पुलिस हलचल : DIG बन गए – अब 4 महीने से पोस्टिंग का इंतजार

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झाबुआ। धार ओर खंडवा के SP को विगत 4 महीने पहले शासन ने पदोन्नत कर DIG तो बना दिया लेकिन दोनों ही अफसरों को अपनी नयी पोस्टिंग का इंतजार है ..अभी दोनों अधिकारी sp की भूमिका ही निभा रहे हैं .. सवाल उठ रहा है क्या सरकार DIG बनाकर पोस्टिंग करना भूल गयी है !!

अब धार SP कौन बनेगा ?

धार के SP मनोज कुमार सिंह साहब अब DIG हो गये है ..भले सरकार उनकी पोस्टिंग करना हाल फिलहाल भूली बैठी है लेकिन जल्दी ही पोस्टिंग करना तो पड़ेगी ..ऐसे में खाली हो रही धार SP की सीट पर किसकी पोस्टिंग होगी ! यह सवाल पुलिस गलियारों में तैर रहा है .. चर्चाओं में झाबुआ SP पद्म विलोचन शुक्ल , अनुराग जवानिया.. आलीराजपुर SP राजेश व्यास के साथ कुछ अन्य नाम भी है ..अब इनमें से CM जिस नाम पर मुहर लगा देंगे ..वहीं धार की सीट संभालेगा !!

जोबट – थांदला SDOP Exchange होंगे!!

चर्चा है कि जल्दी ही DSP की लिस्ट भी सामने आयेगी जिसमें 3 साल पूरे कर चुके अफसरों को इधर से उधर किया जायेगा .. आलीराजपुर जिले के जोबट SDOP नीरज नामदेव और झाबुआ जिले के थांदला SDOP रविंद्र राठी का 3 साल का कार्यकाल पुरा हो चुका है ऐसे में दोनों अपनी सीट Exchange करने का मन रखते हैं और इस मन पर अगर PHQ की मुहर लग गयी तो नामदेव थांदला और राठी जोबट SDOP होंगे ..आपको बता दें कि जोबट SDOP नीरज नामदेव की पत्नी झाबुआ की जिला परिवहन अधिकारी हैं .. और दोनों अब एक जिले में हो जायेंगे

हे ..मुबारक ..खाकी पहनकर यह क्या कर डाला

झाबुआ कोतवाली पर पदस्थ कांस्टेबल मुबारक को SP झाबुआ ने संस्पैंड कर एफआईआर दर्ज कर खंडवा भेज दी है .. दरअसल मुबारक ने खंडवा पोस्टिंग के दौरान खुद को अनिल सोलंकी बताकर एक महिला से कथित शादी संबंध बनाकर उसे गर्भवती कर दिया ..ओर यह बात छिपाकर की वह शादीशुदा ओर दो बच्चों का बाप है ..मामला सोशल मीडिया से उजागर हो गया ओर अब खाकी पहनने वाला मुबारक जल्दी ही जेल की वर्दी पहने दिखाई देगा !!

झाबुआ SP बने आदिवासियों के नायक

विगत एक साल में झाबुआ SP पद्म विलोचन शुक्ल आदिवासियों के बीच नायक की भूमिका में हैं .. अब तक 32 के करीब सार्वजनिक जनसंवाद कर चुके SP ने समाज जागरण में महती भूमिका निभाई है ..उनके प्रयासो से दहेज – डीजे पर प्रभावी कार्रवाई हुई तो शादियों में अंग्रेजी शराब का चलन कमजोर पड़ा है ..आलम यह है कि ग्रामीण उन्हें चुनाव लड़वाने चाहते हैं .. दरअसल आदिवासियों के दिलों में घर बनाना आसान काम नहीं है लेकिन पद्म विलोचन शुक्ल जी ने यह कर दिखाया .. आलम यह है कि जब जब अंचल में ढोल मांदल बजेंगे ..तब तब मांदल की हर थाप पर पद्म विलोचन शुक्ल का चेहरा लोगों को याद आयेगा !!

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