यौमे आशूरा पर निकले ताजिये, दिनभर गूंजता रहा या हुसैन-या हुसैन

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रितेश गुप्ता, थांदला 

मोहर्रम पर्व पर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके 72 जानिशारों की शहादत पर्व बड़े ही अकीदत के साथ मनाया गया। इस दौरान मोहर्रम की 1 तारीख से 10 तारीख यानी की मंगलवार तक जामा मस्जिद थांदला में मौलाना इस्माइल बरकाती साहब ने मुस्लिम धर्मावलंबियों को शहादतनामा सुनाया। प्रतिदिन इशा की नमाज के बाद शहादतनामा होता रहा जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शिरकत कर सवाबे दारैन किया। इस दौरान तबर्रुक का इंतजाम आरिफ खान, जावेद खान, अब्दुल सत्तर छीपा, सलाम छीपा व उनके परिवार के लोगों ने दस दिनों तक आयोजन को सफल बनाने में अपना अहम योगदान दिया। वहीं मोहर्रम पर्व के चलते मुस्लिम मोहल्लों में खिचड़ा लंगर, शबील शरबत, दूध कोल्डिंक्स लगाए गए। वहीं मंगलवार को यौम-ए-आशूरा के चलते सुबह 9 बजे मौलाना इस्माइल बरकाती साहब ने इमाम की शहादत सुनाई जिस पर धर्मावलंबी गमगीन दिखाई दिए। वहीं इसके पश्चात बरकाती साहब ने आशूरा की दुआएं पढ़ाई तो नमाजे निफ्ल अदा करते मुस्लिम धर्मावलंबी मस्जिद में नजर आए। इसके पश्चात जोहर की नमाज के बाद ताजियों का जुलूस निकला जिसमें इमामाबाड़ा का ताजिया, अकबर खान-सन्नुभाई का ताजिया, आबिद भाई-शहजाद कुरैशी का ताजिया तो वहीं जामा मस्जिद का ताजिया जाकिर ने बनाया। इसके साथ ही कई छोटे बड़े आकर्षक ताजिये नाते पढ़ाई हुए निकाले गए। इसमें सबसे ज्यादा आकर्षक आबिद भाई गौरी-शहजाद कुरैशी व अकबर कल्लूभाई-सनुभाई के ताजिये दिखाई दे रहे थे। इस दौरान सभी धर्म के लोगों ने ताजियों के सामने नारियल फोड़े, लोट लगाई और अपनी मन्नते उतारते नजर आए। इस दौरान सभी ताजिये गांधीचौक में पहुंचे एवं वहां से पुराने डाक घर पर मुकाम कर नगर में ताजिये निकाले गए। इस मौके पर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही और पुलिस-प्रशासन ने गणेशोत्सव में दो-दो त्योहार के चलते अपनी सुरक्षा व्यवस्था व मैनेजमेंट बेहतर बनाया और इसके लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी व थाना प्रभारी, एसडीएम, एसडीओपी नजर रखे हुए थे।

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