राम शरणम साधना सत्संग भवन के उद्घाटन का ऐतिहासिक आयोजन; हजारो राम भक्तों ने ली राम नाम की दीक्षा

May

 राज सरतालिया@पारा

राम शरणम समिति द्वारा नगर में नव निर्मित साधना सत्संग भवन के उद्घाटन समारोह के उपलक्ष्य में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। हजारो रामभक्तों ने पारा के रातिमालि स्थित श्री अम्बेमाता मंदिर परिसर में राम नाम की दीक्षा ली। क्षेत्र प्रमुख नीलेश कटारा ने जानकारी देते बताया कि आयोजन के लिए दिल्ली से विशेष रूप से पधारे राम बाबू एवं मोटवानीजी की देख रेख में हुए इस शानदार आयोजन में पारा क्षेत्र के हजारो राम भक्तों ने भागीदारी कर आयोजन को अभूतपूर्व रूप से सफल बनाया है।
बुधवार अल सुबह से शुरू हुए इस कार्यक्रम के पहले दिन साधना सत्संग भवन परिसर में सुबह 7 बजे से सायं 7 बजे तक का अखण्ड जाप किया गया जिसमें सैकड़ों भक्तों ने लाभ लिया। इसी दिन करीब 12 बजे से श्री गणेश पूजन एवं नवचंडी हवन में राम भक्तों ने आहुतियां दी।

हजारो राम भक्तों ने ली राम नाम की दीक्षा

गुरुवार सुबह हवन की पूर्णाहुति हुई। प्रवचन के बाद दिन में करीब साढ़े ग्यारह बजे से राम नाम की दीक्षा का कार्यक्रम शुरू हुआ।
3 शिफ्ट में हुई दीक्षा में 3776 लोगो ने राम नाम की दीक्षा ली जिसमे 2290 पुरुष और 1486 महिला थी। वहीं 6 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मां अम्बे के दर्शन कर भोजन प्रसादी ग्रहण की।

पुलिस ने की चाक चौबंद व्यवस्था

आयोजन के लिए पारा पुलिस चौकी प्रभारी रमेश कोली, थाना प्रभारी राणापुर दिनेश सिंह चौहान, ए एस आई लोकेंद्र खेड़े, ए एस आई गुप्ता राणापुर आदि विशेष रूप से तैनात थे।
क्षेत्र प्रमुख नीलेश कटारा ने बताया कि नगर में पहली बार हुए इतने बड़े आयोजन को सफल बनाने में झाबुआ से आये वरिष्ठ साधक आंनद विजय सिंह सक्तावत, संगठन महामंत्री विजय राठौर तथा पारा के अध्यक्ष नितिन राठौड़, सचिन सोनी, सेकु रावत, धर्मेंद्र राठौड़, नगरसिंह जमरा, भूरसिंह गाड़रिया, पंकज भटेवरा, तरुण चौधरी, रितेश राठौड़, गोपाल खराड़ी, लोकेश सोनी, जोगेंद्र सिंह राठौड़, दिलीप डोडवा, पानसिंह डोडवा, मुलेश मोरी, मगन सोलंकी, अनिल मामा, किशन प्रजापत, मदन जमरा, दिलीप बारिया, फतेसिंह भूरिया, केशरसिंह चौहान, ठाकुर देवड़ा, वेस्ता भाई, जामसिंह मंत्री, दुलेसिंह गाडरिया, थानसिंह डोडवा, रणछोड़ राठौड़, मांगीलाल पांचाल, मुकेश पांचाल, राकेश राठौड़, बिंदु बाला राठौड़, लक्ष्मी चौधरी, अंगूर बाला जमरा, मोना गिडवानी झाबुआ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।