भगोरिया के लिए लौटी थी घर, स्वाइन फ्लू के रूप में मिल गई मौत

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झाबुआ ”आजतक” डेस्कः अचंल में स्वाइन फ्लू की एक संदिग्ध मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई। 26 वर्षीय यह महिला इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थी, जहां शनिवार रात को उसकी मौत हो गई।

यह महिला खेड़ा की रहने वाली है और अपने परिवार के साथ गुजरात के बडौदा में काम करती थी। अभी भगोरिया होने की वजह से वह घर लौटी थी। हालांकि, यहां आने के बाद से उसकी तबीयत खराब थी और उसे 27 फरवरी को सरकारी अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती कराया गया था।

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स्वाइन फ्लूः लक्षण और बचाव के तरीके, साथ ही कौन रहे इस जानलेवा बीमारी से सावधान:

स्वाइन फ्लू सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कई स्वाइन इंफ्लुएंजा वायरसों में से एक से फैलता है। आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है। ये बलगम और छींक के सहारे मनुष्य से मनुष्य में फैलती है।

शुरुआती लक्षण:

नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।
सिर में भयानक दर्द।
कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।
उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।
गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।

स्वाइन फ्लू से बचने के नुस्खे:

  • जीवनीय शक्तिवर्धक हल्दी, तुलसी, नीम, गिलोय, फुदीना, आंवला, ग्वारपाठा, लहसुन, अदरख इत्यादि का सेवन प्रतिदिन करें।
  • रोग नाशक द्रव्य के रूप में सुदर्शन क्वाथ या उनकी वटी/चूर्ण, भारंग्यादि क्वाथ, संशमनी वटी, गिलोय की वटी/चूर्ण/क्वाथ का सेवन करें।
  • पाचनतंत्र को स्वस्थ रखने के लिए हल्का, गर्म, ताजा भोजन ही लें।
  • सूप, नींबू रस, आंवला रस, मोसम्बी के रस, हल्दी वाला दूध और ज्यादा पानी का सेवन करें।
  • नियमित प्राणायाम करें।
  • गुग्गुल, काली मिर्च, गाय का शुद्ध घी, कपूर और शक्कर मिश्रित कर सेवन अवश्य करें।
  • पर्याप्त मात्र में नींद लें।
  • तनावग्रस्त न रहें, प्रफुल्लित और प्रसन्न रहें।
  • जीवनी शक्ति/इम्युनिटी पावर बढ़े, ऐसे सभी प्रयास करें।

यह रहें सावधान:

5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं। जिन लोगों को निम्न में से कोई बीमारी है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए :

  1. फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी
  2. मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी मसलन, पर्किंसन
  3. कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग
  4. डायबीटीजं
  5. ऐसे लोग जिन्हें पिछले 3 साल में कभी भी अस्थमा की शिकायत रही हो या अभी भी हो। ऐसे लोगों को फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  6. गर्भवती महिलाओं का प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) शरीर में होने वाले हॉरमोन संबंधी बदलावों के कारण कमजोर होता है। खासतौर पर गर्भावस्था के तीसरे चरण यानी 27वें से 40वें सप्ताह के बीच उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।