डॉ. रीना रवि मालपानी द्वारा 1 अक्टूबर “रक्षा लेखा विभाग दिवस” पर लिखित कविता “रक्षा लेखा विभाग दिवस”

0

देश के सबसे पुरातन विभागों में से एक एवं देश और वीर सैनिकों को उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करने वाले विभाग रक्षा लेखा विभाग के सम्मान में मेरी स्वरचित कविता प्रस्तुत है:-

“रक्षा लेखा विभाग दिवस”

विभिन्न विभागों की श्रृंखला में कार्यरत एक पुरातन और सम्माननीय विभाग। 1750 में स्थापित संस्था, आज बना रक्षा सेवाओं का महत्वपूर्ण भाग॥ रक्षा लेखा विभाग लेखा परीक्षा और लेखांकन का करता कार्य। उनके लिए करता कार्य जिनकी सरहद पर भूमिका है अनिवार्य॥ कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शूरवीरों का रखते लेखा-जोखा। कोशिश करते निधियों में वीरों को न मिले कोई धोखा॥

1 अक्टूबर को खुशियों और उत्साह से विभाग की वर्षगाँठ मनाते। इस विभाग में कार्य करके खुद को खुशनसीब बताते रक्षा लेखा विभाग होता रक्षा मंत्रालय (वित्त) के अधीन। हम लेखा-जोखा का कार्य करते प्रत्येक स्तर पर महीन॥नियमों की उलझन का करते हम समाधान।जल-थल-वायु सबको करते उत्कृष्ठ सेवाएँ प्रदान॥वेतन एवं अन्य खर्चो का करते समय-समय पर हिसाब।उत्कृष्ट कार्य व दक्षता के लिए पाते भी खिताब॥लेखों को नियमबद्ध करना भी है महत्वपूर्ण काम।इसके कारण कभी-कभी भूलते है आराम॥शूरवीर सैनिकों का रखते हम ध्यान।नियमों पर चलकर बनाते उनके कार्य आसान॥आवश्यकता के अनुरूप त्वरित सेवाएँ भी देते।समय पर लेखा-जोखा उपलब्ध कराके संतोष भी पाते॥वीरों की परेशानियों का करते समय-समय पर निदान।हमारे कार्यो का वह भी करते सम्मान।।हमेंशा सेवाधर्मिता से रक्षा लेखा विभाग को दें नई पहचान।डॉ. रीना कहती कार्य कुशलता से बढ़ाए इस विभाग का मान॥

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

Leave A Reply

Your email address will not be published.