जिला जेल में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग ने विचार संगोष्ठी का आयोजन किया

0

झाबुआ। पूरे भारतवर्ष में 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है। इसी क्रम में जिला जेल परिसर झाबुआ में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग द्वारा एक विशेष विचार संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का नेतृत्व आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रविंद्र मिश्रा और राष्ट्रीय सचिव एनके सिंह के मार्गदर्शन में किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में जिला जेल अधीक्षक डीके पगारे की उपस्थिति में जेल के बंदियों के साथ यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

सर्वप्रथम महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के तेल चित्रों पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला जेल अधीक्षक श्री डीके पगारे ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में सीनियर सिटीजन प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एम एल फुल पगारे उपस्थित रहे। कार्यक्रम के विशेष अतिथि सामाजिक महासंघ के एवं आयोग के इंदौर संभाग के अध्यक्ष डॉ. नीरज सिंह राठौड़, प्रदेश संरक्षक संतोष सिंह गहलोत, पीडी रायपुरिया, जिला संयोजक जगदीश चंद्र सिसोदिया, जिला प्रवक्ता कोमल सिंह डामोर, तहसील अध्यक्ष बापू सिंह कटारा, संतोष मिश्रा सहित अन्य गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों का स्वागत मोतियों की माला से किया गया। इसके पश्चात, जेल अधीक्षक डीके पगारे ने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के विचारों और उनके द्वारा दिए गए जीवन मूल्यों को संक्षेप में प्रस्तुत किया। पगारे ने जेल में बंदियों के पुनर्वास और उनके जीवन में सुधार के लिए इस तरह के आयोजनों की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि जेल में रहते हुए भी बंदियों को सही मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए ताकि वे समाज के मुख्य धारा में शामिल हो सकें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीडी रायपुरिया ने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से बंदियों को प्रेरित किया। डॉ. एमएल फुल पगारे ने विधि और संविधान के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की और बंदियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। इसके पश्चात, डॉ. नीरज सिंह राठौड़ ने जेल में बंद बंदियों से वन-टू-वन परिचर्चा करते हुए उन्हें सुधार और समाज में वापस लौटने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जेल जीवन का अंत नहीं है, बल्कि एक नया जीवन शुरू करने का अवसर है। उन्होंने बंदियों को जीवन में आगे बढ़ने की दिशा में प्रेरित किया और उन्हें आत्मविश्वास के साथ अपने भविष्य की ओर देखने के लिए प्रोत्साहित किया।

जगदीश चंद्र सिसोदिया ने अपने वक्तव्य में मानव मूल्य और जीवन की सच्ची दिशा पर प्रकाश डाला और बंदियों को अपने जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा दी। अनु भाबर ने लोकगीत और गीतों के माध्यम से बंदियों को भावविभोर किया और उनके जीवन में सुधार लाने का संदेश दिया। उनकी प्रस्तुति ने बंदियों के बीच एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया और उन्हें नई दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया। कोमल सिंह डामोर और श्रीमती गौरी कटारा ने अपनी रचनाओं और विचारों के माध्यम से बंदियों को प्रेरित किया कि वे अपनी गलतियों से सीख लें और भविष्य में एक नई शुरुआत करें।

ब्रह्माकुमारी से आईं जयंती दीदी ने बंदियों को ध्यान और आत्मशुद्धि के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे ध्यान के माध्यम से हम अपनी इंद्रियों को वश में कर सकते हैं और जीवन को एक नई दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर इंसान के अंदर ईश्वर का वास होता है, और हमें अपने भीतर झांककर आत्मविश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने बंदियों को दिन में सात बार आत्मचिंतन करने की शपथ दिलाई और ध्यान की महत्वता पर जोर दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन सरस्वती द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी मधुर वाणी और सुविचारित वक्तव्यों से सभी का ध्यान आकर्षित किया। अंत में जेल अधीक्षक श्री डीके पगारे ने सभी अतिथियों और बंदियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी होते रहेंगे, जिससे बंदियों को मार्गदर्शन और प्रेरणा मिल सके। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग और अन्य उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का भी विशेष आभार प्रकट किया।

इस विचार संगोष्ठी में जेल स्टाफ का भी सहयोग सराहनीय रहा। इस आयोजन से बंदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद जताई गई। भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से बंदियों को समाज की मुख्य धारा में लाने के प्रयास जारी रहेंगे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.