जनजाति विभाग के हस्तक्षेप के बाद 1 माह बाद खुला कन्या छात्रावास

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल के कन्या परिसर के पास हायर सेकेंडरी कन्या छात्रावास 9 से 12 वीं क्लास की छात्राओं के लिए 1 जुलाई से नए शिक्षा सत्र के प्रारंभ होने के साथ संचालित होना था परंतु 50 छात्राओं वाला यह छात्रावास पूरा जुलाई माह बीत जाने के बाद भी 28 जुलाई को जनजाति विभाग के अधिकारी एवं जांच दल के हस्तक्षेप के बाद खुलवाया गया।

जब मुखिया ही नदारद रहे तो कर्मचारी क्यों करें काम

पिटोल संकुल के अंतर्गत आने वाली सभी शैक्षणिक संस्थाओं पर शिक्षा विभाग की कोई देखरेख नहीं है। जब समस्याओं के खिलाफ आवाज उठती है तो जांच कराने का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। पिटोल हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य रामचंद्र मालवीय खुद 8 से 15 दिन में एक बार हायर सेकेंडरी स्कूल पर आते हैं रजिस्टर पर साइन करके चले जाते हैं। पूर्व में जनजाति विभाग को शिकायत की गई थी छात्रों द्वारा आंदोलन भी किया गया था परंतु विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं किया जाना यह दर्शाता है कि ऐसे घोर लापरवाही करने वाले प्राचार्य का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता इसलिए प्राचार्य का अधीनस्थ कर्मचारियों पर कोई नियंत्रण नहीं होने से कोई शिक्षक कर्मचारी उनकी की सुनते ही नहीं। इसलिए पिटोल की सभी शैक्षणिक संस्थाओं की स्थिति बद से बदतर है ।

प्राचार्य के आदेश के बाद भी नहीं लिया हॉस्टल अधीक्षक का चार्ज

50 छात्राओं के लिए बने इस छात्रावास में छात्रावास अधीक्षका नीता बिलवाल द्वारा 1 तारीख को कन्या छात्रावास चालू करना था परंतु नहीं किया। विभाग द्वारा प्राचार्य मालवीय को व्यवस्था करने के लिए आदेशित किया है गया परंतु प्राचार्य मालवीय द्वारा 6 बार आदेश निकाले जाने पर भी छात्रावास अधीक्षका के पद पर किसी ने चार्ज नहीं लिया और यह कन्या छात्रावास 28 तारीख तक बंद रहा छात्राएं अपने घर से आना जाना किया। इस कन्या छात्रावास में 36 बालिकाएं पहले से है एवं 14 बालिकाएं नवीन कन्या छात्रावास अधीक्षक नीता बिलवाल द्वारा कन्या छात्रावास नहीं खोलने पर 21 जुलाई को हायर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका संगीता मालीवाड को छात्रावास अधीक्षका के लिए आदेश दिया परंतु स्वास्थ्य ठीक नही होने के कारण चार्ज नहीं लिया इससे यह प्रतीत होता है कि प्राचार्य मालवीय का किसी भी शिक्षकों के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है।

जांच दल द्वारा कन्या छात्रावास पाई गई अनियमितताएं

पिटोल कन्या छात्रावास बंद होने से शिकायतों को लेकर जनजाति विभाग द्वारा दिनांक 28 को एक जांच दल पिटोल भेजा गया जिसमें जांच दल द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया कि छात्रा वास अधीक्षका नीता बिलवाल द्वारा हाजिरी रजिस्टर में 3 जुलाई तक हस्ताक्षर किए। मेडीकल अवकाश के बाद भी विभाग द्वारा प्रदत्त टेबलेट को संचालित कर रही है परंतु 1 जुलाई को कन्या छात्रावास नहीं खोला बालिकाओं को की निगरानी के लिए सुरक्षा में लगे छात्रावास के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद है। छात्रावास में रखा खाद्य सामग्री के लिए खाद्यान्न रजिस्टर भी 2022 _23 का नहीं मिला, छात्रावास में साफ सफाई नहीं थी, जांच दल द्वारा 28 तारीख को साफ सफाई करवाई एवं किराना का सामान भी खरीदा एवं पानी की व्यवस्था टैंकरों से की। इसके पश्चात बालिकाओं का अपने पालकों के साथ छात्रावास में आगमन हुआ अभी जब तक कोई छात्रा वास अधीक्षिका के पद पर पूर्ण रूप से कार्य करने के लिए पदस्थ नहीं हो जाते हो जाती हो वहां तक कन्या परिसर की अधीक्षिका माया गूंडिया को प्रभार सौंपा गया है।

लाखों रुपयों का बजट आता है

इन बालिकाओं का भविष्य बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इन छात्रावास के संचालन के लिए सालाना लाखों रुपए का बजट पास कर इन आदिवासी बालिकाओं का भविष्य संवारने के लिए दिया जाता है। एक बालिका पर एक माह में 1500 सो रुपए का होता है जिसमें 40 रूपए निजी खर्च के लिए 140 रूपए उनके खाते में जमा होता है एवं 1314 रुपया एक माह में उनके ऊपर खर्च होता है जिसमें छात्रावास के मीनू के अनुसार सुबह का नाश्ता भोजन शाम का नाश्ता भोजन देना होता है परंतु लापरवाह प्रिंसिपल प्राचार्य मालवीय की वजह से 1 माह तक यह 50 छात्रावास की बालिकाएं अपने इन सुविधाओं से वंचित रही।

जिम्मेदार बोले

प्राचार्य की अनुपस्थिति की सूचना पूर्व में भी प्राप्त हुई थी अभी भी यथावत है एवं कन्या छात्रावास के बारे में जिला प्रशासन को अवगत करा दिया गया है

जय बैरागी, मंडल संयोजक जनजाति विभाग झाबुआ

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