झाबुआ। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव मे कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने अंधाधुंध फिजूलखर्ची, खराब वित्तीय प्रबंधन और सरकार की आमदनी में रिसाव के कारण प्रदेश को कंगाली के दरवाजे पर खड़ा कर दिया है। नतीजतन सरकार के पास सूखा पीडित किसानों को पर्याप्त राहत देने के लिए भी राशि नहीं है।
हर नागरिक के सिर पर 15 हजार का कर्ज
विकास कार्यक्रम भी जमीनी स्तर पर ठप हो चुके हैं। भूरिया ने कहा है कि अपनी झूठी वाहवाही के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान की विफल सरकार एक नवंबर को प्रदेश का स्थापना दिवस मनाने जा रही है। जिस सरकार ने अपने कार्यकाल में प्रदेश को 150 लाख करोड़ के कर्ज के नीचे दबा दिया हो, उसको इस तरह शाही अंदाज में स्थापना दिवस मनाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा की 12 साल पुरानी सरकार ने प्रदेश के हर नागरिक के सिर पर 15 हजार रुपए से अधिक का कर्ज लाद दिया है। भूरिया ने कहा है कि भाजपा की प्रदेश सरकार अपनी जिन उपलब्धियांे को गिना कर पीठ थपथपाती रहती है, वेे सारी उपलब्धियां फर्जी हैं और कागज पर की गई आंकड़ों की खेती के अलावा कुछ नही हैं। एक तरफ तो फसल की बर्बादी और कर्ज से परेशान किसान अकाल मोत के शिकार हो रहे है और दूसरी तरफ बेरहम भाजपा सरकार मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सैर-सपाटे के लिए 80 करोड़ रुपए के खर्च से नया हवाई जहाज खरीदने जा रही है, जबकि सरकारी बेडे़ में पूर्व से हवाई जहाज मोजूद हैं। प्रदेश सरकार की माली हालत कितनी खराब हो चुकी है, उसका ताजा सबूत यह है कि सरकार 3000 करोड़ का कर्ज खुले बाजार से लेने के लिए मजबूर हो गई है। पिछले दिनों राज्य के वित्तमंत्री जयंत मलैया दिल्ली जाकर केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली के सामने इस बारे में गुहार लगा चुके हैं। इसके अलावा राज्य सरकार 5 हजार करोड़ का साफ्ट लोन उठाने के बारे में भी सोच रही है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हर रोज जिलों में जाकर करोड़ों की घोषणा कर रहें है। रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव को देखते हुए उन्होने संबंद्वित जिलों में तो घोषणाओं की झड़ी ही लगा दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बयान में आगे कहा है कि प्रदेश सरकार के खराब वित्तीय प्रबंधन से रिजर्व बैंक भी काफी खफा है और उसने पूर्व में लिया कर्ज चुकाने की नसीहत सरकार को दी है। भूरिया ने कहा है कि प्रदेश की शर्मनाक बदहाली के मूल में सरकार के स्तर पर वित्तीय अनुशासन हीनता, भाजपा को चुनावी फायदा देने वाली बेकार की योजनाओं पर अरबों रूपयों का अपव्यय एवं खनिज, वन और आबकारी आदि आय के प्रमुख जरियों से जितनी राशि खजाने में पहुंचना चाहिए, भ्रष्टाचार के कारण उतनी नहीं पहुंच पा रही है। खनिज माफियाओं पर उनके द्वारा किए गए अवैध खनन के कारण जो करोड़ांे के जुर्माने किए गए है उनकी रकम की वसूली भी सरकार नहीं कर रही है। यह बकाया वसूली इतनी अधिक है कि यदि सारी कर ली जाए तो किसानों को आसानी से भरपूर राहत पहुंचाई जा सकती है। लेकिन मंत्रियों और नेताओं के साथ खनिज माफियाओं की गहरी दोस्ती के चलते नाम मात्र वसूली हो पा रही है।