संसदीय सौध नईदिल्ली बैठक में सांसद भूरिया ने लगाए आरोप, केंद्र सरकार गुप्ता एजेंडे के तहत खत्म कर रही आरक्षण

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झाबुआ लाइव डेस्क-
संसदीय सौध नईदिल्ली में आयोजित अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी संसदीय समिति की बैठक जिसका प्रमुख बिंदु क. गैस तथा पेट्रोल एजेंसियों के आवंटन में अजा-अजजा हेतु आरक्षण तथा इंडियन ऑइल कॉपोर्रेशन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के अजा/अजजा कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण सहित सेवाओं में अनुसचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा में भाग लेते हुए सांसद कांतिलाल भूरिया द्वारा अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकार का कहना है कि बैकलॉग का कारण पर्याप्त संख्या में उपयुक्त उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के कारण हो रहा है। सांसद भूरिया ने कहा कि यदि ऐसा है तो सरकार को इन पदों को भरने के लिए जो मापदंड बनाए गए ह ैं उनको शिथिल कर यह सुनिश्चित किया जाए कि यह रिक्त पद जल्दी ही भरे जाए, जिससे की बैकलॉग की स्थिति खत्म हो। सांसद भूरिया ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रतिनिधियों तथा इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के प्रबंधन पर अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पेट्रोल पंपों और गैस एजेंसियों के आवंटन में अजा/अजजा के उम्मीदवारों से सरेआम 50 लाख की रिश्वत मांगी जाती है और जो रिश्वत देने में सक्षम होता है उसे एजेंसी दी जाती है, समिति के अध्यक्ष कीरीट सोलंकी द्वारा इस पर ध्यान देने हेतु कहा।
सांसद कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार नौकरियों में आरक्षण खत्म करना चाहती है जो कि उसका गुप्ता एजेंडा है। इसी कारण सरकार लीपापोती कर रिक्त पदों को विभिन्न प्रकार के मुद्दे बनाकर उन्हें नहीं भर रही है। जबकि इन तीनों ही समुदायों के योग्य उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में डिग्रियां लेकर बेरोजगार होकर मारे-मारे फिर रहे हैं। भूरिया ने उदाहरण देते हुए कहा कि मप्र में ही लगभग 1 लाख 50 हजार बैकलॉग पदों को नहीं भरा गया है जिससे की एससी-एसटी के युवाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। कमोबेश पूरे देश में इसी प्रकार की स्थिति निर्मित हो रही है। यदि सरकार इस विषय में गंभीर है तो उसे इस और ध्यान देकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर पूरे देश में जितने भी बैकलॉग के पद रिक्त है, उन्हें शीघ्र ही भरने हेतु रचनात्मक कदम उठाना चाहिए और इन वर्गों को रोजगार मुहैया कराने हेतु आवश्यक प्रयास करना चाहिए, तभी प्रतिपादित होगा कि केंद्र सरकार इस विषय में गंभीर ही नहीं बल्कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए दृढ़संकल्पित भी है।

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