नवनीत त्रिवेदी@झाबुआ
झाबुआ जिले में जनसुनवाई महज औपचारिकता बन कर रह गई है। विगत कई जनसुनवाई में ना तो कोई जिला अधिकारी उपस्थित रहे हैं और ना ही जिले के प्रशासनिक मुखिया। औपचारिकता कहे या शासन के निर्देशों के परिपालन के नाम पर कर्तव्यों की इतिश्री। कुल मिलाकर जनसुनवाई ‘जन की सुनवाई’ ना रह कर महज कुछ घंटों तक एक डिप्टी कलेक्टर सहित कुछ विभागों के कर्मचारियों द्वारा जनसुनवाई के नाम पर आवेदन लेकर अपना कर्तव्य पूर्ण कर लिया का रहा है।
