जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को  पर्यटन स्थल न बनावे

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झाबुआ डेस्क

झाबुआ 2 जनवरी झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी स्थित है। यह स्थल जहां से 24 जैन तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी इसमें पूरे विश्व के जैन समाज की अटूट धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हुई है। इसे पर्यटन स्थल न बनाया जावे।

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल मेहता, कोषाध्यक्ष प्रकाशं रांका प्रेस नोट के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया उक्त बात कांतिलाल भूरिया ने अपने पत्र में देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर निवेदन किया है। भूरिया ने अपने पत्र में राष्ट्रपति महोदय को अवगत कराया कि झारखंड सरकार व केन्द्रीय वन मंत्रालय ने जैन तीर्थ स्थल को वन्य जीव अभ्यारण का हिस्सा बताने के साथ ही पर्यावरण पर्यटन की अनुमति प्रदान की है,जिससे तीर्थ स्थल की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता नष्ट होने के कगार पर है। सरकार के इस फैसले से पूरे जैन समाज में रोष व्याप्त है और देश भर में इस फैसले के खिलाफ सकल जैन समाज प्रदर्शन कर रहा है। जैन समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए झारखण्ड सरकार को इस सबंध में निर्देश प्रदान करें । श्री भूरिया ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि सम्मेद शिखर जैन तीर्थ की पवित्रता और इसमें निहित समाज की अटूट आस्था को ध्यान में रखते हुए सरकार अपने इस फैसले को बदलने का कष्ट करें । साथ ही सम्मेद शिखर जी को संरक्षित तीर्थ क्षेत्र का दर्जा प्रदान कर आप सर्व धर्म समभाव का उदाहरण देंगे, क्योकि वहां पर जाति धर्म की आस्था केन्द्र है।

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल मेहता, कोषाध्यक्ष प्रकाश रांका, मनोहर भंडारी, ब्लाक अध्यक्ष काना गुण्डिया, बंटू अग्निहोत्री,आशिष भूरिया, जितेन्द्र राठौर, गौरव सक्सेना, विजय शाह आदि ने भी इस सबंध में  भूरिया जी की बात का समर्थन करते हुए जैन तीर्थ सम्मेद शिखर जी को प्र्यटन स्थल न बनाने की मांग की है।

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