झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट:-
भाई बहन के त्योहार का प्रतीक रक्षाबंधन शनिवार को बड़ी ही सादगी से साथ मनाया जाएगा। बाजार पूर्ण रूप से सज कर तैयार हो चुके है। चारो ओर अच्छी खासी दुकान सजकर तैयार है। बच्चों को रिझाने के लिए भी जमाने के चलन के हिसाब से नई राखियो से नगर के बाजारो की दुकाने सज चुकी है लेकिन पर्व पर महंगाई की मार भी साफ नजर आ रही है। राखियों के दामों में इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है जिससे बहनों के पर्सो पर स्नेह के दिन बोझ बढ़ना स्वाभाविक है। बाजार में एक रुपए से लेकर 200 रुपए तक राखियां बिक रही है। रक्षाबंधन का पर्व नजदीक आते ही बाजारो में रोनक छाने लगी है। महंगाई के इस दौर में रक्षाबंधन पर्व पर इसका सीधा असर साफ दिखाई दे रहा है। आवश्यक वस्तुएं इतनी महंगी हो गई है लेकिन खरीदना भी मजबूरी बन गई है।
बाजारो में उमडे़गी भीड़ – शनिवार को नगर मे हाट बाजार होने तथा राखी का त्योहार होने के कारण इस बार शनिवार पर अच्छी खासी भीड़ होगी। व्यापारियो ने अपने दुकाने सजा कर तैयार कर ली है। अब बस केवल ग्राहकी का इंतजार है। व्यापार भी बड़ी आस के साथ अपनी दुकान सजा कर ग्राहक का इंतजार कर रखा है ताकी उसकी भी त्योहार सुधर सके। बोवनी का कार्य पूर्ण होने पर अब किसान पूर्ण रूप से बाजार मे खरीदी फरोख्त कर सकते है। क्षेत्र में अनुमानित ठीक-ठाक वर्षा होने से किसानो के चेहरो पर जो चिंताओं की लकीरे थी वह अब दूर हो गई है एक नई खुशी साफ दिखाई दे रही है। जिसके ग्रामीण किसानो को द्वारा कपड़े, किराना, राखी आदि की भी अच्छी खासी तैयार कर रखी है।
शुभ मुहूर्त मे बंधेगी राखी- धार्मिक मान्यतानुसार राखी को रक्षासूत्र भी कहा जाता है इसे लेकर अनेक कथाएं अंचल में प्रचलित है जिनके अनुसार रक्षा बंधन के दिन बहने अपने भाइयो को कलाई पर रखी बांधकर उनके स्वस्थ्य जीवन, रक्षा व लंबी आयु की कामना करती है। इस वर्ष यह पर्व अंचल में 29 अगस्त शनिवार का है रक्षा बंधन के दिन सभी घरो में शुभ मुहूर्त में बहने अपने भाइयो को कलाई पर राखी बांधने के साथ ही घर की कीमती वस्तुओं पर भी रेशम की डोर बांधेगी।
इन दिनो सोशल नेटवर्क के वाट्सएप पर एक मैसेज आम हो रहा है जिसमें शुभ मुहूर्त मे ही राखी बांधने का महत्व व अशुभ मुहूर्त में राखि बांधने से होने वाली नुकसानो को बताया गया है। खैर, जो भी हो लेकिन रक्षाबंधन का त्योहार का इंतजार बहनो को कुछ ज्यादा ही रहता है और इस दिन वह अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उसकी लंबी आयु की कामना करती है तो वह शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधेगी।
दीपावली तक चलेगा राखी का दोर:- झाबुआ जिला आदिवासी बहुल अंचल होने से व आदिवासी वर्ग द्वारा वर्षभर मे मजदूरी के लिए अन्य प्रांतो मे जाने के कारण त्योहार के समय अपने घर पर नही होने से त्योहार को मजदुरी से लोटने पर दीपावली तक राखी के त्योहार को मनाया जाता है।
नरियल की ब्रिक्री भी जोरो परः- राखी के त्योहार पर आदिवासी वर्ग द्वारा अपने रिश्तेदारो को नरियल भेंट कर अपनी परंपरा का निर्वाह किया जाता है जिसके चलते राखी पर्व पर राखी के साथ साथ नरियल की बिक्री भी जोरो पर रहती है।
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