क्रूस पर येसु की मृत्यु मानवता के लिए परमेश्वर के प्रेम का अंतिम और परम उत्कृष्ट प्रदर्शन : सिस्टर निर्मला

झाबुआ। चालीसे के इस दोर में कैथोलिक ईसाई समुदाय द्वारा उपवास परहेज़ रख प्रभु येशु के दुखभोग, मरण एवं पुनरुत्थान को याद कर पश्चाताप किया जा रहा है।  पवित्र शुक्रवार ईसाई समुदाय के लिए एक महत्व पूर्ण दिन है इस दिन चर्च प्रांगण में अलग अलग समय पर क्रूस यात्रा की जा रही है जिसमें प्रभु येशु ने जो क्रूस यात्रा के दोरान जो कष्ट सहे उसे 14 विश्रामों के माध्यम याद किया जा रहा है। चालीसे के इस काल में अलग अलग क्षेत्रों द्वारा देश में शांति व स्मृद्धि के लिए झाबुआ चर्च में प्रार्थना भी की जा रही है।

होली फैमिली कान्वेंट सिस्टर निर्मला ने बाईबिल आधारित सुसमाचार के माध्यम से बताया कि संत योहन3ः16 ईश्वर ने इस संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया। जिससे जो उसमें विश्वास करता है उसका सर्वनाश न हो। प्रभु येसु का संपूर्ण सांसारिक जीवन कष्टों से भरा था। येसू की पीडाएं केवल शारिरीक से अधिक थी उसने मानवीय पीडा की श्रखंला को सबसे बडी सीमा तक अनुभव किया। हम इन दिनों येसु के दुखभोग के चौथे सप्ताह में प्रवेश कर चूके है। क्रुस से येसु का जीवन हमें एक महान संदेश दे रहा है। 

क्रूस पर येसु की मृत्यु मानवता के लिए परमेश्वर के प्रेम का अंतिम और परम उत्कृष्ट प्रदर्शन थी। अपने पुत्र का बलिदान करके परमेश्वर ने हमें हमारे पापों की क्षमा पाने और अपने साथ मेल मिलाप करने का एक मार्ग प्रदान किया। हमारे मित्र और अपने प्रियजनों के प्रेम की तो एक सीमा होती है। किन्तु येसु का प्रेम बिना किसी शर्त के रहता है। उनका प्यार किसी भी लगाव और ममता से पेरे है। यह बिना किसी अपेक्षा के है। जब हम सांसारिक दुःख तकलिफों, गलतफहमियों और अकेलापन को अनुभव अपने जीवन में करते है। तब हम उस कु्रसित येसु की ओर नजर डाले और उसी कुस से हमें शक्ति, सांत्वना, हिम्मत और शांति मिलती है और हमें एक मधुर वाणी सुनाई देती है। तुम चिंता न करों मैं सदा तुम्हारे साथ हुं। उक्त जानकारी झाबुआ चर्च पीआरओ वैभव खराडी ने दी।

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