारा जल हमारा जीवन’ पर कार्यशाला का आयोजन कर जल की महत्वता, स्थिति, बचाव के उपाय आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते आज भी जल का व्यर्थ अपव्यय होने के नजारे दिखाई पड़ जाते है, इसके लिए काफी हद तक प्रशासन के साथ आम नागरिक भी जिम्मेदार है, जो जब जल प्रदाय होता है तो वे अपने उपयोग के लिए पानी भरने के बाद नल पर टोटी लगाने की बजाए पानी को व्यर्थ में बहने देते है।
काफी देर तक बहता रहा पानी:
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने सुबह लगभग 11 बजे व्यर्थ बहते कीमती पानी की नजारा देखने को मिला। इस समय पर ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अधिकारी-कर्मचारियों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन किसी ने इसकी शिकायत पीएचई विभाग को कर लिकेज या पाईप लाईन को दुरुस्त करवाने की जहमत नहीं उठाई। यदि अपनी जवाबदारी को समझने वाले अधिकारी-कर्मचारी ही इस तरह की लापरवाही बरतेंगे या देखकर भी अनजान बनेंगे, तो आम लोगों से उम्मीद् क्या की जा सकती है ?
गड्ढ़़े में जमा हुआ पानी:
यह पानी व्यर्थ बहता हुआ कार्यालय के सामने से गुजर रहे हाईवे मार्ग की सड़क पर आ गया एवं एक बड़े गड्ढ़े में भी जमा हो गया। जिसके कारण यहां से गुजरने वाले राहगीरों सहित वाहन चालकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। पीएचई विभाग को चाहिए कि वह इस ओर ध्यान देने के साथ ही शहर में जगह-जगह लिकेज वाल्व, क्षतिग्रस्त नल कनेक्शन को दुरस्त करवाए, ताकि अमूल्य पानी का अपव्यय ना हो।