राज सरतलिया, पारा
नगर के सबसे पुराने धार्मिक संगठन रामायण मण्डल ने बसंत पंचमी के अवसर पर पहली बार चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन स्थानीय सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में किया । प्रतियोगिता में 25 वर्ष तक के बच्चों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। सर्वप्रथम अतिथि लाखनसिंह राजपूत, अमृत राठौड़, रविन्द्र कदम, वालसिंह मसानिया ने माँ सरस्वती के चित्र पर धूप – दीप कर माल्यार्पण किया। प्रतियोगिता में प्रथम रही सुविधि छाजेड़ ने सरस्वती माता का सुंदर चित्र बनाया । वहीं दूसरे स्थान पर रही मोहिनी नागर ने अपनी चित्रकारी में छोटे गांव का स्वरूप बनाया। प्रतियोगिता में गणेशजी की बेहतरीन चित्रकारी पर प्रयाग राठौड़ को तृतीय पुरस्कार दिया गया वहीं अक्षय चौहान द्वारा बनाये गए गोपाल कृष्ण के चित्र ने सबको मोहित कर लिया तथा उसे मण्डल की ओर से विशेष पुरस्कार स्वरूप 500 रुपये दिए गए। प्रतियोगिता में प्रथम विजेता को एक हजार, द्वितीय को 500 तथा तृतीय को 250 रुपये की नगद राशि दी गई। इसके अलावा सभी बच्चों को सांत्वना पुरस्कार भी दिए गए।
आज ही बदलती है प्रकृति अपना रंग
प्रतियोगिता में अतिथि के रूप में आये लाखनसिंह राजपूत ने अपने उद्बोधन में कहा कि पतझड़ के बाद आज से ही प्रकृति अपना रंग बदलती है और आज से ही बसन्त ऋतु का आगमन होता है। अमृत राठौड़ ने कहा कि बसन्त पंचमी को ही माँ शारदा का प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है । सभी बच्चों को अपनी शिक्षा ग्रहण करने के पूर्व माँ सरस्वती का ध्यान करना चाहिए। वालसिंह मसानिया ने कहा कि सरस्वती माता न केवल ज्ञान की देवी है बल्कि वो कला के हर क्षेत्र की देवी भी है। कार्यक्रम में रामायण मण्डल के नरेंद्र सोलंकी, राजा सरतालिया, यश चौधरी, गोलू सोनी, पलाश कोठारी, शुभम सोनी, शिवम पंचाल आदि का सराहनीय सहयोग रहा। संचालन अंकित चौहान ने किया। अंत मे अतिथियों एवं बच्चों ने सरस्वती पूजन भी की सभी अतिथियों और बच्चो का आभार व्यक्त चेतन सिंह राजपूत ने किया
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