पिटोल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक नहीं होने से मरीज हो रहे हैं परेशान, स्वास्थ्य विभाग समस्या के समाधान पर नहीं दे रहा ध्यान 

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पिटोल  के अलावा 32 गांव के साथ अन्य तहसील एवं गांव के लोग भी इलाज करने के लिए आते हैं। यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिछले कई वर्षों से मरीज के विश्वास के ऊपर खरा उतरते हुए यहां इलाज कराने आए लोगों के लिए वरदान साबित होता था परंतु एक महीने के अंतराल तक भी स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर किसी भी डॉक्टर को पदस्थ नहीं किया जिसका खामियाजा पिटोल स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले सैकड़ो मैरिज उठा रहे है।

डॉक्टर बडोले के जाने के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति को देखने वाला कोई नहीं पूर्व में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ डॉक्टर अंतिम बडोले थे परंतु उनका उच्च शिक्षा पीजी में चयन होने हो जाने से उन्हें यहां से जाना पड़ा। डॉक्टर बडोले के एक माह का समय बीत जाने के बाद भी पिटोल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोई भी डॉक्टर को पदस्थ नहीं किया गया जब डॉक्टर अंतिम बडोले पिटोल में थे तब करीब 200 से 250 मरीज का परीक्षण स्वास्थ्य केंद्र पर होता था एवं उन्हें दवाई भी यहां से दी जाती थी परंतु आज उपचार की आस में आते हैं और निराश होकर लौट जाते हैं डॉक्टर बडोले जब तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कैंपस में रहते थे तब तक पौधों को पानी देना उनको हरा भरा रखने एवं आम मरीजों की जन समस्याओं को ध्यान में रखकर नर सेवा नारायण सेवा के भाव से सेवा देते थे।

जनप्रतिन प्रतिनिधियों ने विभाग से मांग की थी परंतु विभाग में समस्या पर नहीं दिया ध्यान

पिछले महीने  स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुष्मान भव मेले का आयोजन किया गया था जिसमें बड़ी संख्या में मरीजों ने अपना परीक्षण करवाया था इसी आयोजन में जिले के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों का आना हुआ था इन आला अधिकारियों के समक्ष गांव के जनप्रतिनिधियों पत्रकारों द्वारा मांग रखी गई थी कि बडोले साहब उच्च शिक्षा के लिए जा रहे हैं तो उनकी जगह किसी अच्छे डॉक्टर को पदस्थ किया जाए ताकि वह दूर दराज  ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले रोजाना सैकड़ो मरीजों को तकलीफ नहीं हो। परंतु एक माह के अंतराल के बाद भी विभाग द्वारा कोई डॉक्टर पदस्थ नहीं किया जाना प्रशासनिक लापरवाही है क्योंकि नेशनल हाईवे लगा हुआ है आए दिन दुर्घटनाएं होती है और भी और डॉक्टर नहीं होने से उनका प्राथमिक उपचार भी नहीं हो पता  जिससे उनकी जान जाने के खतरा होता है। अभी डॉक्टर नहीं होने से त्यौहार में कई दुर्घटनाएं हुई परंतु घायल मरीजों एवं उनके परिजनों को झाबुआ जिला अस्पताल या निजी चिकित्सालय की ओर जाना पड़ा।

केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र  पर केवल प्रस्तुतियां ही हो रही है

जब से डॉक्टर अंतिम बडोले यहां से गए हैं तब से सामान्य मरीजों को देखरेख करने वाला कोई नहीं केवल महिलाओं की प्रस्तुतियां हो रही है पिटोल प्राथमिक केन्द्र महिला कर्मचारियों  एवं नर्सों के भरोसे चल रहा है। नर्स दबी जुबान से कहती है कि जब तक डॉक्टर साहब थे तब उनके सलाह मार्गदर्शन मे काम कर रहे थे जब डॉक्टर साहब थे तब हमको हौसला था कोई भी मरीज ज्यादा तकलीफ में या गंभीर होता था तो तुरंत इलाज कर हमारा भी हौसला बढ़ाते थे।

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