झाबुआ लाइव डेस्क के लिऐ ” जितेंद्र राठोड”
एक समय था जब चिट्ठी ही सिर्फ लोगों के बीच संवाद और संपर्क का माध्यम हुआ करती थी। लोग बेसब्री से डाकिये का इंतजार करते थे ताकि उनके प्रियजन का कुछ समाचार मिले। अब टेक्नॉलजी के युग में जब चिट्ठयां संवाद का माध्यम नहीं रह गई हैं, ऐसे में सरकार पोस्टमैन की भूमिका को बदलना चाह रही है। सरकार चाहती है कि अब यह डाक कर्मचारी गांव के लोगों में बैंकिंग सर्विसेज के इस्तेमाल से संबंधित जानकारी दें। उन लोगों को बताया जाएगा कि सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न वित्तीय समावेशी स्कीमों का लाभ कैसे उठाएं। सरकार वित्तीय समावेश की नई रणनीति के तौर पर एक संगठित कार्यक्रम डिवेलप करने पर काम कर रही है। इसके तहत बैंक डाक विभाग की सेवा का इस्तेमाल करने के लिए शुल्क देगा।
डाक विभाग के (बैंकिंग एवं एचआरडी) सदस्य रामानुजन ने बताया, ‘डाक घर को वित्तीय साक्षरता के केंद्र में बदलने की योजना है। हम साप्ताहिक साक्षरता शिविर आयोजित करेंगे और कुछ चुने हुए डाक कर्मचारियों को वित्तीय साक्षरता पर बैंकों द्वारा विकसित कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाएगा।’
भारतीय डाक को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा हाल ही में पेमेंट बैंक लाइसेंस के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी मिली है। अस्थायी तौर पर इसका नाम ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ रखा गया है, शुरू में इसके पास 300 करोड़ रुपये की पूंजी होगी।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार अपने वित्तीय समावेशी कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर वित्तीय साक्षरता पर गौर कर रही है। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, ‘अब जब खाते खुल गए हैं तो हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग मुद्रा योजना के तहत सॉफ्ट लोन समेत हमारी अन्य स्कीमों का लाभ उठाएं।’
अब तक प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 18.86 करोड़ खाते खुल गए हैं जिसमें करीब 25,700 करोड़ रुपये जमा हैं। उक्त अधिकारी ने बताया, ‘इनमें से करीब 40 फीसदी खाते में जीरो बैलेंस है। हम चाहते हैं कि उनमें बैंकिंग की आदत विकसित हो और उनकी क्रेडिट हिस्ट्री बने और अन्य सेवाओं का इस्तेमाल करें।