भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
अखिल विश्व में कोरोना वायरस से महामारी के चलते हर देश में मौत के आंकड़े और इससे संक्रमित होने वालों की संख्या रोजाना में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं ग्रामीणों में इस महामारी के चलते ग्रामीण भयभीत हो रहे हो रहे हैं। हाल ही में पिछले 6 दिनों से मध्यप्रदेश और गुजरात की बॉर्डर पर बनी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट से आए मजदूर अपने ग्रह गांव की ओर दिन-रात पैदल तो कई वाहन से निकल पड़े और इतने कष्टों के बावजूद भी अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए हिम्मत नहीं हारी जहां जैसी व्यवस्था मिली स्वीकार कर नतमस्तक होकर नाश्ता किया। कभी भोजन पानी मिला तो ठीक नहीं मिला तो इसे ईश्वर के भरोसे चल दिए परंतु सातवें दिन पिटोल बॉर्डर पर आज बिल्कुल सूना सा माहौल है। आज सातवें दिन जो लोग इक्का-दुक्का बॉर्डर पर आ रहे थे जिन्हें बसों में बिठाकर मेघनगर- झाबुआ क्वॉरेंटाइन कैंप तक ले जाया जा रहा है वहां उन्हें 14 दिनों तक रखकर उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी झाबुआ जिले में मेघनगर, थांदला, पेटलावद, झाबुआ में कोरोना टाइम कैंप बनाए गए हैं गए हैं अभी भी कई पैदल यात्री भोपाल, आगरा, दसई, धार और कई लंबी जगहों मजदूर पैदल चलते हुए दिखाई दिए जो क्वॉरेंटाइन कैंप से बचकर अपने गांव में पहुंचना चाहते हैं।
ठेकेदार की गैर जिम्मेदार बात एवं सोशल मीडिया की अफवाहों से गुजरात से भागने पर मजबूर हुए पलायन कर पर गए मजदूर
जैसे ही कोरोना महामारी के बारे में भ्रामक समाचार चैनलों के माध्यम से पता चला कि यहां महामारी वाली बीमारी फैलने वाली है और ठेकेदारों को इन मजदूरों को अपना मेहनताना रुपए नहीं देना पड़े। इसी का फायदा उठाते हुए कई ठेकेदार आया। अफवाह फैलाई गई कि अगर यह अमीरों की और शहर में रहने वालों की बड़े लोगों की बीमारी है तुम लोग अपने गांव में चले जाओ और गांव में यह बीमारी नहीं फैलेगी। तुम वहां सुरक्षित रहोगे। बस इतना सा कहना और सभी दूर से मजदूर अपने गांव काम के स्थानों से अपने घरों की ओर निकल गए गांव के ग्रामीणों में रहने वाले 4 युवाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ठेकेदार ने बताया अभी 21 दिन का बंद है और यह आगे 3 महीने बंद रहेगा तो मजदूरी भी नहीं मिलेगी, खाना पीना रहना कैसे करोगे। हम भी तुम्हारी ढाड़की नहीं दे पाएंगे। भूखे मर जाओगे ऐसा कहने पर हम वहां से जैसे भी हो वैसे उसी हालत में निकल गए जिसके कारण कई किलोमीटर तक शहरों में पैदल चले जिसमें हमारे छोटे छोटे बच्चों के पांव में सूजन आ गई छाले पड़ गए एवं भारी सामान के साथ हम लोग सड़कों पर पैदल चल रहे थे तब कोई आईसर तो कोई ट्रक पिटोल बॉर्डर तक हमें ले आई और पहुंचा दिया इतने लोगों की भीड़ देखकर गुजरात सरकार द्वारा बसों तक बॉर्डर पर छोडऩे का काम किया गया परंतु ठेकेदारों द्वारा थोड़ा सा मेहनताना दिया बाकी हमें रवाना कर दिया गया।
आजादी के बाद विभाजन जैसे दृश्य हो गए थे बॉर्डर पर
हमारे देश में लॉक डाउन के छठे 6 दिन तक देश के सभी राज्य की सीमाओं में लाखों लोगों की भीड़ आवागमन का ऐसा माहौल दिखाई दिया जैसे कि देश में हिंदुस्तान पाकिस्तान के विभाजन के वक्त हुआ था। जैसे यूपी बॉर्डर पर दिल्ली बॉर्डर पर लाखों लोगों की संख्या मैं निकल पड़े वैसे ही गुजार मध्यप्रदेश के बॉर्डर पर भी ऐसे ही हालात थे। आज सुबह 10 बजे मध्य प्रदेश जिले के पुलिस का कप्तान विनीत जैन के साथ उच्च अधिकारियों का दल एवं दाहोद जिले पुलिस कप्तान के साथ वहां के उच्च अधिकारियों के दल द्वारा बॉर्डर मीटिंग में यह तय किया गया कि बॉर्डर पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी जो मजदूर जहां पैदल चलते दिखाई दे उसे उसी राज्य के को रनटाइम कैंप में ले जा कर रखा जाएगा एवं 14 दिनों तक भोजन पानी सभी व्यवस्थाएं की जाएगी। इस मीटिंग में झाबुआ जिले के बॉर्डर पर लोडिंग वाहनों को चेक कर आगे जाने दिया जाए एवं जिले में जो खाने-पीने का जरूरी सामान राशन वाले वाहनों को चेकिंग कर राशन का वाहन छोड़ दिया जाए। उसके अलावा केवल मेडिकल से संबंधित और बीमार व्यक्तियों को ही आवागमन करने की परमिशन दी जाए बाकी सभी वहां से वापस अपने गंतव्य की ओर रवाना करदिए जाएंगे।
सामाजिक संगठनों ने किया सार्थक प्रयास
विगत 6 दिनों तक झाबुआ के शकल व्यापारी संघ के अध्यक्ष नीरज राठौड़ के नेतृत्व में समस्त व्यापारी संघ के कार्यकर्ता दानदाताओं द्वारा किए गए इस पुनीत कार्य की सराहना संपूर्ण प्रदेश एवं झाबुआ जिले में हो रही है जिन्होंने प्रतिदिन 10 हजार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की। वही पिटोल के युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सेवा भाव के साथ जैसा बना वैसा अपनी योग्यता अनुसार भोजन की व्यवस्था की। वही जैन समाज के संदीप जैन राज रतन एवरफ्रेश द्वारा भी 3000 भोजन के पैकेट की व्यवस्था कर वितरण किया गया। वही मेघनगर के यशस्वी समाजसेवी सुरेशचंद पूरणमल जैन (पप्पू भैया) द्वारा 2 दिन तक पिटोल बॉर्डर पर भोजन के पैकेट की व्यवस्था कराई गई एवं उन्होंने स्वयं भी 6 दिनों तक फुट तालाब में वनेश्वर हनुमान मंदिर भोजन की व्यवस्था करी उसके अलावा कल रंभापुर के लबाना समाज द्वारा पिटोल बॉर्डर पर भोजन की व्यवस्था की गई थी इन सभी भोजन को वितरण करने के लिए चिराग फाउंडेशन एवं रोटी बैंक झाबुआ के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया जिनकी समस्त जगह सराहना प्रशंसा हो रही है।
जिम्मेदार बोल-
अभी तो पिटोल चेक पोस्ट बॉर्डर पूरी तरह सील कर दी गई है परंतु जो लोग इक्का-दुक्का चार तूफान बॉर्डर पर 24 घंटे तैनात रहेगी। – राजेश गुप्ता परिवहन अधिकारी झाबुआ
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