रेलमंत्री से मुलाकात कर सांसद भूरिया ने इंदौर-दाहोद, छोटाउदयपुर-धार रेल लाइन के अधूरे निर्माण से करवाया अवगत

0

झाबुआ लाइव डेस्क-
सांसद कांतिलाल भूरिया द्वारा संसद भवन में रेल मंत्री पियुष गोयल से मुलाकात कर उन्हें अवगत करवाया कि उनके संसदीय क्षेत्र की इंदौर-दाहोद एवं छोटाउदयपुर-धार दोनों ही परियोजनाओं की आधारशीला झाबआ में 8 फरवरी 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह द्वारा रखी गई थी, तब यह आशा व्यक्त की गई थी कि दोनों लाइनों पर रेलगाडिय़ों का परिचालन 2011 तक प्रारंभ किया जा सकेगा। इंदौर-दाहोद 205 किमी रेल लाइन में से अभी तक मात्र 50 किमी रेल मार्ग का निर्माण कार्य ही संभव हो सका है। उन्होंने रेल मंत्री गोयल से कहा कि इंदौर से टीही के 35 किमी और दाहोद से कटवारा के 15 किमी दो हिस्से बन कर तैयार है उन पर भी यात्री गाडिय़ों का संचालन प्रारंभ नहीं किया गया। परिणामस्वरूप जनता को सीधे तौर पर इससे कोई भी फायदा प्राप्त नहीं हो पा रहा है। दाहोद लाइन पर 15 किमी लंबी छह सुरंगों का निर्माण होना है। यह कार्य तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन होता है, तथा रेल अधिकारियों को इस बात का संज्ञान लेते हुए इस कार्य को प्राथमिकता के के आधार पर लिया जाना चाहिए था, जिस और आवश्यक ध्यान नहीं दिए जाने से 10 वर्ष बाद भी जनता को रेल सुविधा प्राप्त नहीं हुई है। सांसद भूरिया ने कहा कि रेल लाइनों के निर्माण के साथ जिन कार्यों में सबसे अधिक समय लगता है उन्हें प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभ करना चाहिए, सुरंगों को सबसे पहले बनाया जाना चाहिए क्योंकि रेल लाइन डालने के बाद यदि सुरंग तैयार नहीं है तो रेल लाइन को आगे जोड़ा नहीं जा सकता। एक सुरंग बनाने का काम लेने से कंपनियों को कठिनाई हो सकती है। इसलिए अलग अलग पैकेज में दो-तीन सुरंगों के निर्माण का कार्य उन्हें दिया जा सकता है। रेलवे द्वारा आतंरिक रूप से 2022 तक परियोजनाएं पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है, जो कि संभव प्रतीत नहीं होता।
सांसद भूरिया रेल मंत्री को अवगत करवाते हुए बताया कि दाहोद लाइन की पहली सुरंग टीही व पीथमपुर स्टेशन के बीच लगभग 2 किमी लंबी सुरंग बनने के बाद ही पीथमपुर और धार तक रेल लाइन पहुंच सकेगी जिसे बनने में लगभग दो ढाई साल लगेंगे। गौरतलब है कि अभी तक तो टेंडर ही नहीं हुए। धार से झाबुआ के बीच अन्य सुरंगों का निर्माण होगा जिसमें कई वर्ष लग जाएंगे और रेलवे को एक बहुत पड़ा फंड व्यय करना होगा।
भूरिया ने कहा कि भूमिपूजन के समय इंदौर-दाहोद रेल परियोजना की लागत 700 करोड़ रुपए थी जो अब बढक़र 1650 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इस रेल लाइन के निर्माण में देरी के अन्य कारण पहले पांच साल में ज्यादा फंड नहीं मिला। जमीन अधिग्रहण में देरी होना, कार्य को प्राथमिकता क्रम में नहीं रखना, परियोजना में बार-बार बदलाव करना तथा मप्र राज्य सरकार का परियोजना क्रियान्वयन के लिए ज्यादा चिंतित नहीं होना प्रमुख बिंदु है।
रतलाम-बांसवाड़ा रेल परियोजना कार्य भूमि अधिग्रहण की विषमताओं तथा राजस्थान सरकार द्वारा भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाने के बाद से मुकर जाने के कारण रेल लाइन के निर्माण पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। सांसद कांतिलाल भूरिया ने रेल मंत्री को यात्री गाडिय़ों में गंदगी चाहे पर सुपरफास्ट हो, शताब्दी एक्सप्रेस या राजधानी एक्सप्रेस हो की ओर आकर्षित कर बताया कि टॉयलेट का गंदा पानी भी, एसी के अंदर तक आ जाता है तो अन्य रेलगाडिय़ों की हालत तो और भी बदतर है। संसदीय क्षेत्र झाबुआ जो कि आदिवासी बाहुल्य है कि तीनों महत्वपूर्ण रेल लाइनों को प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कार्य किए जाने हेतु समयबद्ध कार्यक्रम बनाकर शीघ्र ही रेल मंत्रालय द्वारा कदम उठाया जाना चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.