जीवन का  एक ही अर्थ है ईश्वर को प्राप्त करना, अतः जन्म से मृत्यु तक भजन करते रहना चाहिए : गो संत राधुवरदासजी

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

राधा कृष्ण मंदिर  में भागवत कथा अमृत के अंतर्गत पिछले चार दिवस से  पिटोल में गौसंत रघुवीर दास जी महाराज के मुखारविंद से भागवत कथा अमृत  चल रही है। जिसमें महाराज श्री ने बताया कि जीवन का  एक ही अर्थ है ईश्वर को प्राप्त करना। अतः जन्म से मृत्यु तक भजन करते रहना चाहिए। मानव देह अति दुर्लभ है अनेको जन्म-जन्मांतरण के पश्चात मानव देव प्राप्त होती है, जहां भगवान का वास होता है उसे धाम कहते हैं हमारे अंदर ही भगवान का वास है अतः मनुष्य भी एक धाम है ।

भगवान भाव एवं प्रेम से खुश रहते हैं, भगवान की कथा आनंद बढ़ाने वाली है। कथा के दौरान रघुवर दास  जी महाराज ने कहा कि राजा परीक्षित ने गंगा के तट पर श्री शुकदेवजी से पूछा कि जो व्यक्ति मरने की तैयारी नहीं किया हो ऐसे व्यक्ति को क्या करना चाहिए। निर्माण पुरूष का क्या कर्तव्य होता है। तो शुकदेवजी ने बताया कि यह पूरे संसार का प्रश्न है। कोई भी व्यक्ति इस दुनिया में जीने के लिए नहीं आया है। मरने के लिए आया है। जिस दिन से हम जन्म लेते हैं, उसी दिन से हमारी मृत्यु शुरू हो जाती है। रोज हम मर ही रहे हैं। मृत्यु का मतलब है परिवर्तन। जो दुनिया हर क्षण, हर पल परिवर्तन होती है भगवान को पाने का सबसे सहज और सरल उपाय है परमात्मा की गुण, भजन, ध्यान करना, जप करना।कलियुग में यज्ञ करना कठिन काम तुलसीदास जी ने बताया है कि कलयुग में यज्ञ करना कठिन काम है। कोई नास्तिक है। कुपंथी है। कोई कहेगा हम संत नहीं मानते हैं, हम धर्म नहीं मानते हैं। कोई कहेगा इतना पैसा जला दिया। कई तरह के लोग कई प्रकार की बातें कहते हैं। वहीं शराब पीने में वेश्यावृत्ति करने में, गांजा पीकर धुआं उडा दिया जाता है। परंतु नास्तिक लोग उसको नहीं मानेगा।  इसीलिए भगवान के नामों का जपने से तीर्थ यात्रा, यज्ञ तथा समाधि का फल मिल जाता है। इस कथा को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे। वहीं इस दौरान लोगों को कई जानकारी दी जा रही है। आज की कथा में पीपलखुंटा धाम से संत शिरोमणि 108 दयाराम जी महाराज ने भी शिरकत की और उन्होंने भी भागवत कथा एवं गाय माता के जीवन पर गोसेवक बनने के लिए लोगों से प्रेरणा दी के अपने घर में एक-एक गाय जरूर पालें। 

कथा में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया आज की कथा में भागवत कथा का सार समझते हुए भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को नंद बाबा की पालकी के साथ धूमधाम से मनाया गया  संगत में कथा में लोग भजनों के साथ भी झूम के नाचते हैं। विभिन्न भजन गोविंद गोविंद गोपाल जी, भजमन राधे गोविंद, बड़े भाग्य मनुष्य तन पावा, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए, भरो भरो री खजानो भक्ति नाै तने मोको मणियों छे मजा नाे,  जो मोहिराम लगते मीठे ,तारी कयामाथी  हंस लो आज उड़ीजासे । भजनों पर महिलाओं ने बढ़ चढ़कर गरबा नृत्य का लाभ लिया तत्पश्चात महाराज श्री ने विभिन्न शास्त्रीय रागों पर आधारित भजन एवं चौपाइयों के साथ विभिन्न तालों के साथ तबले पर ओम प्रकाश जेठवा ने संगत दी,काैरस पर विपिन जी भट्ट, सिंथेसाइजर पर राघव आचार्य, झंकार पर नरेंद्र जी आचार्य एवं भागवत पारायण तथा पूजन पर शैलेश जी भट्ट संगत दे रहे हैं। अंत में आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ समारोह को विराम दिया गया।

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