भागवत कथा में बह रही भक्ति की बयार, सनातन धर्म जोडऩा सिखाता है सेक्यूलरवाद तोडऩा : रघुवीरदाज महाराज

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
राधा कृष्ण मंदिर पर भागवत कथा में धर्र्म बयार बह रही है। परम गौ भक्त रघुवर दासजी महाराज तलवाड़ा राजस्थान पिटोल में भागवत कथा का व्याख्यान अत्यंत सरल तरीके से श्रद्धालुओं को कर रहे हैं। उनके द्वारा धर्म के माध्यम से जीवन को किस प्रकार सार्थक किया जाए प्रभु मिलन कैसे हो ऐसा गुणगान किया जा रहा है उन्होंने बताया कि आज की परिवेश में आज की परिस्थिति में कैसे धर्म को धर्म के माध्यम से जिया जा सके। वे कहते है कि सनातन धर्म जोडऩा सिखाता है, सेक्यूलरवाद तोडऩा। आज की परिस्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानव ने अपनी मानवता छोडक़र दानवता का दामन पकडऩे का दृढ संकल्प कर लिया है। एक शरीर के विभिन्न अंग हाथ-पांव-मुख आदि अलग रहते हुए भी एक है ऐसा मानकर ही सनातन धर्म रूपी शरीर को सक्रिय कर रखा है। आज का सेक्यूलरवाद जिसने की हिन्दू धर्म को ही नही अपितु पूरी मानवता को कलंकित किया है। हिन्दू समाज जिसने कभी भी अपने ही अंग जिसको ही शुद्र कहा जाता है उनके मन कभी वैमनस्यता पैदा नहीं की परंतु आज उनको दलित कहकर उनका अपमान किया जा रहा है। तलवाड़ा राजस्थान से पधारे गौ संत रघुवीर दासजी ने कहा कि हमारे वेदों में पुराणों में कभी भी दलित शब्द का उपयोग नहीं हुआ है। दलित का अर्थ जिसका दलन किया जाए और भगवान के रहते सभी मनुष्य का भूमि, जल, आकाश, वायु पर समान अधिकार है। हमारे धर्म मे ब्राम्हणो को मुख, क्षत्रिय को भुजा, वैश्य को जांघ और शुद्र को चरण माना गया है जिस प्रकार बिना मुख से बोलना संभव नहीं है वही बिना चरणों के गति संभव नही है। आज के सेक्युलर लोग कहते है कि जाति वर्ग व्यवस्था से भेदभाव होता है तो इसको समाप्त करना चाहिए, परंतु हमारे धर्म मे यह वर्ण व्यवस्था भेदभाव के लिये नही अपितु समाज के सक्रिय संचालन के लिए किया गया है यहां तक के हमारे शरीर के सभी अंग भी समान नही है उनमें भी हाथ, पांव, मुख आदि सबका अपना कार्य है और उसके अनुसार उनका व्यावहार है। ऐसा ही सनातन धर्म मे अलग अलग जातियों की व्यवस्था समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिये की गई है। लेकिन आज कल सत्ता की लालच में समाज को विभाजित ही नही अपितु तोड़-मरोड़ दिया है जिस तरह की स्थिति वर्तमान में देश मे है उससे तो भारत इस आग में झुलसता जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी इन तथा कथित सेक्यूलरवादियों पर होगी। कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। कथा का श्रवण करने भक्त बड़ी संख्या में मंदिर पहुच रहे है।

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