जान से खिलवाड़: एक चिंगारी ढहा सकती है कहर..; दीपावाली से पहले पटाखों का अवैध भंडारण शुरू ..

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद पटाखों के अवैध भंडारण पर कार्रवाई को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा है। अधिकारियों की लापरवाही से इस धंधे से जुड़े लोगों के हौसले बुलंद हैं और वे थोड़े से फायदे के लिए आम लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही कई इलाकों में पटाखा अवैध रूप से भंडारण तेजी से फलने-फूलने लगा है। हालांकि पटाखों को लेकर अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई, लेकिन इसमें लोगों की गहरी रुचि को देखते हुए कारोबारी बिना लाइसेंस घनी आबादी के बीच घरों में चोरी छिपे पटाखों का अवैध रूप से भंडारण कर रहे हैं।
मामला जिले के पेटलावद का है। अब इसे प्रषासन की सुस्ती कहें या अवैध पटाखा का कारोबार करने वालों की मनमानी। प्रषासन की लाख सतर्कता और ताकीद के बाद भी पेटलावद में अवैध पटाखों का भंडारण साल दर साल बढ़ता ही रहा है। दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही अवैध कारोबार में तेजी आ जाती है। हालांकि एक-दो मामलों में कार्रवाई भी होती है, लेकिन इसके कुछ दिन बाद अवैध कारोबार फिर शुरू हो जाता है। पूर्व में हुई घटनाएं तो यही कह रही हैं। दीपावली में कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन पटाखों के अवैध भंडारण के खिलाफ अभियान नहीं शुरू हुआ है। हर बार घटना के बाद प्रशासन जागता है।
ग्रामीण इलाकों तक फैला जाल-
शहर ही नहीं, पटाखों के अवैध भंडारण और निर्माण का जाल ग्रामीण इलाकों तक फैल चुका है। शहर के कई इलाके तो बारूद के ढेर में तब्दील हो चुके हैं। इनमें बामनिया, रायपुरिया, सारंगी, करवड़, झकनावदा जैसे ग्रामीण इलाके भी शामिल हैं।
फायदे के चक्कर में परवाह नहीं-
बारूद में खुद का घर उजड़े या पड़ोसी का, कारोबारियों को इससे मतलब नहीं। उन्हें दीपावली पर सिर्फ ज्यादा कमाई नजर आती है। ऐसे कारोबारी जान की परवाह किए बिना परिवार की महिलाओं व बच्चों को भी बारूद के ढेर पर बैठा देते हैं। साथ ही पड़ोसियों को मुसीबत में डाल देते हैं।
2015 भीषण ब्लास्ट के बाद भी सबक नही-
प्रशासन की ओर से अभी तक दिवाली के मौके पर अस्थाई पटाखा विक्रेताओं को लाइसेंस जारी नहीं किए हैं, लेकिन ज्यादातर विक्रेताओं ने बिना लाइसेंस ही अपनी दुकानों में पटाखों का भंडारण करना शुरू कर दिया है तो पूरी तरह अवैध है। खबर है कि नगर सहित पूरी तहसील में ऐसे करीब पचास से ज्यादा अवैध भंडार व कई दुकानें हैं, जिनकी अनदेखी के चलते बड़ा धमाका हो सकता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि 6 वर्ष पहले यानी 12 सितंबर 2015 को हुए भयावह ब्लास्ट के बाद भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा है और कुंभकर्णी नींद में है। मकान में रखे जाने वाले पटाखों में पहुंची एक चिंगारी कभी भी तबाही मचा सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है।
नहीं चेते तो हो सकती बड़ी घटना-
प्रशासन अगर समय नहीं चेता तो 2015 जैसा हादसा फिर हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक तीव्रता वाले पटाखों का कारोबार जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से फल फूल रहा है। पाबंदी के नाम पर प्रशासन कागजी कोरम तक ही सीमित है। पिछले वर्ष भी उम्मीद थी कि प्रशासनिक अमला अवैध करोबारियों के खिलाफ अभियान चलाकर इस प्रकार के भंडारण को रोकने का काम करेगा, लेकिन ऐसा नही हुआ, इस बार भी पटाखा व्यवसायी पूरी तहसील में रहवासी इलाकों में पटाखों का अवैध भंडारण कर रहे है, लेकिन अफसोस रात गई बात गई की तर्ज पर प्रशासन ने मौन साध लिया है, जो कभी भी लोगों के लिए घातक हो सकता है।
इन शहरो से लाए जाते है पटाखे-
पेटलावद में पटाखे मुख्य रूप से इंदौर या गुजरात के बड़े शहरों से सड़क मार्ग से आते हैं। कुछ व्यापारी दिल्ली से भी पटाखा मंगाते हैं। वहीं थांदला से भी पटाखे लाए जाते है। प्रतिबंध के बाद भी चाइनीज पटाखे मंगाए जाते हैं। लोकल एटम, अनार, लाइटर, आतिशबाजी के दूसरे आयटम इंदौर से आते हैं। सभी पटाखे पिकअप, सवारी वाहन में मंगाए जाते हैं। जानकारों का कहना है कि अधिकांश माल अवैध होता है। इसके बाद भी न तो आरटीओ पकड़ता है और न ही पुलिस रोकती है। थोड़ी मात्रा में ही पटाखे का परिवहन करने के लिए पटाखे के वैध होने की रसीद, परिवहन की अनुमति लगती है, लेकिन इतनी भारी मात्रा में अवैध पटाखों का नगर में पहुंचना चिंताजनक है। प्रषासन जानता भी है कि उनके इलाके में कहां-कहां पटाखे रखे व बेचे जा रहे हैं।
एसडीएम से अनुमति व लाइसेंस है जरूरी-
नियमानुसार पटाखों की बिक्री व भंडारण करने के लिए एसडीएम से अनुमति लेना पड़ती है। दुकान या गोदाम की जगहों का निरीक्षण करने के बाद ही एसडीएम पटाखा दुकान के लिए अनुमति देते हैं। अनुमति के साथ पटाखों के भंडारण करने की क्षमता भी तय की जाती है, लेकिन, लाइसेंस की आड़ में व्यापारी क्षमता से अधिक पटाखों का भंडारण कर रख लेते हैं। लाइसेंस की शर्त के मुताबिक पटाखा स्टोरेज करने की व्यवस्था शहर से बाहर होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। आदेश को ताक पर रखकर यह पटाखा व्यापारी अवैध पटाखे का भंडारण कर रहे है। अवैध पटाखा गोदाम में छोटी सी चिंगारी बड़े हादसे की जिम्मेदार होगी।
ये हैं मानक-
– भीड़भाड़ वाले इलाकों में पटाखे का गोदाम तो दूर दुकानें भी नहीं खुल सकतीं।
– गोदाम में पटाखे रखने और बेचने के लिए प्रशासन की अनुमति जरूरी।
– अनुमति के बाद मैदान या खुले स्थानों पर ही पटाखे रखे या बेचे जा सकते हैं।
– दीपावली में केवल तीन दिन ही पटाखे बेचने की अनुमति देने का प्रावधान है।
– अस्थाई तौर पर दिवाली पर पटाखा बिक्री को जारी होते हैं अस्थाई लाइसेंस।
– दुकानदारों के पास अग्निशमन यंत्र और उससे जुड़े सभी प्रबंध होने चाहिए।

सख्त कार्रवाई करेंगे-
इस संबंध में एसडीएम आईएएस शिशिर गेमावत ने चर्चा में बताया कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। मेरे द्वारा पुलिस और प्रषासन की संयुक्त टीम गठित करवाकर इसके लिए सर्चिंग षुरू करने के निर्देष जारी किए जाएंगे। पटाखा व्यवसाइयो द्वारा रहवासी इलाकों में अवैध भंडारण करने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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