सैकड़ों टन टमाटर सडक़ पर फेंक किसानों ने जताया नोटबंदी का विरोध

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A0016झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
नोटबंदी के बाद बने हालातों में टमाटर सहित सभी श्रेणी की फसलों के दाम ओंधे मुंह गिर जाने के चलते हुए भारी नुकसान से नाराज झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के सैकड़ों किसानों ने आज पेटलावद में रैली निकाली और थांदला-बदनावर स्टेट हाईवे पर सैकड़ों टन टमाटर सडकों पर फेंककर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध जताया।नोटबंदी से कालाधन कितना आया यह तो पता नहीं लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ के ‘लालधन’ यानी टमाटर पर नोटबंदी का क्या असर हुआ है आपको इन तस्वीरों को देखकर समझ में आ जाएगा। सडक़ों पर फेंके गए सैकड़ों टन टमाटर किसानों के अनुसार नोटबंदी का असर है। किसानों के अनुसार उनकी नोटबंदी के दौर में और उसके बाद सुध लेने वाला कोई नहीं है। किसान इन हालातों के लिए नोटबंदी को जिम्मेदार ठहरा रहे है किसान नंदलाल के अनुसार नोटबंदी ने पूरे देश का कबाड़ा कर दिया है किसान अब क्या करेगा? इन्हीं किसानों में से एक धर्मेंद्र पाटीदार कहते है कि उनके लिए हालात बेहद मुश्किल हो गए है बच्चो के स्कूलों से अंतिम चेतावनी आ चुकी है फीस भरने की, अब हम कैसे फीस भरे? सडक़ों पर किसानों की मेहनत के पसीने के परिणाम के रुप मे उपजे लालधन यानी टमाटर की यह तस्वीर सरकार के उन दावों की भी पोल खोलती है जिनमें सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाकर रहेंगे की बात करती है इलाके के किसान जयंतीलाल पाटीदार मांग करते है कि सरकार को किसानों की सभी उपज का समर्थन मूल्य तय करना चाहिए और उसी मूल्य पर खरीदना चाहिए।

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