रसोइयन-चौकीदार को सात माह से वेतन नसीब नहीं, रोजी-रोटी का संकट गहराया

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
जनसुनवाई में रसोईयन और चौकीदार सात माह से वेतन नहीं मिलने की समस्या ले कर पहुंचे,जहां पर बीईओ शंकुतला शंखवार ने बजट का अभाव होने से वेतन नहीं मिलने की बात कही। इस बार विकासखंड स्तर पर ही जनसुनवाई का आयोजन किया गया। रसोईयनों और चौकीदारों का कहना है कि हम लंबे समय से कम वेतन में काम कर रहे है किंतु हमें समय पर वेतन नहीं मिलता है जिस कारण से हमारा घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। इसके साथ ही इस समय परीक्षा का समय है हमारे बच्चों की स्कूल फीस के पैसे भी हमारे पास नहीं है, जिस कारण से स्कूल संचालक उन्हें परीक्षा से बाहर बिठाने की बात कह रहे है। ब्लास्ट में मृत मनोज बारेला की पत्नी का कहना है कि मेरी छोटी बच्ची जो ब्लास्ट के समय घायल हो गई थी उसका इलाज और मेरा घर चलाने का एक मात्र आधार यह नौकरी है। सात माह से वेतन नहीं मिल रहा है। घर में खाने के दाने नहीं है और बच्ची का इलाज कैसे करवाऊं। पहले तो सरकार ने इलाज करवा दिया पर अब घर से ही पैसे दे कर इलाज करवाना पड़ रहा है। बीईओ शंखवार के मुताबिक हम क्या करें पूरे विकासखंड की यहीं स्थिति है। हमें 40 से 50 लाख रूपए का बजट चाहिए,सभी का वेतन देने के लिए किंतु आवंटन 50 हजार तक ही आ रहा है। इन समस्याओं का मुख्य कारण स्वीकृत पद से अधिक नियुक्ति और ब्लास्ट के समय हुई नियुक्ति के कारण हो रहा है। भोपाल में जो स्वीकृत पद है उसी आधार से बजट आता है किंतु यहां संख्या अधिक है जिस कारण से परेशानी होती है। रसोईयन और चौकीदारों का कहना है कि जल्द ही कङ्क्षई निराकरण नहीं होता है तो हमारे द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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