हैंडपंप-कुओं ने छोड़ा साथ, ग्रामीण इलाकों में जलसकंट गहराया

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झाबुआ लाइव के लिए पिटोल से भूपेन्द्र सिंह नायक की रिपोर्ट-

(फाईल फोटो ) सीईओ चौधरी द्वारा पुराने कुएं का निरीक्षण।
(फाईल फोटो ) सीईओ चौधरी द्वारा पुराने कुएं का निरीक्षण।
भुवान फलिये का जीवित कुआ।
भुवान फलिये का जीवित कुआ।

अल्प वर्षा के कारण सभी गांवों मे भीषण जलसंकट गहराता जा रहा है वही अब पिटोल ग्राम भी जलसंकट से जूझ रहा है जहां सभी और जलस्तर गिरने से हैंडपंप, कुओं एवं बावडिय़ों मे भी पानी नहीं है, इस कारण पिटोल की जनता पानी के लिए दर दर भटक रही है रात्रि 4 बजे से ही महिलाएं कुओं पर रात्रि में जो पानी संग्रहित होता है उसे लेने जाती है रात में जीतना पानी संग्रहण होता वही पानी से ग्रामीण अपना काम चलाते है वही पिटोल के कुछ ही हैंडपंप जीवित है, बाकी हैंडपंप का वाटर लेवल गिर चुका है।
टैंकरों से पानी खरीदने की मजबूरी-
इस भीषण गर्मी में जब कुएं व हैंडपंप बंद हो गए है वही अब लोग टैंकरों से पानी खरीदती है गांव से दूर कालिया, कालाखूंट आदि जगहों के तालाबों के पास वाले कुओं में जलस्तर होता है टैंकर वही से पानी लेकर आते है एवं रुपए लेकर जनता को उपलब्ध करवाते हैं।
नल-जल योजना ने साथ छोड़ा-
लाखों की नल-जल योजन परन्तु पीने योग्य पानी नहीं है यूं तो पिटेालमें वर्षो से नल जल योजना लागू है परन्तु ग्रामीणों को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है गांव से ही 5 किमी दूर गोजियारा डेम से नल जल योजना संचालित होती है वहा पास में कुआं बना रखा है जिसमें मटमैला पानी स्टोरेज होता है वही पानी गांव में सप्लाई होता है जिसके निदान के लिये कई बार फिल्टर प्लांट की मांग रखी गई है पर आज तक फिल्टर प्लांट नहीं बन पाया है, एवं कभी बिजली का फाल्ट तो कभी नदी में पानी का स्टोरेज कम होता है। यह गोजियारा डेम मोद नदी पर बना हुआ है वहा बरसात में डेम के गेट बह गए है तो कई चोरी हो गए है। अगर डेम के गेट वापस लगा दिये जावें एवं बिजली की आपूर्ति व्यवस्थित हो जाए, तो पिटोल मे काफी हद तक जल समस्या का समाधान हो जाए।
इधर उम्मीदें टूटी-
जब सीईओ जिला पंचायत अनुराग चौधरी ने पदभार ग्रहण किया तो उनके पास सबसे पहले पिटोल की समस्या को जानने के लिए खाटला बैठक कर स्थानीय हायर सेकंडरी स्कूल पर की थी जिसमे गांव की अन्य समस्याओं के साथ जल समस्या पर मुख्य रूप से ध्यान देने के लिये संबधित विभागो के अधिकारियों के साथ स्वयं सीईओ चौधरी ने पिटोल के कुओं का निरीक्षण किया एवं तुरन्त कुओ के रि-मेंटेनंस के सबंधित अधिकारियो को निर्देश दिये थे परन्तु आज तक तक उन अधिकारियों द्वारा पिटोल में जल स्त्रोतों की सुध तक नहींली, अभी समय रहते पिटोल के जल स्त्रोंतों का मेन्टेनेंस हो जाता तो काफी हद तक गरीब जनता को पानी मिल पाता। इन कुओं में सुधार के लिए ग्राम पंचायत की सभाओं मे हर बार जनता द्वारा यह मुददा उठाया जाता है पर पंचायत की उदासीनता के चलते आज तक इस ओर कोई उचित प्रयास नहीं किया गया।
पानी हैं पर बिजली गायब-
गांव के ही भुवान फलिया में मकना पिता नुरजी गुंडिया के यहा जीवित कुआं है वह स्वयं अपने खर्च पर कुएं में मोटर डालना चाहता है किन्तु उस स्थान पर विद्युत नही है अगर उस स्थान तक विद्युत सप्लाई उपलब्ध हो जाती तो पानी ग्रामीणों को नसीब हो सकता है।
साथ छोड़ रहे हैंडपंप-
पिटोल, छोटी पिटोल एवं आसपास के कई गांवों मे काफी हैंडपंप बंद हो गये है, एवं कुछ हैंडपंप चालू अवस्था में है जो चालू है उनमे अगर कुछ ओर पाइप डाल दिये जाये तो लोगों को पानी मिल सकेगा, परन्तु हैंडपम्प मेंटेनेंस प्राइवेट ठेकेदार के हाथ मे चला गया जब से मेन्टेनेंस की तरफ कोई ध्यान नही दे रहा है।
लोक यांत्रिकी विभाग का उदासीन रवैया –
पिटोल पंचायत पर झाबुआ से लोक यांत्रिकी विभाग के अधिकारी आये एवं पिटोल की पुरानी नल-जल योजनाओं को ग्राम कालिया के कुएं से पुन: सप्लाई चालू करवाने के लिये कई बार योजना बनाकर ले गए, वही नई नल-जल योजना के साथ जहां गांवों मे कई मोहल्लों तक नल जल योजना के पाइप नहीं डले है वहां तक पानी पहुंचाने हेतु पंचायत से प्रस्ताव तो ले जाते है परन्तु आज तक इन प्रस्तावों पर कोई काम नहीं हुआ।

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