झाबुआ, एजेंसीः आज कल आम लोगों को इस भौतिकता के युग में आध्यात्मक एवं धर्म के प्रति जागृति का अभाव दिखाई दे रहा है। टेलीविजन के प्रभाव से सभी लोगों विशेेष कर युवा वर्ग के विचार पथ भ्रष्ट हो रहे हैैं। मानव जीवन में मोक्ष एवं परमार्थ जैसी भावना विलुप्त सी हो रही है। दिन रात इलेक्ट्रानिक मीडिया एवं चैनलों से सैक्स, हिंसा, क्रुरता, गुंडागर्दी ही परोस रहे है जिसके कारण युवा वर्ग की मानसिक विकृति भी उसी अनुसार ढल रही है। टेलीविजन, मोबाइल, वाट्सएप, इंटरनेट, चंेटिंग आदि आदि सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में अच्छा संदेश नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि मीडिया महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली माध्यम है और मीडिया से ही लोग सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए आवश्यक है कि नववर्ष 2015 में दुनिया को मानवता के साथ ही एकता एवं सांप्रदायिक सौहार्द्रता, परस्पर भाईचारे की भावना का विस्तार हो, और भारतीय संस्कृति का ज्यादा से ज्यादा कवरेज मीडिया के माध्यम से हो और देश में फिर से हम सत्य, धर्म, शांति, प्रेम, अहिंसा से परिपूर्ण समाज के नव निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकें।
उक्त प्रेरक संदेश स्थानीय बावन जीनालय में पूज्य गुयदेव आगमप्रज्ञ जम्बुविजय मसा के शिष्य धर्मचंद्रविजय मसा के सुशिष्य पुंडरीकरत्न मसा ने नववर्ष के आगमन पर युवा पीढ़ी के लिये देते हुए कही।
मुनि पुण्डरिकरत्न ने बताया कि युवाओं में आज कल धर्माचरण के प्रति जो उदासीनता दिखाई दे रही है उसका मुख्य कारण ही उनका बचपन से संस्कारों का नही मिलना मुख्य है। टेलीविजन एवं सोशल मीडिया के इस युग में युवावर्ग दिग्भ्रमित हो चुका है साधु संतों का उपदेश सुनने केवल वृद्ध लोग ही एकत्रित होते है और ऐसे मेे धर्म संदेश उन तक नहीं पहुंच पाता है। उन्होंने कथित रूप से आडंबरी साधुओं द्वारा धर्म के नाम पर दुकानदारी चलाये जाने को भी धृधित कृत्य बताते हुए कहा कि ऐसे लोगों को मार्केट वैल्यु चाहिये । उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक गणिका का मार्केट वैल्यू ही इस जमाने में अधिक होती है, किसी मां की मार्केट वैल्यू नहीं होती क्योकि वह निर्लिप्त भाव से अपनी संतानों को स्नेह दुलार देती है और प्रसिद्धी की चाह नही रखती है ।
पूज्य गुरूदेव ने कहा कि नववर्ष सभी के लिये शारीरिक, मानसिक,आध्यात्मिक से परिपूर्ण हो। नई पीढी को नूतन वर्ष परस्पर सौहार्द्रता प्रेम एवं भाईचारे से परिपूर्ण करने वाला हो। उन्होने कहा कि हमारे राजनेता भी प्रजा के उत्थान का कार्य करे तथा साधु संतों एवं धर्माचरण के मार्ग पर चल कर देश के सर्वागिण उत्थान के लिये काम करें । उन्होने कहा कि संतो ने धर्म के नाम पर जो दुकानदारी चला रखी है वह बंद होना चाहिए।