जनजाति विकास मंच और भीमा नायक वनांचल सेवा संस्था ने जिला स्तरीय विचार मंथन मंच का अयोजन किया

0

झाबुआ। स्थानीय केशव इंटरनेशनल स्कूल झाबुआ में जनजाति विकास मंच एवं भीमा नायक वनांचल सेवा संस्था झाबुआ द्वारा जिला स्तरीय विचार मंथन कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न वक्ताओं द्वारा अपने विचार रखे गए तथा संवाद।

कार्यक्रम कार्यक्रम की भूमिका राजेश डावर ने बताते हुए कहा कि आज का यह कार्यक्रम जनजाति समुदाय के विषय विषयों को प्रतिपादित करने तथा आपस में संवाद करने के लिए आयोजित किया गया है। कार्यक्रम दो सत्रों में हुआ प्रथम सत्र में वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय युवा कार्य प्रमुख वैभव सुरंगे द्वारा जनजाति समाज का गौरवशाली इतिहास विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि जनजाति समुदाय शुरू से वनों में रहे हैं अंग्रेज तथा मुगल काल में भी जनजाति समाज ने कभी पराधीनता स्वीकार नहीं की उन्होंने सतत संघर्ष किया और मुगलों और अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब भी देने में कामयाब हुए हैं लेकिन फिर भी जनजाति समुदाय का इतिहास हमें भारत के इतिहास में नहीं मिलता है। क्योंकि सरकार ने जनजाति समाज की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया इसलिए जनजाति समाज का महापुरुषों का इतिहास हमें इतिहास में नहीं मिलता है अपने वक्त प्रस्तुत करने के दौरान उन्होंने जनजाति महापुरुषों जैसे टंट्या भील भीमा नायक ख्वाजा नायक बिरसा मुंडा ऐसे अनेकों जनजाति महापुरुषों के जीवन पर उन्होंने अपना वक्त दिया।

दूसरे सत्र में राज्यपाल भवन में पदस्थ विधि विशेषज्ञ श्री विक्रांत को द्वारा पेसा एक्ट का विषय पर उन्होंने अपना विषय प्रतिपादित किया जिसमें उन्होंने पेसा एक्ट की भूमिका हमारे समाज की परंपरा संस्कृति और इतिहास को संरक्षण करने के लिए जो लागू हुआ है। उसका सही तरीके से गांव तक किस प्रकार से लागू हो सके तथा उसमें हम युवाओं की और समाज के कार्यकर्ताओं की क्या भूमिका हो सकती है। इसमें उन्होंने विस्तृत रूप से अपना वक्त विद्या और जिज्ञासा प्रश्न मंच के उत्तर भी दिए गए।

इसी सत्र में राज्यपाल भवन में पदस्थ विधि विशेषज्ञ मांगू सिंह जी रावत ने भी पैसा एक्टर के संबंध में सभी प्रावधानों को विस्तृत रूप से रखा तथा उसकी भूमिका पिछले स्तर पर कैसे लागू हो सकती है इस पर उन्होंने विस्तृत रूप से अपना विषय रखा।

समापन सत्र में जनजाति विकास मंच के प्रांत प्रमुख कैलाश अमलियार द्वारा अपने जनजाति समाज की परंपरा और रीति-रिवाज और संस्कृति पर विचार रखा और कहा कि 1893 झाबुआ जिले की धरती पर पहला ईसाई पादरी आया था जिसमें उसने सिर्फ और सिर्फ 3 साल में 3 जनजाति समाज के व्यक्तियों को इसाई बनाया था तब से लेकर अभी तक कुछ हद तक ईसाई मिशनरी सफल हुई है लेकिन हमारा जनजाति समुदाय जो है वह किसी भी लालच और स्वार्थ में नहीं आता है अपने धर्म और संस्कृति रिती रिवाज को कायम रखा है बस हमें हमारे क्षेत्र में जागरूक होने की आवश्यकता है और जागरूक होकर के इन विदेशियों षड्यंत्र के खिलाफ जमकर लड़ने की आवश्यकता है हमारा जो पैसा एक्ट लागू हुआ है इसमें ग्रामसभा तय करें कि हमारे संस्कृति रीति रिवाज के अनुसार गांव की जो रीति रिवाज जैसे लावणी मंडल आदि अन्य परंपरा होती है उसमें कोई भाग नहीं लेता है तो उसके पर ग्रामसभा कार्रवाई कर सकती है।

इस दौरान इस विचार मंथन कार्यक्रम में सेवा भारती प्रांत संगठन मंत्री रूपसिंह नागर संघ के विभाग प्रचारक विजेंद्र सिंह जी गोठी, जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत सह संयोजक खेमसिंह जमरा, जनजाति कार्य के विभाग पालक राजेश डावर गोरसिया कटारा शांति बारिया कमलेश हटीला राजेश पारगी रामसिंह निनामा कैलाश चारेल, सुरेश अरड, बच्चुसिंह मैडा आदि अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथि वक्ता एवं उपस्थिति दर्ज कराने वाले कार्यकर्ताओं का आभार जनजाति विकास मंच के जिला संयोजक संजय सोलंकी ने माना।

Leave A Reply

Your email address will not be published.