टूट रही वर्षो पुरानी परंपरा; कोरोना ने लगवा दी मुहर्रम के जुलूस पर भी रोक, इस बार नहीं निकलेगा ताजियों का जुलूस …

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
ऐसा पहली बार होगा कि मोहर्रम पर ताजिये तो रखे जा रहे है, लेकिन इनके साथ निकलने वाला जुलूस नहीं निकल सकेगा। कारण इस बार कोरोना संक्रमण के चलते केंद्र सरकार से धार्मिक सामूहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है।
इसलिए इस बार कोरोना की महामारी की वजह से कहीं भी कोई सार्वजिनक आयोजन नहीं हो रहे हैं और लोग प्रतीकात्मक तरीके से ही त्यौहार की रस्में अदा कर रहे हैं।
आपको बता दे कि “हर साल मुहर्रम की पहली तारीख से ही सब तैयारियां शुरू हो जाती थी।
ज्यादा जगहों पर मुहर्रम की 9 तारीख को ताजिया भी रख दिए जाते हैं। दस तारीख को लगभग ताजियों के साथ जुलूस निकलता था, लेकिन इस बार प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है। सिर्फ ताजिये जो बनाते हैं उनके घरों में रखे गए है।
झाबुआ जिले के पेटलावद में मुहर्रम पर प्रतिवर्ष हिंदू-मुस्लिम एकता भी देखने को मिलती है। यहां कुल 12 में से आधे ताजिये हिन्दू धर्म के लोग बनाते आ रहे है। “आसपास के कई हिंदू परिवार भी आस्था के कारण कई वर्षो से ताजिये रखते चले आ रहे हैं।
कोरोना वायरस ने ताजिये के कारोबार से जुड़े लोगो की जिंदगी पर भी असर डाला है।
मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हज़रत हुसैन की शहादत में गमजदा होकर उन्हें याद करते हैं। शोक के प्रतीक के रूप में इस दिन ताजिये के साथ जूलूस निकालने की परंपरा है। ताजिये का जुलूस इमाम तलावपाड़ा से निकलता है और कर्बला हुसैनी चौक में जाकर खत्म होता है। इस बीच पूरे नगर में मुस्लिमों के साथ अन्य धर्म के लोग भी अपनी मन्नते पूरी होने पर ताजियों के नीचे से निकलते है, लेकिन इस बार सभी को ताजियों के मुकाम पर पहुंचकर अपनी मन्नते पूरी करनी पड़ रही है।

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