यह रहे वह 5 कारण जिसके आधार पर प्रदेश आलाकमान ने ” मनोहर सेठिया ” को दी जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी

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चंद्रभान सिंह भदोरिया (चीफ एडीटर झाबुआ Live ) 

मनोहर सेठिया BJP के जिलाध्यक्ष बनाऐ गये है सवाल यह है कि आखिर ” सेठिया ” को ही इस पद के लिऐ आलाकमान ने क्यो चुना ? आइये इन 5 कारणो के जरिऐ समझते है कि इसलिए सेठिया को चुना गया ।

1)- दो बार जिलाध्यक्ष का अनुभव
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दो बार अविभाजित झाबुआ जिले के जिलाध्यक्ष रह चुके है मतलब उस समय अलीराजपुर जिला भी शामिल था ओर तीन की जगह 5 विधायक थे मगर सेठिया ने अपने काय॔काल सफलतापूर्वक पूरे किये थे ।

 

2)- नगर परिषद राणापुर की जीत का मिला लाभ
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विगत 6 महीने पहले हुऐ नगर परिषद राणापुर के चुनाव मे जीतना बीजेपी के लिऐ बडी चुनोती थी क्योकि कैलास डामोर कांग्रेस उम्मीदवार के रुप मे बेहद लोकप्रिय थे खुद बीजेपी को लगता था कि कैलास को हराना नामुमकिन है लेकिन ऐसे मे पार्टी ने मनोहर सेठिया को प्रभारी बनाया ओर सेठिया ने अपनी रणनीति से कांग्रेस के इस किले को धराशायी किया । तब से संगठन की नजर मे सेठिया का कद बढ गया था ।

 

3)- विकल्प ना होना
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मनोहर सेठिया को जिलाध्यक्ष बनाने के पीछे एक बडी वजह यह भी है कि दोलत भावसार को हटाना था ओर कमान एक ऐसे शख्स को सोंपनी थी जिस पर पूरी तरह से ” राजगढ नाका ” लाबी का टैग ना लगा हो .. यह सेठिया की राजनीतिक कुशलता थी कि कुछ सालो मे वह राजगढ नाके के साथ होते हुऐ भी थोडा अलग नजर आने लगे थे एक स्वतंत्र इकाई के रुप मे । राजगढ नाका लाबी की ओर से भी दोलत भावसार को हटाना महत्वपूर्ण था बने कोन इस पर ज्यादा दिक्कत नही थी ।

 

4)- आगामी विधानसभा & लोकसभा चुनाव
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करीब 6 महीने बाद विधानसभा के ओर 1 साल बाद लोकसभा के चुनाव होने है संभव है लोकसभा & विधानसभा चुनाव भी नवंबर मे एक साथ ही हो जाये ऐसे मे जिला संगठन मे चुनावी राजनीति के अनुभवी शख्स की जरुरत थी जो सेठिया के रुप मे पूरी हुई ।

 

5)- आलाकमान से संबध बनाने मे कामयाब रहे
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मनोहर सेठिया ने इस बार कुशल रणनीति के तहत संगठन मे बडे पदो पर बैठै जिम्मेदारो से सीधे संवाद कर संबध बनाऐ .. साथ ही रणनीति पूर्वक विधायको से कहलवाया गया कि पार्टी बचाने के लिऐ दोलत भावसार को हटाया जाये भले ही किसी को बनाया जाये । रणनीति कामयाब रही विधायको ओर शिकायत कर्ताओ ने प्रदेश आलाकमान को चेताया वही सेठिया खुद को विकल्प के रुप मे पेश करने मे कामयाब रहे ।

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