मॉडल स्कूल में पढ़ाई के लिए जान जोखिम मेें डाल रही छात्राएं

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 कीचडनुमा रास्ता।
कीचडनुमा रास्ता।
इस तरह से उखडी रही है फर्ष।
इस तरह से उखडी रही है फर्ष।

12झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
पेटलावद। जून माह में मप्र सरकार द्वारा बड़े ही जोर शोर से स्कूल चलेे हम अभियान शुरू किया और झाबुआ जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में अगराल स्थित मॉडल स्कूल की तर्ज पर पेटलावद क्षेत्र के ग्राम करडावद में भी इसी सत्र से मॉडल स्कूल का शुभारंभ विधायक एवं कई अधिकारी और कर्मचारियों की उपस्थिति में किया गया। किन्तु मॉडल स्कूल अभी से अव्यवस्थाओं में घिर गई।
डेढ़ माह में बिल्डिंग की दुर्दशा सामने आई-
मॉडल स्कूल की जो बिल्डिंग बनाई गई है उसकी लागत लाखों रूपये बतायी जा रही है। स्कूल भवन की दुर्दशा अभी से सामने दिखायी दे रही है। स्कूल भवन तक पहुंचने के लिए करडावद पेटलावद मार्ग से कोई पक्का रोड नहीं है। पगडंडीनुमा रास्ते से होकर स्कूल तक पंहुचने को शिक्षक और छात्र छात्राएं मजबूर है। स्कूल भवन की फर्श अभी से उखड चुकी है। साथ ही न तो स्कूल भवन के आसपास न ही कोई बाउंड्रीवाल बनी है वहीं छात्रांओं के लिए कोई पुख्ता सुरक्षा के लिए इंजामात भी नहीं किए हैं। हल्की सी बारिश मे आसपास पूरे क्षेत्र में कीचड ही कीचड दिखाई दे रहा है। सरकार के द्वारा लाखों रूपये खर्च कर भवन बनाया गया है लेकिन ठेकेदार की मिलीभगत से घटिया सामग्री के चलते मात्र डेढ माह मे ही भवन अपनी दुदर्शा पर आंसू बहा रहा है।
जान जोखिम में डालकर जा रही पढऩे- अधूरे निर्माण के बाद ही आनन फानन में मॉडल स्कूल तो प्रारंभ करी दिया गया किंतु छात्रावास के अभाव में पेटलावद कन्या छात्रावास की लगभग 50 छात्राएं लगभग 5 किमी दूर की यात्रा कर इस स्कूल में पढऩे जाने को मजबूर है गांधी चौक से लेकर नये बस स्टैंड तक ट्रॉफिक से बचते बचाते टेम्पो और अन्य साधनों से करडावद पंहुचते है और वहा से पैदल पगडंडी कीचडनुमा रास्ते से होकर टैकरी पर स्थित स्कूल पंहुचते है। आने-जाने में लगने वाला खर्च छात्राओं को स्वयं वहन करना पड़ रहा है। जिसके चलते गरीब छात्राओं पर आर्थिक बोझ पढऩे के साथ ही साथ हाइवे मार्ग पर सफर करके पढऩे जाने को मजबूर है। वहीं जिला स्तर के अधिकारी छात्राओं की सुरक्षा के नाम पर छात्रांओं से पांच किमी लंबी यात्राएं करवा रहे है।

मेरे द्वारा खुद जाकर व्यवस्थाएं देखी गयी है किन्तु सुरक्षा की दृष्टि से अभी छात्रांओं को करडावद नहीं रखा जा सकता।
 – शकुंतला डामोर, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग

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