क्या भाजपा के लिए वाटर लू साबित होगी भावंतर योजना …?

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झाबुआ लाइव के लिए कल्याणपुरा से गगन पंचाल की रिपोर्ट-
मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन भावंतर योजना किसानों के हित मे शुरू की थी वो आज उन्हीं किसानों के लिये अभिशाप बन गई है सभी जनप्रतिनिधि, सत्ताधारी दल के पदाधिकारी सभी झाबुआ जैसे अति पिछड़े और आदिवासी जिले से अच्छी तरह वाकिफ है यहां का आदिवासी समुदाय अपनी मेहनत पर भरोसा करता है और मुख्यमंत्री की भावंतर योजना ने शायद उन्हें कही का नहीं छोड़ा है और यही वजह है कि झाबुआ जिले से ग्रामीण किसान काम की तलाश में दूसरे प्रदेशों में पलायन के लिए बाध्य हो रहा है। छोटे किसान अपनी छोटी छोटी जरूरतों के लिये अपना 10 किलो अनाज अपनी जरूरत के हिसाब से बेच देता था आज उसे कोई लेने वाला नहीं है। एक बूढ़ी बीमार ग्रामीण महिला अपना अनाज की गठरी लेकर कल्याणपुरा में घूमती रही, उसका अनाज किसी ने नहीं खरीदा, आखिरकार उस वृद्ध महिला बिना इलाजी ही अपना गांव लौट गई। कल्याणपुरा जैसे बड़े कस्बे के लिये प्रशासन पहले से ही होमवर्क कर उपमंडी खोलना थी। जरूरतमंद किसान और उसके परिवार की आवश्यकताओं को अब कैसे पूरा करेंगे? पिछले साल नोटबन्दी के कारण व्यापार प्रभावित हुआ और अब भावान्तर योजना के कारण व्यापारी और किसान अपनी जरूरतों का गला घोंटते नजर आए। इसके विपरीत जनप्रतिनिधि सिर्फ मीडिया के सामने अपने लच्छेदार भाषण देते नजर आए, किसी ने कल्याणपुरा की ओर अपना रुख नहीं किया, जबकि सत्ताधारी दल कल्याणपुरा को अपनी अयोध्या कहते है इस दीपावली अपनी इस अयोध्या में प्रभु श्रीराम नही आये और ना ही अपना कोई दूत भेजा ओर झाबुआ मंडी के चुने हुए प्रतिनिधियों ने इस ओर रुख नही किया जबकि कल्याणपुरा के व्यापरियो के अनुसार सालाना करीब 60 लाख से भी ज्यादा का मंडी टैक्स शासन को चुकाया जाता है, लेकिन उनकी समस्याओं की ओर ध्यान देना किसी ने भी उचित नहीं समझा।

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