भावसार के दो साल ; आंकड़ों मे भारी लेकिन विवादों का साया भी

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झाबुआ लाइव के लिए अशोक बलसोरा की पड़ताल-
आखिरकार बीजेपी जिलाध्यक्ष के रुप मे ” दोलत भावसार ” ने दो साल का काय॔काल पूरा कर लिया ; उनके दो साल के काय॔काल को देखें तो भावसार आंकड़ों के लिहाज से तो भारी दिखते है लेकिन अनचाहे विवाद उनके साथ जुडे रहे है । उनके बीजेपी जिलाध्यक्ष रहते जिले की 4 नगरीय निकायों मे से तीन पर बीजेपी जीतने मे कामयाब रही ओर केवल झाबुआ नगर पालिका ही हारी ओर भावसार कुटिलता से उस हार की जिम्मेदारी ” RNB” यानी राजगढ़ नाका बीजेपी पर डालने मे कामयाब रहे । वही उसके पहले बामनिया सहित 1 अन्य ग्राम पंचायत भी बीजेपी जीती थी । इस दोरान संगठन स्तर पर हुई बडी बैठके सफल रही क्योकि पार्टी के अधिकृत & अनुशासित आयोजन थे ।

दो साल मे यह तीन बडे विवादों मे उलझे ओर फिर निकले भावसार
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बीजेपी जिलाध्यक्ष ” दोलत भावसार ” अपने दो साल के जिलाध्यक्ष काय॔काल मे तीन बडे विवादों मे उलझे .. पहला विवाद बीजेपी स्थापना दिवस पर उनका वह भाषण जिसमें उन्होंने कांग्रेस के जरिऐ ” जयस” को निशाने पर लेकर जयस को नक्सली & आतंकवादी संगठन कहाँ .. इस पर उनके आवास का घेराव सहित धरना ; रैली ; ज्ञापनबाजी हुई .. हालांकि यह विवाद भावसार के नंबर प्रदेश स्तर पर इसलिए बढा गया क्योकि संघ & बीजेपी दोनों ” जयस” को मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों मे अपने लिए चुनोती मान रहे है ओर भावसार ने उन पर हमला किया था । इसलिए यह विवाद उनके नंबर ही बडा गया उनके आलाकमान के सामने । दूसरा विवाद विगत पखवाड़े दो आडियो वायरल होने का है एक आडियो तो उनके झाबुआ नगर मंडल अध्यक्ष के साथ आक्रमक संवाद का है ओर वह पार्टी का अंदरुनी मामला मानकर टाला जा सकता है लेकिन दूसरा विवाद खुद उन्हे पुत्र मोह मे फंसा गया । दरअसल झाबुआ शहर के युवा मोर्चा मे अपने अभी अभी युवा हुए पुत्र को पदाधिकारीयों की जिम्मेदारी दे दी जिसके बाद सोशल मीडिया मे उनके राजनीतिक विरोधीयो ने काफी हो हल्ला मचाकर भाजपा को ” भावसार जनता पार्टी ” का दर्जा दे दिया । दरअसल इसके पहले भावसार परिवार के लोगों को वह आधा दर्जन पदों से नवाज चुके है । ओर अब झाबुआ नगर पालिका मे एल्डरमैन पद के लिए भी उनकी कोशिश परिवार के एक सदस्य को एडजस्ट करवाने की है इस तरह की पारिवारिक नियुक्तियां से भावसार से जुडा तीसरा विवाद है जिसमे वायरल आडियो मे भावसार अश्लील भाषा के साथ हाथ पैर तुड़वाने की धमकी देते रिकार्ड हुए .. उस भाषा को लेकर भावसार की आलोचना हुई है दोनों ऑडियो उनके राजनीतिक विरोधीयों द्वारा प्रदेश आलाकमान को भी भिजवायें गये । फिलहाल प्रदेश आलाकमान चुप्पी साधे है दरअसल राजनीतिक समीक्षक यह मानते है कि दोलत भावसार को भी यह बात अच्छी तरह पता है कि जिलाध्यक्ष के रूप मे उन्हे जो वक्त मिला है वह अब उनकी उम्र को देखते हुए दोबारा नहीं मिलेगा शायद इसी लिए वह बेपरवाह होकर अपनी पारी खेल रहे है अब संगठन को तय करना है कि भावसार के नेतृत्व मे वह अगले विधानसभा & लोकसभा मे जाये या कोई ओर चेहरा सामने लाया जाये ! लेकिन हाल फिलहाल प्रदेश आलाकमान ऐसा करें ऐसा लगता नहीं है ।
 
 

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