माइनिंग कॉपोरेशन की रॉक फास्फेट खदानों में बदस्तूर जारी है मजदूरों का शोषण

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झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट-
एक तरफ गरीब मजदूरों के आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए और उन्हें समुचित सुविधाए मुहैया करवाने के साथ ही उनके स्वास्थ्य एवं बच्चों की शिक्षा के लिए व्यापक प्रबंधन करने का ढिंढोरा सरकारे पिटती है, तो मजदूरों के भविष्य को लेकर कई कल्याणकारी सुविधाए एवं सेवाओं को मुहैया कराने का दावा करती है वही दूसरी और जिले के एक मात्र औद्यौगिक क्षेत्र की एमपी स्टेट माइनिंग कॉपोरेशन की कचलदरा स्थित खट्टामा केलकुआ स्थित रॉक फास्फेट की खदानों में मजदूरों शोषण बदस्तूर जारी है और इसे देखने वाले जिम्मेदार अधिकारी भी मौन साधे हुए है। दि एमपी स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन लिए मेघनगर रॉक फास्फेट खदान में मानवाधिकार के उल्लंघन की साफ तस्वीर दिखाई देती है। इस रॉक फास्फेट माइंस में हालात यह है कि खनन की गई रॉक फास्फेट को जेसीबी मशीने एवं अन्य साधन उपलब्ध होने के बाद भी बुजुर्ग महिलाओं एवं वृद्धजनों से तगारियों में भर कर माल को ट्रकों में लोड कराने का क्रम थमने का नाम ही नहीं ले रहा है जबकि यह मजदूर सरकारी वेतन पर कार्यरत है किंतु इनसे प्राइवेट कंपनी के लिए काम में लिया जा रहा है। इस मामले में बुजुर्ग महिलाओं की आंखों में तैरते हुए इस बात की गवाही देते है कि बुजुर्गो एवं महिलाओं का ठेकेदार की मिलीभगत के चलते एमपी माइनिंग कार्पोरेशन के जिम्मेदार इस महत्वपूर्ण मामले में संज्ञान नहीं ले रहे है । खदान पर कार्यरत मजदूरों का भी कहना है कि आज तक उनके द्वारा कभी भी ट्रकों में माल लोड करने के लिए इतना अतिरक्त परिश्रम नहीं किया गया है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें बार बार धमकियां दी जाती है कि यदि गाड़ी को लोड नहीं करोंगे तो हाजरी काट दी जाएगी और घेर भेज दिया जाएगा, जबकि इन मजदूर कर्मचारियों  का काम छटनी एतथा माल की शार्टिंग करना है न की कोई प्राइवेट ठेकेदार की गाडी भरना। शासन द्वारा 312 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से माइनिंग कारपोरेशन द्वारा भुगतान किया  जा रहा है ऐसे में मजबूरी में भय के चलते इन माइनिग के मजदूरों से जमकर काम लिया जा रहा है।
नियमों के अनुसार खदान पर मजदूरों के लिये स्वच्छ एवं साफ पेयजल की व्यवस्था तथा उनके विश्राम के समय भोजन आदि करने के लिये साफ स्थान होना चाहिये किन्तु इस खदान में जरा भी सुविधा नही होने के चलते महिला एवं पुरूष श्रमिकों को पीने के पानी के लिए जुगाड़ करना पड़ रही है और खाना भी वे खुले आसमान में नीचे पत्थरों पर बैठ कर खाना खाने को मजबूर है।
हित साधने में जुटे जनप्रतिनिधि-
करोड़ों रुपए के रॉक फास्फेट को खनन करने वाली इस खदान में चल रहे इस प्रकार के मजदूरों के शोषण के बारे मेें जनप्रतिनिधियों एवं सत्ताधारी नेताओं को भी इस बात की जानकारी होने के बाद भी वे अपनी हित साधने के लिए मजदूरों के साथ सतत हो रहे अन्याय एवं शोषण के बारे मे कभी भी मुंह नहीं खोल रहे है। ऐसे में रॉक फास्फेट की खदान में मानवाधिकार के उड़ रहे मखौल को लेकर कई सवालिया निशान खडे हो रहे है और इसे लेकर मजदूरों को उनके रोजी रोटी को लेकर हो रहे शोषण पर कार्रवाई का इंतजार है।
मोबाइल नहीं किया रिसीव-
इस संबंध में माइनिंग कार्पोरेशन के अधिकारी द्विवेदी से उनके मोबाइल नम्बर 9755061328 पर संपर्क करना चाहा तो उन्होने फोन ही रीसिव नही किया पश्चात हमारे संवादददाता मेघनगर स्थित उनके कार्यालय पर गए तो उनसे इस संबंध में चर्चा करना चाही तो उन्होंने मीडिया से किसी भी प्रकार की चर्चा करने से इनकार कर दिया औ कहा कि मेरे उच्च अधिकारियों ने मीडिया से दूरी बनाये रखने के निर्देश दिए हैं। इस बारे में झाबुआ कलेक्टर आशीष सक्सेना से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा पूरा मामला मुझे व्हाट्सएप पर डाल दीजिए तथा मामले में कार्रवाई की बात कही।
जिम्मेदार बोल-
इस बारे में ने कहा कि निगम के कर्मचारी अगर माल लोडिंग कर रहे है तो यह सही नहीं है, जिसने भी रॉक का माल खरीदा है उसे ही वहा से माल लोडिंग करवाना है। अगर ऐसा हो रहा है तो जरुर कार्रवाई की जाएगी आपने इस बारे में जानकारी दी तो में इसे दिखवाता हूं।
– तरुण कुमार राठी, मुख्य महाप्रबंधक भोपाल

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