झाबुआ नगर पालिका अध्यक्ष – उपाध्यक्ष को लेकर जारी है खींचतान, इन प्रमुख नामों में है मुकाबला…

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नवनीत त्रिवेदी @झाबुआ Desk

नगर पालिका अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के निर्वाचन एवं प्रथम सम्मेलन की तारीख के एलान के बाद से ही नगर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज है, अध्यक्ष – उपाध्यक्ष के लिए भाजपा से 3 -3 दावेदार मैदान में है, तो काँग्रेस के भी 1 पार्षद भाजपा समर्थित एक गुट विशेष के आश्वासन के बाद आश्वस्त है कि जोड़-जुगाड़ से ही सही मेरी भी लॉटरी लग सकती है, वे भी अपनी बिसात जमाने मे लगे है, साथ ही 2 निर्दलीय पार्षद जिनके भरोसे ही नगर सरकार बनने का दावा किया जा रहे है उनमें से एक निर्माण समिति का अध्यक्ष तो दूसरा उपाध्यक्ष का स्वप्न सजा रहा है, ऐसी जनचर्चा है, अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के संभावित एवं मजबूत दावेदारों की फेहरिस्त एवं उनका नगरपालिका का राजनैतिक कैरियर कुछ इस प्रकार है….

1 – बसंती धनसिंह बारिया – बसंती धनसिंह बारिया 1999 से 20004 तक रेलम चौहान के अध्यक्षीय कार्यकाल में पार्षद रही है, बारिया पर्वत मकवाना के अध्यक्षीय कार्यकाल में पार्षद रहे है, उसके बाद बारिया स्वयं 2012 से 2017 तक नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं, 2017 वाले चुनाव में बसंती बारिया 2500 वोटों के अंतर से नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में पराजित हुई थी एवं इस बार फिर से वार्ड क्रमांक 13 से पार्षद है। बसंती बारिया को राजगढ़ नाका गुट का वरदहस्त है, उम्मीद है कि राजगढ़ नाका बसंती बारिया को अध्यक्ष बनाने के लिए पूरे प्रयास करेगा, ऐसा कहा जा रहा है कि नदी के उस पार से भी बसंती बारिया को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर मौन स्वीकृति है।

2 – पर्वत मकवाना – मकवाना 1999 से 2004 तक रेलम चौहान के अध्यक्षीय कार्यकाल में पार्षद रहे हैं। 2004 से 2009 तक मकवाना अध्यक्ष रहे हैं, इसके ठीक बाद धनसिंह बारिया के नगर पालिका अध्यक्ष बनते ही 10 वर्षों के राजनीतिक संन्यास के बाद इस बार फिर से वार्ड क्रमांक 16 के पार्षद है, भाजपा के पूर्व महामंत्री एवं राजगढ़ नाके के 1 पूर्व स्तंभ श्री विजय नायर मकवाना को अध्यक्ष बनाने के लिए दमखम से लगे हैं। मकवाना के राष्ट्रीय स्तर पर संबंध होने का फायदा भी उन्हें शायद मिल सकता है।

3 – कविता शैलेंद्र सिंगार – शहर के युवाओं के प्रतिनिधि के रूप में पिछले कई वर्षों मैं उभरे शैलेश बिट्टू सिंगर की भाभी कविता शैलेंद्र सिंगार भी अध्यक्ष पद की दौड़ में है, कविता सिंगार के लिए पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष, वर्तमान भाजपा जिला उपाध्यक्ष भानु भूरिया, एक बड़े व्यापारी एवं एक सप्लायर लगातार प्रदेश स्तर पर प्रयासरत है, संभावना ये भी है कि राजवाड़ा मित्र मंडल के प्रमुख बृजेंद्र चुन्नू शर्मा हर बार की तरह अंतिम समय कविता सिंगार का समर्थन करेंगे, खेर इस चुनाव में शर्मा का जादू 2012 जैसा नहीं चला, उनके कट्टर समर्थक जो स्वयं को झाबुआ नगर अघोषित सर्वेसर्वा समझ रहे थे, उन्हें भी पराजय का सामना तब करना पड़ा, जब उनके लिए शर्मा ने साम -दाम – दंड-भेद चारों नीतियों को अपनाया, मगर 1-2 वार्ड में भी शर्मा अपनी पसंद के प्रत्यशी को विजयश्री नहीं दिला पाए , खेर अपनी ओर से शैलेश बिट्टू सिंगार भी प्रयासरत है । झाबुआ लाइव से बातचीत में श्री सिंगार ने कहा है कि संगठन जो भी तय करेगा हम उसी गाइड लाइन पर चलेंगे।

अब बात करे उपाध्यक्ष की..

1 – लाखन सोलंकी – वार्ड क्रमांक 9 के पार्षद लाखन सोलंकी उपाध्यक्ष पद के लिए प्रयासरत है, धनसिंह बरिया के अध्यक्षीय कार्यकाल में श्री सोलंकी की पत्नी पदमा सोलंकी पार्षद रह चुकी हैं, सोलंकी द्वारा निर्दलीय पार्षदों के साथ ही भाजपा समर्थित पार्षदों से भी संपर्क साधा जा रहा है, ऐसी जन चर्चा है । सोलंकी नगर पालिका का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। चर्चा ये भी है कि सोलंकी अपने ही एक निर्दलीय साथी को चुनाव के बाद अध्यक्ष बनाना चाहते थे, और नगर में इस बार निर्दलीय की पैनल का बोलबाला होने की संभावनाएं भी थी मगर जनता का मन कुछ और ही था इसलिए कई प्रत्याशियों पर ये कहावत सही बैठी – आधी छोड़ पूरी को धावे – आधी मिले ना पूरी पावे..

2 – विजय चौहान – उपाध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में विजय चौहान जो वार्ड क्रमांक 8 के पार्षद है एवं पर्वत मकवाना के अध्यक्षीय कार्यकाल में तत्कालीन उपाध्यक्ष दौलत भावसार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद 2 साल 6 माह तक नगरपालिका उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं एवं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के ही पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य हैं, वे स्वयं भी अपनी दावेदारी पेश तो कर ही रहे हैं एवं संगठन स्तर पर भी प्रयासरत है, चौहान दो कार्यकाल में पार्षद एवं 2 वर्ष 6 माह उपाध्यक्ष रह चुके हैं, पिछले चुनाव में निर्दलीय के तौर पर आपकी पत्नी चुनाव लड़ी थी एवं पराजय का सामना करना पड़ा था, इस बार संगठन ने फिर से चौहान पर भरोसा जताया एवं आपने जीत दर्ज की। इंदौर के ही एक बड़े नेता का समर्थन होने का फायदा शायद इस बार चौहान को मिले।

3 – इंजीनियर पंडित महेंद्र तिवारी – इन दो नामों के अलावा एक नाम अप्रत्याशित रूप से अचानक सामने आया है जो वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद इंजीनियर पंडित महेंद्र तिवारी का है, हमारे सूत्रों के अनुसार पंडित तिवारी पर वैसे तो किसी विशेष गुट या ऊपरी संरक्षण नहीं है मगर पिछले दिनों हुई एक बंद कमरे की बैठक में भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने तिवारी से चर्चा की है, क्या चर्चा हुई इसका खुलासा ना तो श्री तिवारी ने किया और ना ही बीजेपी के उन शीर्ष नेताओं ने, मगर हो सकता है कि उपाध्यक्ष पद के लिए अप्रत्याशित रूप से पंडित महेंद्र तिवारी का नाम सामने आए। वैसे श्री तिवारी पहली बार के पार्षद है, पिछले चुनाव में आपकी धर्मपत्नी मैदान में थी एवं आपको पराजय का सामना भी करना पड़ा था, इस बार आपके सामने काँग्रेस प्रत्याशी सहित भाजपा – काँग्रेस के 1-1 बागी एवं एक अन्य प्रत्याशी भी मैदान में थे मगर जिस राजनैतिक कौशल- अनुभव एवं सुझबुझ से तिवारी ने चुनाव में जीत दर्ज की, उससे शायद शीर्ष नेता प्रसन्न है , अब प्रसन्न जीत से है या किसी और कारण से, इसका खुलासा अगले अंक में….

खेर प्रथम सम्मेलन की तारीख एवं अध्यक्ष उपाध्यक्ष के निर्वाचन की घोषणा होने के बाद नगर सहित जिले भर में अलग-अलग चर्चाओं का दौर जारी है वैसे तो नगरपालिका झाबुआ सहित नगर पंचायत राणापुर /थांदला/ पेटलावद में भाजपा के पास बहुमत है, लेकिन फिर भी झाबुआ नगर पालिका परिषद में कांग्रेस के एक पार्षद निर्दलीयों के साथ ही भाजपा के दो पार्षदों के लगातार संपर्क में हैं, हो सकता है कि भाजपा संगठन अपने पार्षदों पर मजबूत पकड़ नहीं रख पाया तो ऐन वक्त पर बाजी पलटने के भी आसार है।क्योंकि कही न कही भाजपा के ही किसी गुट का काँग्रेसी पार्षद पर अचानक आया ये स्नेह.. कई सारे प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है..

वही दूसरी और निर्दलीय पार्षद भी उपाध्यक्ष पद एवं निर्माण समिति अध्यक्ष की उम्मीद लगाए बैठे है, जो भी हो 16 तारीख को होना वाला प्रथम सम्मेलन एवं अध्यक्ष/उपाध्यक्ष निर्वाचन बेहद रोचक होगा।

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