रतलाम-फूलमाल मार्ग हुआ खस्ताहाल, राहगीरों का चलना हुआ दुश्वार

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
रतलाम-झाबुआ मार्ग की दुर्दशा और उस पर हो रही परेशानी पर भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे है। आलम यह है कि पूरे मार्ग पर कई जगह से बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। चालक-परिचालक के विरोध और धरने के बाद मार्ग पर मरम्मत के लिए चार राशि स्वीकृत तो की गई है लेकिन कार्य शुरू नही किया गया। गौरतलब है कि एमपीआरडीसी ने वर्ष 2014 मे रोड का निर्माण किया गया। वर्ष 2014 मे करीब 85 करोड़ की राशि से उक्त कार्य राजस्थान की फर्म एचएस मेहता ने उक्त निर्माण कार्य में अधिकारियों की साठगंाठ कर दोयम दर्जे का कार्य किया कि एक वर्ष के भीतर ही उक्त मार्ग जर्जर होने लगा। ग्रामीणों ने रोड के घटिया निर्माण को लेकर शिकायत की परंतु इन्दौर-उज्जैन संभाग में यह रोड उलझा रहा और शिकायते होती रही।
जिम्मेदारों ने नहीं ली सुध-
मार्ग पर हो रहे घटिया कार्य की भी शिकायत समय समय पर अधिकारियों को की गई किंतु फिर भी ठेकेदार के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। यदि समय पर कोई ठोस कार्रवाई होती तो करते शायद 85 करोड़ रुपए की लागत से बना रोड भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ता और न ही राहगीर, बस मालिक, ट्रक मालिक परेशान होते। जब कि यह रोड दो राज्यो की सीमा को जोडता है।
इनकी सुनो-
क्षेत्र के युवा नेता कृष्णपालसिंह गंगाखेडी का कहना है कि यह रोड गारंटी अवधि में ही जीर्णशीर्ण हो गया था, जिसकी शिकायत कई बार जनप्रतिनिधियों और वाहन मालिकों ने भी की परंतु अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। अब मरम्मत के टेंडर लगे है यदि उक्त कार्य भी मनमर्जी का होगा तो इस मार्ग की दशा मे बदलाव नहीं होगा। और आमजन परेशान ही होते रहेंगे।
जिम्मेदार बोल-
जब इस संबंध में एमपीआरडीसी के संभागीय आयुक्त बीपी बोरासी से चर्चा की तो उनका कहना है कि रोड पहले उज्जैन संभाग में था परंतु सन् 2015 में इंदौर संभाग में आया है। वर्तमान में रोड का पैचवर्क का टेंडर हो चुका है कार्य शीघ्र ही प्रारंभ कराया जाएगा।

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