सोसाइटी में 500-1000 के नोट के साथ कर्ज जमा नहीं होने से किसानों में मायूसी

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झाबुआ लाइव के लिए परवलिया से हरीश पांचाल की रिपोर्ट-
आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था में 500-1000 रुपए के नोट नहीं लेने से किसानो में मायूसी के साथ आक्रोश है। क्योंकि वर्तमान में अधिकतर किसानों ने अपने खेत में टमाटर की फसल लगाई थी जिसका भाव कम होने से किसानों को नुकसान हुआ, फिर भी किसानों के पास रखे पुराने 500-1000 रुपए नोट के रूप में है जो इन्हें अपनी फसल बेचने से मिली थी लेकिन अब यह चलन से बाहर हो चुके है। लेकिन सोसाइटी में यह नोट ले रहे थे इसलिए किसानों द्वारा इस आशा के साथ की अगली बार फसल के लिए कर्ज मिल सकेगा। इसलिए कर्ज जमा कराया लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा सहकारी बैंक व सोसाइटी से भी 500-1000 नोट लेने से इनकार कर देने से किसानों में मायूसी है। कुछ किसानों ने तो जमा कर दिए 500 1000 सहकारिता बैंक में जमा कर दिए थे, लेकिन में वहां रुपए लेने बंद कर देने से, वापस किसानों को लौटा दिए गए। अधिकतर किसानों के सोसाइटी के अलावा दूसर बैंक में खाते नहीं हैं। गांव व आसपास के कई किसानों के खाते गांव की सोसाइटी में ही है, दूसरी अन्य बैंक में खाते ही नहीं है जिससे उनके पास रखे प्रचलन से बाहर हो चुके 500 और 1000 की नोट है, अब उसका किसान क्या करें। किसानों ने सरकार व रिजर्व बैंक से निवेदन किया कि सहकारिता विभाग सोसाइटी में भी 500 व 1000 के नोट ले ताकि किसान अपने कर्ज जमा करवा सके।

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