विराट वैदिक सम्मेलन में बोले सिक्किम के राज्यपाल गंगाप्रसाद : भारतीय संस्कृति मानव जाति के साथ समन्वय बनाकर जीवन को आदर्श ढंग से जीने का विधान है
रितेश गुप्ता, थांदला
वेद ज्ञान-विज्ञान के अद्भूत व अक्षय भंडार है भारतीय संस्कृति के उच्चतम आदर्शो के माध्यम से जीवन को भेदभाव रहित व संपूर्ण मानव जाति व प्रकृति के साथ समन्वय बनाते हुए जीवन को आदर्श ढंग से जीने का विधान है। उक्त प्रेरणादायी उद्बोधन स्थानीय महर्षि दयानंदन सेवाश्रम के स्वर्ण जयंती समारोह के अंतिम दिन मुख्य अतिथि के रूप में सिक्किम राज्य के राज्यपाल महामहिम गंगाप्रसाद ने विराट वैदिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं। शुरूआत में महामहिम ने कहा कि झाबुआ जिले में आकर स्वयं को गौरवान्वित बताते हुए कहा कि अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद व इस पुण्य भूमि को नमन किया। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों की विवेचना करते हुए कहा कि भारत का इतिहास बहुत प्राचीन है एवं उत्थान व पतन के अनेक दौरों से गुजरा है एक समय वह भी आया था जब वेद-ज्ञान पर व भारतीय सस्कृति पर अंधकार के बादल मंडराए थे। उसी दौर मे जबकि सस्कृति की महान अवधारणा क्षतिग्रस्त हो रही थी तब एक क्रांतिकारी प्रकाशपुंज महर्षि दयानंद सरस्वती प्रार्दुभाव हुआ। उन्होंने धर्म संस्कृति व सामाजिक ज्ञान संबधि मान्यताओं को नई दिशा दी। उन्होंने चारों वेदे के सार को (सत्यार्थ प्रकाश) संपूर्ण मानव जाति के समाने प्रस्तुत किया। वेदों को सत्या जाति-पाती, छूआछुत, भाषा, वेशभूषा व भेदभाव को दूर करने का आव्हान करते हुए बताया कि वेद ही संपूर्ण ज्ञान विज्ञान सत्य व मानवता का संविधान है। महामहिम ने विश्व के वर्तमान परिदृश्य में विस्तार से बोलते हुए कहा कि संपूर्ण विश्व विध्वंस की कगार पर खड़ा है भारतीय संदर्भ में भी उन्होंने देश को बाह्य आंतरिक खतरों से आगाह किया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज औ वेद्य वर्तमान संदर्भ में प्रकाश की एक किरण है आर्य समाज के देश के प्रति योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि कांग्रेस के दौर मे डॉ. सीतारमया ने कांग्रेस के इतिहास मे लिखा कि उस दौर में 87 प्रतिशत लोग आर्य समाज से आए थे। पूर्व प्रधानमंत्रीइंदिरा गांधी ने अजमेर के विशाल आयोजन मे स्वंय को आर्य समाज की देन बताया था। समाज में व्याप्त सभी ऊंच-नीच को भूलकर संभाव के साथ भारत के गौरव को बढ़ाने का उपक्रम करे व महर्षि दयानंद के ऋणी है। उन्होंने दयानंद आश्रम थांदला द्वारा संचालित किए जा रहे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय के प्रकल्पो की प्रशंसा करते हुए स्वयं की ओर से 51 हजार रुपए आश्रम के बच्चो को भेंट किये व देश के साथ ही प्रदेश के अनेक पिछड़े क्षेत्र मे आर्य समाज का अभार माना।
अंतर्राष्ट्रीय आर्य प्रतिनिधि महासचिव प्रकाश आर्य ने अपने अध्यक्षी उद्बोधन में कहा कि सनातन धर्म का दिगदर्शन आर्य समाज ने कराया। संस्कृति का संरक्षण इसने किया। विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों मं आर्य समाज मे चलाई जा रही गतिविधियो ंब्योरा देते हुए आर्य ने कहा कि सीमित संसाधनों में इस अंचल मे कार्य करना महत्वपूर्ण है किंतु आर्य समाज इस कार्य मे मनोयोग व संकल्प के साथ कार्यरत है। कार्यक्रम मे ंविशिष्ट अतिथि केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत व जसवतसिह भाबर ने दयानंद सेवाश्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां से निकले जनजातीय छात्रों में सामाजिक राजनैतिक प्रशासनिक क्षैत्र में योगदान पर खुशी प्रकट करते हुए कहा कि वह भारत सरकार की ओर से व निजी तौर पर सहयोग करने में तत्पर रहेंगे। अतिथियों के उद्बोधन के पूर्व विश्व स्तरीय वैदिक प्रवक्ता आचार्य वेद प्रकाश, डॉ सोमदव शास्त्री मुम्बई, आचार्य महेन्द्रपाल कोलकाता ने भी वेद संदर्भित अकूट ज्ञान भंडार से श्रोताअंो को रसपान कराया। स्वागत भाषण समिति के अध्यक्ष विश्वास सोनी ने दिया। कार्यक्रम संयुक्त संचालन आचार्य दयासागर व जीववर्धन शास्त्री ने किया। महामहिम व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर आयोजन की शुरूआत की। वेदपाठी विद्वानों ने वेद की रिचाओ का पाठ किया। मंचासीन महामहिम व मंत्रीद्वय को संस्था की ओर विश्वास सोनी आचार्य दयासागर ने तीर कमान भेंट कर परम्परागत झुलडी पहनाई। संगीता सोनी ने महामहिम को चांदी का कड़ा भेंट किया। आयोजित कार्यक्रम में आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के धर्मपाल गुप्ता झाबुआ विधायक गुमानसिंह डामोर, सीसीबी अध्यक्ष गौरसिंह वसुनिया, पूर्व विधायक कलसिंह भाबर, ओमप्रकाश भट्ट, कमलेश दातला, नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा, विजयसिंह राठौड, योगाचार्य विश्वामित्र धर्मवीर शास्त्री भूरका भाई, नीरज भट्ट, प्रवीण अत्रे तथा इस संस्था के पूर्व छात्र व वर्तमान मे प्रशासनिक सेवारत रामसिंह कटारा गुलाबसिंह व रमेश आर्य समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। अंत में समिति द्वारा महामहिम के हाथों उपस्थित प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया कर्मियों के अलावा संस्था के शिक्षकों सम्मानित किया गया। तीन दिवसीय 5 कुंडीय यज्ञ की पूर्णाहुति आज वेदाचार्यो व यजमानों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। अवसर पर पधारे समस्त जनों के लिये भोजन प्रसादी की व्यवस्था भी आयोजकों द्वारा रखी गई।
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