सांसद भूरिया के इलेक्शन मैनैजमेंट को फेल करने वाले ” गुमानसिंह डामोर” पर लोकसभा मे दांव लगाऐगी बीजेपी!!
चंद्रभानसिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव समाप्त हुऐ ; एक बेहद नजदीकी मुकाबले मे बीजेपी ने अपनी सत्ता कांग्रेस के हाथो गंवा दी लेकिन रतलाम संसदीय क्षेत्र के महत्वपूर्ण जिले झाबुआ मे बीजेपी को एक नया नेतृत्व मिलता दिखाई दे रहा है जी हां मै बात कर रहा हूं झाबुआ के नये विधायक गुमानसिंह डामोर की .. झाबुआ – अलीराजपुर जिले की 5 सीटो मे से बीजेपी की एकमात्र सीट पर अगर किसी ने लाज रखी तो वह थे गुमानसिंह डामोर .. जो कि 10 हजार से अधिक वोटों से जीते है । उनकी जीत के पहले 5 महत्वपूर्ण मायने समझिए फिर आगे की बात करते है ।
1)- गुमानसिंह डामोर राजनेता नही बल्कि नौकरशाह थे । ओर नौकरशाह आम तोर पर सफल चुनावी रणनीतिकार नेता नही माने जाते ।
2)- झाबुआ विधानसभा जीतने के महज 20 दिन पहले वे झाबुआ प्रत्याशी बनाकर भेजे गये ।
3) – उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता ओर सांसद कांतिलाल भूरिया के पुत्र डाक्टर विक्रांत भूरिया को हराया है ओर वह भी तब जब खुद कांतिलाल भूरिया बिना उम्मीदवार बने इस चुनाव को जमीन पर लड रहे थे ।
4) – गुमानसिंह डामोर की जीत इसलिऐ भी बडी है क्योकि यह कड़वी सच्चाई है कि झाबुआ विधानसभा क्षैत्र के कई दिग्गज भाजपाई दिल से चुनाव प्रचार नही कर रहे थे ओर भीतरघात मे लगे थे परतुं उसके बावजूद गुमानसिंह डामोर ने उनके षडयंत्रों को विफल किया ओर जीत हासिल की ।
5)- इलाके के लोगो के लिए गुमानसिंह डामोर वाकई मे अजनबी थे लेकिन फर्राटेदार भीली बोलकर आम लोगो से तेजी से जुड गये ओर पहुंच बनाई ।
तो यह वह पांच मायने थे जो गुमानसिंह डामोर की जीत को विशेष बना देते है । अब जानते है कि क्यो आखिर गुमानसिंह डामोर इलाके मे पहले भाजपा मे निर्णायक भूमिका अदा करेंगे ओर उसके बाद बीजेपी उन्हें लोकसभा मे अपना चेहरा बनाकर कांतिलाल भूरिया के खिलाफ उतारेगी । अब जानिए वह 5 कारण जिसके आधार पर करीब करीब यह तय है कि गुमानसिंह डामोर लोकसभा मे बीजेपी के उम्मीदवार होंगे । कारणों को जानने के पहले आपको यह बता दे कि बीजेपी की योजना यह थी कि अगर उनकी सरकार बनती तो गुमानसिंह डामोर को पहले मंत्री बनाया जाता ओर फिर रतलाम ओर अलीराजपुर का प्रभारी मंत्री बनाकर इलाके मे उतार दिया जाता ओर फिर लोकसभा लडाया जाता लेकिन अब सरकार नही बनी है तो अब यह होगा । क्यो उन्हें लोकसभा मे आजमाना चाहती है बीजेपी यह इन 5 कारणों से समझिए।
1) – मध्यप्रदेश मे बीजेपी भले ही 15 साल से सत्ता पर काबिज रही लेकिन इलाके मे बीजेपी का कोई ऐसा कद्दावर नेता नही खडा कर पाई जो कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को टक्कर दे सके । दिलीप सिंह भूरिया जरुर भाजपा मे थे लेकिन वे आयातित नेता थे । लिहाजा गुमानसिंह डामोर जिस तरह से जीते है उससे बीजेपी को लगता है कि गुमानसिंह डामोर मे वह सारी संभावनाऐ है जो कांतिलाल भूरिया को टक्कर देने वाले नेता होने के लिए जरुरी होती है।
2) – इस विधानसभा चुनाव मे गुमानसिंह डामोर के चुनावी प्रबंधन ने कांग्रेस के सांसद कांतिलाल भूरिया के चुनावी प्रबंधन को मात दी है ।
3)- गुमान सिंह डामोर सिर्फ भाजपा ही नही आर एस एस के भी पसंदीदा चेहरा है ।
4)- गुमानसिंह डामोर उस भील आदिवासी जनजाति समाज से आते है जिससे कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया आते है सभी जानते है कि लोकसभा मे इसी भील जनजाति के मतदाताओ की बहुलता है इसलिऐ मजबूरी भी इसी जाति के उम्मीदवार देने की होती है ।
5) – गुमानसिंह डामोर .. भले ही बाहर ज्यादा रहे है लेकिन उनका ठेठ भीली अंदाज ओर सरलता – सहजता आम लोगो को आकर्षित करने मे सक्षम है । साथ ही साथ रतलाम जिले मे भी उन्होंने नोकरी का एक बडा वक्त बिताया है इसका फायदा उन्हें मिल सकता है ।
तो इस वजहों से यह कहा जा सकता है कि बीजेपी ओर आर एस एस को एक तरह से नया विधायक ही नही नया लोकसभा उम्मीदवार भी मिल गया है । हालांकि कल झाबुआ लाइव ने यह सवाल गुमानसिंह डामोर से पूछा था जिसके जवाब मे उन्होंने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी लेकिन यह भी कहा था कि अगला लोकसभा चुनाव रतलाम – झाबुआ का बीजेपी जरुर जीतेगी।
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