हाथीपावा पर बन रहे सुविधा घर का काम डीएफओ ने रुकवाया ; दी कारवाई की चेतावनी

May

सचिन बैरागी @ झाबुआ

बड़ा सवाल : सामुदायिक भवन बन सकता है तो शौचालय क्यों नहीं
– ग्राम पंचायत कालापिपल के सरपंच को दिया नोटिस, कहा सामुदायिक भवन के आलावा और कुछ निर्माण किया तो की जाएगी वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई
झाबुआ। हाथी पावा की पहाड़ी पर आने वाले पर्यटकों के लिए बनाए जा रहे सुविधा घर का निर्माण कार्य डीएफओ अनिल शुक्ला ने रुकवा दिया है। यही नहीं उन्होंने मामले में ग्राम पंचायत कालापिपाल के सरपंच को भी नोटिस जारी कर कहा है कि यदि सामुदायिक भवन के अतरिक्त वन भूमि पर अन्य कोई निर्माण किया जाता है तो आपके विरूद्ध वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। नोटिस हाथी पावा की पहाड़ी के प्रवेश द्वार पर चस्पा किया गया है।

गौरतलब है कि शहर में ऐसा कोई स्थान नहीं था जहां लोग परिवार सहित जाकर पिकनिक मना सके। एसपी महेश चंद जैन के प्रयासों से हाथी पावा की पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया। यहां करीब 10 हजार पौधे लगाए गए है जो पूरी तरह से जिंदा है। इसके अलावा उद्योगपति बृजेंद्र चुन्नू शर्मा के सौजन्य से बच्चो के लिए झूले चकरी लगवाए गए हैं। छुट्टी वाले दिन यहां पर सैकड़ों पर्यटक पिकनिक मनाने आते है। चूंकि बड़ी तादाद में महिलाएं भी होती है, ऐसे में सुविधा घर की कमी महसूस की जा रही थी। कई बार लोग इस सम्बन्ध में मांग भी उठा चुके थे । जिसके मद्देनजर पंचायत द्वारा सामुदायिक भवन के पास ही सुविधा घर का निर्माण किए जाने की तैयारी चल रही थी। आर ई एस विभाग द्वारा यहां बाकायदा ले आउट भी डाल दिया गया। जब इसकी जानकारी डीएफओ को लगी तो उन्होंने तत्काल काम रुकवाने के साथ ग्राम पंचायत के सरपंच को नोटिस जारी कर दिया। जिसे लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं।
राज्यपाल से लेकर प्रभारी मंत्री व कई बड़े अधिकारी आ चुके हैं देखने
हाथी पावा की पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में संवारने के लिए जो प्रयास हुए है उन्हें देखने के लिए प्रदेश की राज्य पाल आंनदी बेन के साथ प्रभारी मंत्री विश्वाश सारंग सहित कई बड़े नेता और अधिकारी आ चुके है। सभी ने यहा किए गए कार्यों की सराहना की। गत 15 अगस्त को पहाड़ी के ही एक हिस्से में प्रदेश का तीसरा सबसे ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। जो शहर के हर कोने से नज़र आता है।

रेंजर भी है निशाने पर

डीएफओ शुक्ला ने अपने ही विभाग के रेंजर पैट्रिक रावत को भी निशाने पर ले रखा है। उन्हें लगता है कि कहीं न कहीं रेंजर उन्हें अधिकारी के रूप में उतनी तवज्जो नहीं दे रहे जो मिलनी चाहिए। लिहाजा डीएफओ ने रेंजर रावत को भी एक कड़ा पत्र लिख दिया। जिसमे उन्होंने उल्लेख किया है कि वन परिक्षेत्र झाबुआ के कक्ष क्रमांक 295 हाथी पावा में ग्राम पंचायत काला पीपल को सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 0.980 हैक्टेयर वन भूमि व्यप वर्तन की मंजूरी दी गई है। इसके अनुसार वन क्षेत्र में सामुदायिक भवन के आलावा अन्य कोई निर्माण होता है तो रेंजर के साथ ही डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड को वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का दोषी मानते हुए कारवाई की जाएगी।

ये हैं नियम

अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम 2006 की धारा 3(2) के तहत शासन द्वारा प्रबन्धित सुविधाओं के लिए 1 हैक्टेयर से कम वन भूमि और 75 वृक्षों से कम वृक्ष प्रभावित होने की वन भूमि के गैर वन उद्देश्यों के विपथन हेतु वन भूमि के प्रत्यावर्तन की अनुमति के लिए डीएफओ को अधिकार दिए गए है। इसके तहत ही डीएफओ ने अनुमति भी दी और पंचायत द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा था।

जिम्मेदार बोले

– हाथी पावा की पहाड़ी पर जो भी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं वह स्वीकृत क्षेत्र में ही हो रहे हैं। कहीं भी नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया। डीएफओ सर का पत्र मिला है, उसका जवाब तैयार कर रहा हूं। पैट्रिक रावत, रेंजर, झाबुआ

– मेरी जानकारी में आया है की डीएफओ ने सुविधा घर निर्माण पर आपत्ति जताई है। कलेक्टर महोदय के निर्देश पर ही कार्य किया जा रहा था। जैसे आदेश होंगे उन पर अमल किया जाएगा। –संजय सोलंकी, ईई, आर ई स, झाबुआ