झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
पेटलावद ब्लास्ट के एक साल बाद भी इलाज के लिए दर दर भटक रहा युवक, तत्कालीन कलेक्टर से सहायता मांगी तो कहा गया कि पेटलावद में मुफ्त में इलाज करवाओं जबकि पेटलावद में कोई सुविधा नहीं है कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ भी नहीं है। आखिर गरीब आदमी अपना इलाज कहां करवाए?
यह है मामला
झोंसर निवासी भेरूसिंग थावरिया कटारा उम्र 34 वर्ष की 12 सितंबर के ब्लास्ट में एक पैर की हड्डी पूरी तरह से टूट गई, तीन माह तक तो सरकार ने इलाज करवाया किन्तु इसके बाद भेरूसिंग को स्वयं के रुपए से इलाज करवाना पडा, पैर में क्रेन डालकर हड्डी को बढ़ाई गई, जिस कारण लगातार खर्चा आता रहा है लगभग 1 साल में 75 हजार रुपए अपने जेब से खर्च करने के बाद आज भी घाव पूरी तरह से नहीं भरा। छोटे-छोटे बच्चें प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे है दो साल से स्कूल फीस भी जमा नहीं की गई। वहीं बच्चों को किताबे लाने के लिए भी पैसे नहीं है, दूसरों से उधार किताब ला कर पढ़ाई कर रहे है, खेत है किन्तु खेत में काम करने वाला कोई नहीं है। तत्कालीन कलेक्टर अरूणा गुप्ता से 18 अगस्त को जनसुनवाई में आवेदन दे कर गुहार लगाई तो उन्होने अजीब से फरमान दिया कि पेटलावद में इलाज करवाए और केस को समाप्त कर दिया, फिर भी हर माह दाहोद जाकर अपने पैर का इलाज करवा रहा भेरू अपनी मुसीबतों से स्वयं ही लड़ रहा है।
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