29 करोड़ का स्कूल भवन फिर भी सुविधाएं नगण्य, जिम्मेदारों की अनदेखी से 325 छात्राएं मूलभूत संसाधनों से वंचित

पिटोल से भूपेंद्र सिंह नायक 

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठने के लिए सालाना करोड़ों रुपए का बजट पास किया जाता है परंतु वह बजट दूर के ढोल सुहावने की कहावत की तरह साबित होता है। जो दूर से तो अच्छे सुनाई देते हैं परंतु पास से खोखले साबित होते हैं। ऐसा ही मामला पिटोल क्षेत्र के गांव छोटी बावड़ी में सामने आया है। यहां 29 करोड़ से बने कन्या परिसर के भवन में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। 

आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय कन्या परिसर पिटोल से डेढ़ किलोमीटर दूर है। हाईवे से गुजरने वाले आम लोग और सरकार की लग्जरी कारों में सवार जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को कन्या परिषर की ऊंची ऊंची दिखती बिल्डिंग मानो ऐसी लगती है जैसे किसी बड़े शहर  में सुविधायुक्त बिल्डिंग हो, परंतु बावड़ी कन्या परिसर में सुविधाओं के नाम पर हालात बद से बदतर है। 400 सीट का कन्या आवासीय परिसर बनाया गया, कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई के लिए कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल बनाकर स्कूल विगत तीन से चार वर्षो से संचालित हो रहा है परंतु करोड़ों के बजट वाली स्कूल में पढ़ने वाली बालिकाओं के लिए व्यवस्थित तरीके से पढ़ाई करने के लिए कोई सुविधा नहीं है।

बालिकाओं को बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है 

400 सीट  स्वीकृत वाली कन्या हायर सेकेंडरी परिसर में वर्तमान में 6 से 12 तक 325 बालिकाएं अध्ययन रत है परंतु इन बालिकाओं को पढ़ाई करने के अध्ययन कक्ष में बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है सभी कक्षाओं की बालिकाएं प्लास्टिक की हरी मेटी पर बैठकर अध्ययन करने को मजबूर है वहीं   अध्यापकों को बैठने के लिए भी फर्नीचर नहीं है बिना फर्नीचर कैसे होगी अच्छी पढ़ाई यह भी विभाग के लिए प्रश्न चिन्ह है और स्टाफ के फर्नीचर के लिए भी फंड नहीं होना यह दर्शाता है कि केवल पढ़ाई के नाम पर आदिवासी बालिकाओं के साथ यह शिक्षा विभाग का एक छलावा है। 

स्मार्ट कंप्यूटर लैब एवं पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी स्वीकृत

शासन द्वारा इन स्कूलों में  स्मार्ट कंप्यूटर डिजिटल लेब स्वीकृत है  पढ़ाई के लिए अच्छी पुस्तकों के साथ लाइब्रेरी भी होना अनिवार्य है परंतु कन्या परिसर हायर सेकेंडरी स्कूल में 70 कंप्यूटर की स्मार्ट क्लास के साथ बालिकाओं को वर्तमान की शिक्षा पद्धति के अनुसार कंप्यूटर क्लास लगाना एवं पढ़ाई करना था परंतु यह सब मामला कागज पर ही है स्मार्ट लैब है परंतु वहां बालिकाओं के अध्ययन के लिए कंप्यूटर नहीं है। यह भी शिक्षा विभाग पर एक विडंबना है कम्प्यूटर स्मार्ट लाइब्रेरी के साथ पुस्तकों का भी लाइब्रेरी रूम तो है परंतु इस लाइब्रेरी के नाम पर कुछ पुस्तक हैं और उनको व्यवस्थित तरीके से रखने के लिए अलमारी या फर्नीचर नहीं है और पढ़ाई के लिए  अच्छी पुस्तक पुस्तक कब आएगी कब बालिकाएं पढ़ाई करेंगी इसका किसी को पता नहीं।

प्रयोगशाला भी नहीं है 

कन्या परिसर हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा नवी से पढ़ाई के लिए रसायन शास्त्र भौतिक शास्त्र एवं जीव विज्ञान की प्रयोगशालाएं होती है परंतु इस स्कूल में भौतिक शास्त्र के प्रयोग उपकरण रसायन शास्त्र के के रसायन (केमिकल) जीव विज्ञान के उपकरण नहीं है  इन विषयों का अध्ययन करने वाली बालिकाएं कैसे प्रयोगशाला में होने वाले प्रयोग की पढ़ाई करेंगे यह विभाग को देखना चाहिए केवल पढ़ाई के लिए दाखिला दे देना और भोजन  देकर अतिश्री कर लेना परंतु पढ़ाई की जो मूलभूत आवश्यकता है उसकी और आदिम जाति कल्याण विभाग एवं शिक्षा विभाग का कोई ध्यान नहीं है।

अतिथि शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई

इस कन्या परिसर में 325 बालिकाओं को अध्ययन करने के लिए केवल दो अध्यापक   नियमित है। बाकी सभी विषय के अतिथि शिक्षक के भरोसे बालिका अध्ययन कर रही है अतिथि शिक्षक भी विषय अनुसार पूरे नहीं है जिससे बालिकाओं को पढ़ाई करने में व्यवधान होता है इस कन्या परिसर में आदिवासी बालिकाएं अध्ययन कर रही है क्या उनके मां-बाप इसीलिए यहां पढ़ने छोड़ गए थे कि उनको पढ़ाई कराने के लिए भी  अध्यापक नहीं होंगे।

पानी की सुविधा नहीं है

कन्या परिसर में स्कूल में पानी की सुविधा नहीं है पानी टैंकरों से भराया जाता है बोरिंग का पानी में टीडीएस इतना है कि वह पीने लायक नहीं है अगर वह पानी पिए तो बालिकाएं उससे बीमार होने की संभावना बनती है टैंकर से पानी तो भर जाता है परंतु टैंकर पानी भरने वाले टैंकरोंके मालिक का समय पर भुगतान भी नहीं किया जाता है।

कन्या परिसर में बिजली विभाग कब बिजली काट देगा कोई भरोसा नहीं

आवासीय कन्या परिसर एवं हायर सेकेंडरी कन्या परिसर में बिजली विभाग का लगभग 7 लाख रुपए का भुगतान बाकी है अगर बिजली विभाग का यह भुगतान नहीं किया गया तो बिजली विभाग कब इस परिसर का बिजली का कनेक्शन काट दे और इन बालिकाओं को अंधेरे में रहने के लिए मजबूर होना पड़े। सुरक्षा के माकूल को इंतजाम नहीं है परिसर में कन्या परिसर में इन बालिकाओं और भवनओं की सुरक्षा के लिए केवल दो चौकीदार हैं जो कन्या आवासीय परिसर एवं कन्या हायर सेकेंडरी सुरक्षा करते हैं जबकि स्कूल में परिसर में और आवासीय परिसर में 500 मीटर की दूरी है जिससे चोरी का भय बना रहता है  एवं स्कूल में काम करने के लिए भृत्य भी नहीं है जिस स्कूल के कामकाज में दिक्कत होती है।

खेल गतिविधियो के लिए एवं स्वस्थ रखने के लिए खेल सामग्री भी नहीं

प्रत्येक स्कूल में प्रशासन द्वारा बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से  स्वस्थ रखने के लिए  खेलों की गतिविधि कराई जाती है परंतु इस कन्या परिसर में व्यवस्थित मैदान भी बन सकता है एवं  बालिकाओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए खेल की गतिविधियां हो सकती है  जबकी अध्यापन के लिए पढ़ाई के विषयों   अध्यापक नहीं है तो खेल टीचर भी नहीं  इन गतिविधियों के अभाव में    बालिकाओं के खेल प्रतिभाएं भी निखर नहीं सकती है जबकि भारत सरकार द्वारा बालिकाओं  खेल में आगे बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास किया जा रहे हैं एवं अंतरराष्ट्रीय खेल हो या राष्ट्रीय खेलों की प्रतियोगिताओं में बालिकाए  हमेशा अव्वल नंबर पर रहती है परंतु इस परिसर में बालिकाओं के खेलने के लिए कोई भी सुविधा नहीं है क्या जिले के कलेक्टर इस कन्या परिसर की और भी अपनी नजर इनायत करेंगे।

अपनी बालिकाओं को स्कूल से निकल रहे हैं पालक

सूत्रों की माने तो इस कन्या परिषर में झाबुआ जिले के साथ अन्य जिलों की बालिकाओं के पालकों ने अपनी बालिका को सुनहरे भविष्य के लिए यहां पढ़ाई करने भेजा था परंतु बालिकाओं द्वारा अपने पालकों को बताया गया कि यहां किसी प्रकार की भी कोई पढ़ाई के लिए सुविधा नहीं है इसलिए पालक अपनी बालिकाओं को अन्यत्र पढ़ने के लिए यहां से निकल रहे हैं 

जिम्मेदार बोले 

वरिष्ठ अधिकारियों को स्कूल में मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए कई बार लिखा गया। आशा करता हूं कि अतिशीघ्र सुविधा उपलब्ध हो जाय तो बालिकाओ का भविष्य संवर जाएगा।

प्रताप सिंह मौर्य, प्राचार्य कन्या परिसर पिटोल

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