क्षेत्रीय सांसद कांतिलाल भूरिया ने संसद में उठाया सुप्रीम कोर्ट एसटी/एससी एक्ट में किए संशोधन का मुद्दा

0

झाबुआ। सांसद कांतिलाल भूरिया ने लोकसभा में सदन की कार्रवाई प्रारंभ होते ही प्रतिपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खडग़े के साथ मामला उठाते हुए कहा है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के लिए संसद द्वारा कानून बनाया गया था कि इस समुदाय के लोगों का शोषण करने पर यदि इसकी सूचना संबंधित द्वारा अपने पास के पुलिस थाने में की जाती है तो उस व्यक्ति पर तुरंत कार्रवाई कर इस अपराध के लिए उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता था तथा उसके इस अपराध के लिए जमानत भी आसानी से नहीं मिलती थी। इस प्रकार यह अपराध गैर-जमानती होता था इस प्रावधान के रहते हुए इन समुदाय के लोगों पर यदि किसी प्रकार का शोषण किया जाता था तो उस दशा में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को कानून में पर्याप्त सुरक्षा, आत्मासम्मान की ग्यारंटी होती थी तथा यह समाज जीवन की मुख्य धारा में अपने आपको सुरक्षित महसूस करता था। इस सुरक्षा की भावना के रहते हुए अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग अपना जीवन निर्वाद रूप से जीने के लिए स्वतंत्र थे। किंतु हमारे देश की यह बड़ी विड़बना है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया है। इस कानून को जमानती बना दिया गया है जिससे की इन समुदाय के लोगों को प्रताडि़त करने वाले लोगों को आजादी मिल गई है तथा इस अपराध को करने के बाद भी उन्हें तुरंत कोर्ट से जमानत मिल जाएगी और शोषित व्यक्ति को न्याय तो क्या वह आत्मसम्मान से जीने का मूल-मंत्र भी खो देगा। दिन-प्रतिदिन उन्हें अन्यत समुदाय के लोगों के द्वारा प्रताडि़त किया जाएगा एवं अपराध करने के बाद भी अपराधी कानून की गिरफ्त से दूर होगा। सर्वोच्चय न्यारयालय द्वारा उपरोक्त कानून को अवैध घोषित करने के पश्चात इस समुदाय में घोर निराशा व्याप्त हो गई है और वह अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अन्य समुदाय के लोगों के द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को प्रताडित किया जाएगा जिससे की वह अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे है। भारत सरकार को इस बिंदु पर गंभीरता से कार्यवाही करते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए जो कानून अवैध घोषित किया गया है उसे बहाल किया जाना चाहिए अन्यथा यह मान लिया जाएगा कि इस सरकार की अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं है तथा वह इसके अधिकारों के संरक्षण हेतु गंभीर नहीं है। केन्द्र सरकार पर दबाव बनाते हुए सांसद भूरिया के साथ संसद के प्रतिपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने संसद भवन में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भेंट कर इस बारे में अवगत कराया। तत्पदश्चात संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार द्वारा लोकसभा में वक्तव्य दिया गया कि सरकार इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय में पुर्नविचार याचिका प्रस्तुत करेगी। जिससे की कानून को पुन मान्य किया जा सकेगा। जिससे की अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को राहत मिलेगी।

jhabua live apko rakhe SABSE aage

Leave A Reply

Your email address will not be published.