“मंत्र शक्ति से बड़ी संसार में कोई शक्ति नहीं है”

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झाबुआ, एजेंसीः संसार के समस्त व्यवहारों की सफलता का सारभूत व्यक्ति द्वारा बोली गई वाणी होती है। वाणी से ही मनुष्य पूरे संसार को अपना मित्र बना लेता है और वाणी से ही व्यक्ति संसार को अपना शत्रु भी बना लेता है। सारे संसार में यदि आज सबसे शक्तिमान कोई चीज है तो वह है अपनी वाणी। अपनी वाणी और अपना व्यवहार, इसलिए मनुष्य कोे सदैव समधुर, अच्छी एवं सच्ची बात करनी चाहिए तथा अच्छी वाणी बोलनी चाहिए और सुननी चाहिए।

उक्त सारगर्भित प्रवचन देते हुए परम् पूज्य मुनिराज श्री पुंडरिकरत्न विजयजी मसा ने कहा कि प्रत्येक मानव की सफलता और असफलता उसके द्वारा प्रकट किए गए विचारों के आधार पर ही प्राप्त होती है। आपने मंत्र शक्ति को विश्व की अद्भुत एवं अलौलिक शक्ति बताते हुए कहा कि मंत्रों में बहुत ताकत और बहुल शक्ति होती है कि वह सारे जगत की सफलताओं को अर्जित कर सकता है। सारी व्याधियों को दूर कर सकता है एवं अपने आत्म बल को मजबूत बना सकता है।

दो प्रकार के मंत्रों के किए जाते है जाप:

मंत्रों के संबंध मंत्रों आपने बताया कि दो प्रकार के मंत्रों के जाप किए जाते है। पहला बीज मंत्र और दूसरा नाम मंत्र। बीज मंत्र के अंतर्गत ‘ऊॅं रिम श्रिम एं तथा अरहं के जाप किए जाते है, जिसमें ऊॅं मंत्र के जाप से तनाव मुक्ति होती है। रिम मंत्र के जाप से शक्ति प्राप्त होती है एवं निराषा तथा हताषा दूर होती है। एं मंत्र के जाप से विद्या की प्राप्ति होती है तथा श्रिम मंत्र के जाप से लक्ष्मी प्राप्त होती है। अरहं मंत्र के जाप से आत्मा का कल्याण होता है। आपने कहा कि नाम मंत्र के जाप में परामात्मा का, देवी शक्ति का तथा नमस्कार महामंत्र का जाप किया जाता है। जिसमें जिस शक्ति का हम मंत्र जाप करते है। वह शक्ति हमारी सहाय बनती है।

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मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए:

आपने यह भी बताया कि मंत्रों का जाप करने वाला या मंत्रों का जाप सुनने वाले के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उसे मंत्रों के शब्दों के अर्थ का ज्ञान हो, मात्र मंत्र श्रवण करने से ही वह अपना कार्य करते है एवं इसके माध्यम से कई रोग दूर होते है, कई तरह की व्याधियों का नाष हो जाता है, इसलिए प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन कुछ समय निकालकर अपने ईष्ट देव या बीज मंत्रों का अवश्य जाप करना ही चाहिए। जिससे उसके आत्म बल एवं आत्म जीववीषा में सदैव शक्ति का संचार होता रहे। इसके पूर्व वरिष्ठ श्रावक ओएल जैन द्वारा गुरूवंदन की विधि संपन्न करवाई गई।

चैवीसी का हुआ आयोजन:

कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री संघ उपाध्यक्ष यषवंत भंडारी ने बताया कि पूज्य मुनिराज हिमवंत विजयजी मसा के 42वीं ओलीजी पूर्ण होने के उपलक्ष में आज दोपहर में चैवीसी का आयोजन रखा गया एवं प्रभावना का लाभ श्रीमती बिंदु भंडारी एवं श्वेता भंडारी द्वारा लिया गया। आपने कहा कि नव वर्ष के उपलक्ष में परम् पूज्य मुनिराज श्री धर्मघोषविजयजी मसा के 22वें दीक्षा दिवस के उपलक्ष में प्रवचन के साथ संयम, उपकरण, वंदना का अभिनव आयोजन पृज्य मसाजी की निश्रा में होगा। वहीं पर 2 जनवरी 2015 को श्रीमती बिंदु भंडारी एवं कमलाबेन मुथा की नव्वाणु यात्रा के पूर्ण होने के उपलक्ष में श्री सिद्धाचल नव्वाणु प्रकार की पूजन का आयोजन भी पूज्य मुनिराज धर्मघोषविजयजी मसा, महाविधेह विजयजी, हिमवंत विजयजी एवं कार्तिक विजयजी तथा साध्वीजी श्री जिनेन्द्रप्रभा श्रीजी, श्री मैत्रीपूर्णा श्रीजी, श्री पूर्णधर्माश्रीजी तथा श्री आत्मदर्षनाश्रीजी मसा की पावन निश्रा में संपन्न होगा।

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