2019 मे नये चेहरे या अलीराजपुर के चेहरे के साथ आयेगी बीजेपी

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झाबुआ / अलीराजपुर डेस्क 

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लोकसभा उपचुनाव बुरी तरह हारने के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने प्रण किया है कि वह 2018 के विधानसभा & 2019 के लोकसभा चुनाव को जीतकर कांग्रेस & कांतिलाल भूरिया से बदला लेंगे । 2018 के विधानसभा चुनाव को अगर इस पड़ताल मे हम छोड़ दे ओर बात  लोकसभा –  2019 की बात करे तो बीजेपी को नया उम्मीदवार सामने लाना पड़ेगा क्योंकि मौजूदा उपचुनाव मे सातो आदिवासी विधायक चुनाव हार गये है लेकिन सबसे कम अंतर से बीजेपी विरोधी इस लहर मे हार पाई है अलीराजपुर विधायक नागरसिंह चौहान ने । अब आईये  हम जानते है कौन कोन हो सकता है बीजेपी का अगला लोकसभा उम्मीदवार —

जी एस डामोर —- ————–

जी एस डामोर ..जी हा यह नाम हाल मे हुऐ लोकसभा उपचुनाव के पहले टिकट वितरण मे खूब चला था खासकर संघ की ओर से इस नाम को तवज्जो दी जा रही थी ओर युवाओ का एक धडा भी इस नाम को लाने की अलग अलग मंचों पर मांग कर रहा था लेकिन शिवराज ने निर्मला पर ही दांव लगाया ओर बीजेपी की प्रदेश इकाई ने निर्मला भूरिया का सिंगल नाम ही भेजा था । इस कारण डामोर कार नाम आगे नही बढा लेकिन जी एस डामोर के बारे मे बताते चले कि वे इस समय पीएचई विभाग के ” ईएनसी” है ओर झाबुआ जिले के ” उमरकोट” इलाके के रहने वाले है वे ओर उनकी धर्म पत्नी रतलाम जिले के ग्रामीण अंचलो मे अपनी सेवाए लंबे समय तक दे चुके है उनकी छवि भी साफ सुथरी ओर अच्छे प्रशाशक की है बताया जा रहा है कि अप्रेल 2017 मे रिटायर्ड होकर वे राजनीति मे दस्तक दे सकते है

नागरसिंह चौहान ———————–

अलीराजपुर के विधायक नागरसिंह चौहान 2019 के एक अन्य दावेदार है हाल के उपचुनाव मे उनका विधानसभा क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा था जहां से सबसे कम अंतर से बीजेपी हारी है करीब साढे 6 हजार के आसपास से । मतलब साफ है कि बीजेपी विरोधी लहर नागरसिंह के इलाके मे आंधी नही बन पायी । ओर तीन बार लगातार जीतकर नागर हैट्रिक पूरी कर चुके है युवा भी है लिहाजा बीजेपी उन पर दांव लगा सकती है ओर 2018 जीतने के पहले ही नागरसिंह को राज्य मंत्रिमंडल मे शामिल कर उन्हें झाबुआ – रतलाम का प्रभारी मंत्री बनाकर उनका इलाके से परिचय करवा सकती है ऐसा होगा ही यह हम दावा नही करते लेकिन एक संभावना तो बनती है ओर राजनीति इसी को कहते है ।

गोरसिंह वसुनिया———————-

विधानसभा चुनाव 2013 मे बीजेपी के लोगो ने खुद पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार गोरसिंह को हराकर अपने पैरो मे कुल्हाडी मार ली थी जिस जनता को बीजेपी को वोट ना करने को कहा गया उसी को मोदी लहर मे बीजेपी को वोट करने को कहा गया मगर जनता ने इस उपचुनाव मे ठेंगा बताकर बीजेपी को करारी शिकस्त देकर पंजा थाम लिया । अब सवाल है कि 2013 मे अभिमन्यु की तरह राजनीतिक हत्या का शिकार हुऐ गोरसिंह को खुद बीजेपी फिर से लोकसभा के लिए आगे बढ़ाएगी ? जवाब भविष्य के गत॔ मे छिपा है लेकिन संभावना का खेल ही राजनीति है संभव है बीजेपी उन्हें कोई सत्ता या संगठन की बडी जिम्मेदारी देकर मुख्य धारा मे ले आये ओर फिर 2019 का सोचे ?

क्या झाबुआ का कोई विधायक –? 

उत्तर मे तो हंसी ही आयेगी क्योकि लगातार प्रदर्शन देखा जा रहा है बात अगर झाबुआ विधायक की करे तो शांतिलाल बिकवाल की खुद की विधानसभा टिकट 2018 अब खटाई मे है जिला संगठन के सबसे करीबी विधायक होने के बावजूद भी वे लगातार हर चुनाव अपनी पार्टी को जीता नही पाये है यहा तक कि मोदी लहर ओर पंचायत चुनाव मे भी बीजेपी हार गयी थी ।इसलिए बिलवाल इस रेस से बाहर है अब बात करे निर्मला भूरिया की तो वह उपचुनाव ही हार चुकी है सरकार & संगठन ओर सीएम के लग जाने के बावजूद भी ओर अपना खुद का विधानसभा इलाका तक उपचुनाव मे गंवा बैठी है हालांकि उनका खुद का मन चुनाव लडने का नही था लेकिन सीएम के दबाव मे उन्हें झुकना पडा था इसलिए लोकसभा अब नही लड़ेगी । अब बात करे थादंला विधायक कलसिंह की तो वह तकनीकी रुप से बीजेपी से बगावत कर बीजेपी को हराकर जीतने वाले निर्दलीय विधायक है पार्टी भले ही अपने मंच पर उन्हें स्थान दे मगर संगठन स्तर पर टिकट वितरण के आकलन मे उनका आचरण बीजेपी अक्षम्य ही मानेगी । इसका मतलब साफ है कि कल सिंह को भी बीजेपी टिकट नही देगी । अब यह संभव है कि 2018 के विधानसभा मे जो विधायक ( अगर बीजेपी का टिकट मिला तो ) जीते तो उन पर बीजेपी दांव लगाने की सोच सकती है ।

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