झाबुआ डेस्क-
जिले में प्राचीन परंपरा आज भी कायम है और राजा ने जो परंपरा शुुुुुरू की है उसे जिले के निवासी आज भी उसी अंदाज एवं उत्साह में मना रहे हैं। होली के तेरह दिन पश्चात राजवाढ़ा चैक में गल का आयोजन प्र्रतिवर्ष की तरह परंपरा अनुसार मनाया गया। राजवाढ़ा चैक पर नगरपालिका द्वारा किए गए आयोजन में लगभग 40 फीट का खंबा जो कि पहले से ही तेल लगाकर चिकना किया हुआ था को गाढ़ा गया और इस खंबे के शीर्श पर एक गुड़ की पोटली बांधी जाती है। जो उपर चड़ने वाले को इनाम के तोर पर दी जाती है। और अपने शोर्य के एवं प्रदर्शन करने वाले एवं प्रतियोगिता में शामिल होने वाले युवको द्वारा इस चिकने खंबे पर चढ़ने का प्रयास शुरू किया गया। युवको के इस प्रयास को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में नगरवासी भी मौजूद रहे जो कि युवकों का होसला अभजाई करते रहे। लेकिन इस परंपरा के अनुसार कुछ युवतियां तेल से सने इस खंबे पर चड़ने वाले युवको पर बांस की हरी लकड़ी से वार भी करती है। और नहीं चड़ने पर या असफल होने वाले युवक पर उलाहना देकर उन्हे रोष दिलवाती है, यह परंपरा है और इसके साथ ही युवको के इस प्रयास में एक साहसी युवक को इस खंबे पर चड़ने मे सफलता भी प्राप्त हो गई। जिसे पहले तो इनाम के रूप में खंबे पर बधी गुड़ मिला और बाद में नगरपालिका द्वारा दिया गया इनाम।