आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य पृथ्वीराज मसा का नगर में हुआ प्रवेश

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झाबुआ-प्रत्येक व्यक्ति शांति की तलाश में धूमता रहता है। शांति का आधार है साधना। धर्म और अध्यात्म की साधना ही व्यक्ति के परम शांति देने वाली है। उसी साधना के मंत्र को लेकर हम झाबुआ में आए है। आचार्य महाश्रमण के निर्देशानुसार हम आज झाबुआ में आकर निश्चित हो गए है। गुरू की आज्ञा का पालन कर हम निर्भार हो गए है। हमारा जितना भी प्रवास हो उसका अधिक से लाभ लेने का प्रयास सबको करना है। योजनाबद्ध तरीके से हर कार्यक्रम को अंजाम देकर ही समय को सार्थक और सफल करने का प्रयास है। ये विचार आचार्य श्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि पृथ्वीराज ने झाबुआ शनिवार आगमन पर तेरापंथ भवन में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहे। संयम: खलु जीवनम, संयम ही जीवन है निज पर शासन फिर अनुशासन आदि के जयकारो के स्वर के साथ मुनिश्री पृथ्वीराज आदि ठाणा-3 का ग्राम ढेकल से विहार करते हुए शनिवार सुबह नगर प्रवेश हुआ। मुनिश्री चैतन्य कुमार ने कहा- संतो का योग मिलना किस्मत भाग्य की बात है किन्तु उस योग का सम्यग् उपयोग करना परम सौभाग्य की बात है। झाबुआ क्षेत्र आचार्य श्री महाश्रमण के जेहन में बसा हुआ है। सन् 2004 में जब गुरूदेव आचार्य श्री महाश्रमण के अहिंसा यात्रा के दौरान झाबुआ की यात्रा की थी तब से वे झाबुआ का जिक्र अपने प्रवचन में करते रहते है। मुनिश्री अतुल कुमार ने कहा – संत जागृति का सन्देश देते है। व्यक्ति अपनी मोह निद्रा को त्याग कर आत्म जागृति की ओर आगे बढऩे का प्रयास करें। जागृत व्यक्ति ही जीवन में कुछ पाने के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। पारस पत्थर को पाकर भी यदि कोई शख्स उसका उपयोग न करे तो यह पारस पत्थर की नहीं अपितु यह उस व्यक्ति का ही दोष कहा जा सकता है। मुनिवृन्द का पावन पर्दापण पर झाबुआ तेरापंथ समाज के श्रावको ने दूर तक मुनिवृन्द की अगवानी की। जय-जय ज्योतिचरण जय-जय महाश्रमण के घोष के साथ अन्य जय की ध्वनि से मुनिवृन्द मुख्य बाजार से तेरापंथ भवन पधारे। स्वागत कार्यक्रम में मगनलाल गादिया ने स्वागत अभिनन्दन किया। उपासक विशाल कोठारी ने अपने विचार रखें। महिला मंडल दीपा गादिया गीत का संगान किया। तेरापंथी समाज अध्यक्ष नीरज गादिया मंत्री महावीर मुणत, पीयूष गादिया, पंकज कोठारी, तारांचद गादिया, राजेन्द्र चैधरी, मितेश गादिया आदि उपस्थित थे।
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