750 बालक-बालिकाएं जर्जर स्कूल भवन में पढऩे को मजबूर, जिम्मेदार उदासीन

0

 इस प्रकार छत से टपकता पानी।
इस प्रकार छत से टपकता पानी।
   दीवारों में हो गई बड़ी दरार।
दीवारों में हो गई बड़ी दरार।
 फर्नीचर पर गिरता छत का मलबा।
फर्नीचर पर गिरता छत का मलबा।

झाबुआ लाइव के लिए पिटोल से भूपेन्द्र सिंह नायक की रिपोर्ट-
यूं तो पिटोल हायर सेकंडरी स्कूल में सालाना अच्छा रिजल्ट देकर जिला एवं प्रदेश मे अपना नाम रोशन किया है यहां से पढ़ाई कर पूर्व में कई विद्यार्थी ऊंची पोस्ट पर गए। वही 2015 एवं 2016 मे कई प्रतिभाओं को प्रदेश स्तर पर चयन हुआ है। वही इतनी शिक्षा क्षेत्र प्रतिभावन छात्रों को आगे बढ़ाने वाली स्कूल आज अपनी दयनीय हालत में है यह हायर सेकंडरी भवन दो भागों में बना हुआ है। इस भवन का प्रथम भाग सन 1985 पूर्व का बना हुआ है जो लोहे गार्डर एवं पत्थर की लाल फर्शियों से बना हुआ है जो लाल फर्शिया अब छत से टूट रही है जिसका कारण हर साल छतों से पानी टपकना। वही इसका दूसरा भाग वर्ष 1990 का निर्माण किया हुआ है जो कालम-बीम्ब पर बना हुआ है इसके कालम र्ईंट के बनाए हैं। उस वक्त जिस निर्माण कंपनी ने यह भवन बनवाया था तब से अभी तक हर बरसात में टपकता है जिसके कारण लोहे के सरिये में जंग लगने से पूरी छत जगह जगह नीचे गिरने लगी है कभी कभी तो स्कूल छात्र बैठे हुए होते है तब भी छत का सड़ा हुआ मलबा स्कूल में बैठे छात्रों पर गिरता है। अब बींब सड़कर गिरने लगे। इस भवन के रिपेयरिंग का बजट भी कई बार आया परन्तु भष्टाचार की भेंट चढ़ गया। रिपेयरिंग कार्य वर्तमान अभी एक भवन का अभी कुछ वर्षो पूर्व ही निर्माण हुआ है उसकी हालत तो अत्यन्त दयनीय है जिसके बारे में पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया था वही वर्तमान में शाला भवन का प्रयोगशाला, स्टाफ रूम, अध्यापक कक्ष, बारिश के पानी पूरा टपकता है सभी कक्षों के प्लास्टर टूट जाने से दीवारों मेें बड़ी दरारें हो जाने से भवन कभी भी गिर सकता है भवन जो बींब कालम र्ईंट से बने है वह जमीन में धंस रहे है उनके क्रेक आ जाने से कभी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। पुराना भवन गार्डर एवं दीवार एवं छत से दूरी बन जाने से दीवारों पर दरारें हो गई एवं छत की फर्शिया टूटने लगी है इस परिसर माध्यमिक शाला भवन संचालित है वह जो तकनीकी खामिया एवं भवन निर्माण एजेंसी द्वारा भष्टाचार के चलते घटिया निर्माण के कारण पूरा जीर्णशीर्ण हो गया जिसको जिला पचंायत सीइओ अनुराग चौधरी जी के जिन्होंने झाबुआ मे अपना कार्यकाल शुरू किया एवं प्रथम खाटला मे पत्रकारों एवं पिटोल सरपंच काना गुंडिया एवं अन्य ग्रामीणों द्वारा अवलोकन कराया था उनके साथ जिला शिक्षा आयुक्त शकुन्तला डामोर भी इस भवन को निर्माण करने वाली एजेंसी पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था तब से अब तक कोई कार्रवाई नहींहुई।
दरारों में हैं जहरीले जानवर
भवन का एक कमरा बैठेने लायक नहीं ऊपर-नीचे सब पूरा भवन खोखला हो गया जहां जहरीले जानवर सांप बिच्छु आने का डर बना हुआ है। इसी स्कूल परिसर में एक प्राचीन कुआ है जिसका कोई उपयोग नहीं होता यह कुआं भी प्रथम खाटला बैठक में इन अधिकारियों ने देखा था और साफ सफाई की बात कही परन्तु वह बात अभी तक रंग नही लाई अगर कुएं की सफाई हो जाती है तो वह शोचालय एवं पेशाब घर में उसके पानी का उपयोग हो जाएगा बड़ी समस्या पीने के पानी की है स्कूल में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नही है। 750 बच्चों के लिये वर्तमान मे दो हैंडपंप लगे हुए हैं परन्तु वह पर्याप्त पानी नहीं दे पाते। इसी वजह से स्कूल के भृत्यों को एक किमी दूर से सायकल पर पानी लाने पर मजबूर है। पानी के उचीत समाधान की तुरन्त जरूरत है सकुल बन रहे मध्याह्नï भोजन मे पानी जरूरत होती है जिसके लिए स्कूली विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ता है अगर समय रहते इस परिसर में नए स्कूल भवन का निर्माण नहीं होगा तो कभी यह स्कूल धराशायी हो सकता है जिसमे जान माल की हानि हो सकती है।
750 बालक-बालिकाएं जर्जर स्कूल भवन में पढऩे को मजबूर, जिम्मेदार उदासीन
प्रायोगिक कक्ष एवं सभी कक्षं भी बारीश बजह से रखा सामान रिकार्ड फर्नीचर, अलमारिया आदि खराब हो गई है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.