जिले में स्व कराधान योजना में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रभारी मंत्री के समक्ष उठाया जाएगा

May

 झाबुआ live डेस्क

 झाबुआ जिले में स्व कराधान योजना में चार जनपद पंचायत पेटलावद रामा मेघनगर थांदला में हुए भारी भ्रष्टाचार की जांच का मामला प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग व अध्यक्ष, उपाध्यक्ष दौलत भावसार के समक्ष स्व कराधान योजना में हुई जांच का मामला उठाया जाएगा जिसमें जनपद पंचायत रामा पेटलावद,, मेघनगर, थांदला के जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों द्वारा फर्जी CA रिपोर्ट व अनुशंसा कर राज्य संचनालय भोपाल से करोड़ों रुपए डलवाए गए। इन भ्रष्ट अधिकारियों को बचाया गया जबकि सचिवों की 2 माह की वेतनवृद्धि रोकी गई, जबकि इतने बड़े घोटाले में दंडात्मक कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया। वह कलेक्टर द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई कर ही इति श्री कर ली गई ।जनपद के सीईओ के ऊपर कारवाई नहीं होना भी प्रश्नचिन्ह एवं संदेहास्पद नजर आता है। वही शिकायत में मुख्य बिंदु रहेंगे जिसमें जनपद पंचायत पेटलावद के अधिकारियों अधिकारियों सचिवों के नाम जिला पंचायत सहित जनपद पंचायत रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। वह थांदला जनपद पंचायत के सीईओ एवं सचिव के नाम भी शिकायत पत्र में दर्ज नहीं है व ग्राम पंचायतों के संबंधित अभिलेखों की भी जांच दो दिवस में नहीं की गई, जबकि सूचना के अधिकार के अंतर्गत जो पंचायतों के रिकॉर्ड उपलब्ध हुए हैं उसमें भारी भ्रष्टाचार किया गया। वह कई पंचायतों के रिकॉर्ड भी नहीं है तो फिर कैसे केवल दो अधिकारियों ने 2 दिनों में ही जनपद पंचायत में बैठ कर जांच पूर्ण कर ली गई जबकि पूर्व जांच अधिकारियों के समय ग्राम पंचायतों द्वारा एवं जनपद पंचायतों द्वारा रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं कराए गए थे। इन अधिकारियों द्वारा केवल 2 दिन में ही 41 ग्राम पंचायतों की जांच पूर्ण कर ली गई। इन बिंदुओं पर भी व कई और बिंदु है उस पर भी जिला योजना समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को अवगत कराया जाएगा। जांच प्रतिवेदन वेतन में स्पष्ट लिखा है कि कुटरचीत तरीके से जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं सचिव’ सरपंच की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की राशि डलवा ली गई। अलीराजपुर में हुए पंच परमेश्वर योजना में हुए घपले की तर्ज पर झाबुआ जिले में हुए करोड़ों रुपए के घपले की जांच व FIR दर्ज करवाने के लिए भी मामला उठाया जाएगा। ज्ञात रहे कि इन जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों पर पूर्व में भी कई आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लग चुके हैं लेकिन ऊपर बैठे अधिकारियों की मिलीभगत से इन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है।