प्रेमी को कॉल लगाकर बोली प्रेमिका, अगर मेरे पति को मारकर मुझे नहीं ले गये तो मुझे फांसी पर झुलता पाओगे, प्रेमी ने उसके पति को गुजरात से आकर उतार दिया मौत के घाट

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सुनील खेडे @ जोबट

वह 1 अगस्त की सुबह थी। अलीराजपुर के एसपी विपुल श्रीवास्तव सुबह करीब पोनै 6 बजे सोकर उठे ही थे कि उनका मोबाइल पर घंटी बजने लगती है। इतनी सुबह मोबाइल की घंटी हर जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को तत्काल यह सोचने को मजबूर करती है कि कुछ गड़बड़ है कोई घटना घटी है। इन्ही आशंकाओं के बीच एसपी विपुल श्रीवास्तव अपना मोबाइल रिसीव करते है,सामने से आवाज आती है सर मंै जोबट टीआई कैलाश चौहान बोल रहा हूं, सर मेरे थाना क्षैत्र के किला जोबट गांव मे एक खून हो गया है मृतक की पत्नी कह रही है आठ से दस डकैत आये थे ओर उसके पति की हत्या कर 50 हजार नकदी ओर चांदी लेकर फरार हो गये है। मैं मौके पर पहुंच रहा हूं। यह बडी सूचना दी क्योकि आमतौर पर अलीराजपुर जिले मे डकैतियों की घटनाएं ना के बराबर होती है या फिर रंजिश के चलते बदला लेने के लिए होती है।

एसपी विपुल श्रीवास्तव ने टीआई को जरुरी निर्देश दिये और फिर फोरेंसिक टीम ओर एएएसपी बिट्टू सहगल को भी घटनास्थल पर पहुंचने के निर्देश दिये ओर खुद भी तैयारी करने लगे किला जोबट के लिए निकलने की, करीब 7 बजे एसपी विपुल श्रीवास्तव घटनास्थल जाने के लिए अपनी गाड़ी मे बैठ चुके थे और उनकी गाड़ी तेजी से जोबट के रास्ते पर दौड़ रही थी, गाडी मे बैठे एसपी अलीराजपुर विपुल श्रीवास्तव के दिमाग में गाड़ी के पहियों से तेजी से घटनाक्रम घूम रहा था। करीब 30 मिनट के बाद एसपी घटनास्थल पर थे। मौके पर पहुंचने के लिए एसपी विपुल श्रीवास्तव को करीब एक किलोमीटर लंबी एक बेहद संकरे रास्ते से गुजरना पड़ा।

खैर, मौके पर पहुंचते ही एसपी विपुल श्रीवास्तव ने देखा कि एक खाट पर जामसिंह नामक शख्स की लाश पड़ी हुई है जिसकी उम्र करीब 47 साल के करीब है उसकी गर्दन पर धारदार हथियार से वार के निशान थे और नीचे खून पडा हुआ था। एसपी के साथ एक डॉग भी पहुंचा था जो जर्मन शेफर्ड था। डॉग ने अपना काम शुरु कर दिया था और एसपी ने अपना एसपी विपुल श्रीवास्तव ने मृतक की महिला राधाबाई से पूछा कि यह सब कैसै हुआ। राधाबाई ने बताया कि रात करीब 3 बजे के आसपास आठ से दस लोग आये और मेरे पति को मारकर पचास हजार नगदी ओर चांदी लेकर भाग निकले है, जब एसपी ने पूछा कि जब चांदी और रुपये उन्हें मिल गये तो फिर आपके पति को क्यो मारा..? इस पर राधाबाई बोली की मेरे पति ने बोला था कि तुमको देख लूंगा इसलिए मार दिया साहब। इसी बीच एएसपी बिट्टू सहगल ने एसपी विपुल श्रीवास्तव को आकर बताया कि डॉग यहां से बाहर जाकर एक घर जो की मृतक के भाई का है वहां जाकर वापस आ रहा है और मृतक की पत्नी के आसपास घूम रहा है और लंबी लंबी सांसे छोड रहा है। एसपी साहब ने इस पूछताछ के बाद अपने अधिकारियो को कहा कि वे आसपास के लोगों और रिश्तेदारो से पूछे कि क्या किसी को आते ओर भागते देखा है करीब 30 मिनट मे यह साफ हो चुका था कि किसी ने भी किसी को भी भागते नही देखा है, जब एसपी अपनी टीम के साथ जांच और घटनास्थल का मौका मुआयना कर रहे थे तो एक विचित्र घटना घटी। जोबट के कांस्टेबल गजेंद्र अचानक घर के ऊपर ही सामान रखने के बने डागले में चढ़े अब अचानक से मृतक की पत्नी राधाबाई के चेहरे पर हवाइयां उडऩे लगी। इस पर एसपी समझ गये कि कुछ दाल में काला है। एसपी ने एक अन्य आरक्षक रमेश को भी खोजबीन करने का आदेश दिया. एसपी सहित हर कोई कुछ ही देर मे इसलिए चोंक गया। क्योंकि जिस रकम और नकदी को डकैती में जाना ओर जिसकी वजह से जामसिंह का कत्ल होना राधाबाई बता रही थी वह एक पोटली मे पूरी तरह सुरक्षित मिल गई, यहां पर राधाबाई फंस गई ओर उसने एक के बाद बाद नई कहानियां गढ़कर पुलिस को घुमाने की कोशिश शुरु कर दी लेकिन कहते है ना कि पुलिस या कानून के हाथ बहुत लंबे होते है कोई भी शातिर से शातिर अपराधी भी अपराध कर पुलिस के चंगुल से बच नही सकता।पहले राधाबाई ने कहानी गढी कि उसकी बड़ी बेटी अपनी ससुराल से कही अन्य दूसरी जगह चली गयी है और उसके ससुराल वाले धमकी देने आते है ओर उन्होंने ही मरवाया है ण्ण्लेकिन पुलिस जांच मे खुलासा हो गया कि वह परिवार तो लंबे समय से गुजरात में है और मजदूरी कर रहा है उनकी टॉवर लोकेशन भी उनके गुजरात मे होने की पुष्टि कर गई। अब पुलिस को समझ में आ गया था कि इस हत्याकांड में डकैती नही हुई है सिर्फ हत्या हुई है ओर इसमें हाथ राधाबाई का अवश्य है।

अब पुलिस के सामने चुनोती थी कि आखिर राधाबाई से कैसे हकीकत उगलवाई जाए, करीब 30 घंटे बाद पुलिस को एक मोबाइल और एक सिम भी घर से ही बरामद हो गई, जो छिपाकर राधाबाई ने ही रखी थी, उस सिम कॉल की डिटेल व टॉवर लोकेशन ने सारी तस्वीर साफ कर दी, जब इस मोबाइल मे चलने वाली सिम की कॉल डिटेल और टॉवर लोकेशन एसपी ने राधाबाई के सामने रखी और हवा में तीर चलाते हुए बोला कि तुम्हारा भांडा फुट चुका है। क्योंकि राजू पिता रतनसिंह निवासी डूंगरगांव को हमने गिरफ्तार कर लिया और उसने सब कुछ कबूल कर लिया है तब राधाबाई पूरी तरह से टूट गयी ओर अपना जुर्म कबूल करते हुए पुलिस को बताया कि उसने ही अपने आशिक राजू से बोलकर पति जामसिंह को मरवाया है क्योकि वह पति को अपने प्रेम के रास्ते मे कांटा मानती थी। पुलिस ने इसके बाद 3 अगस्त को राधाबाई, 8 अगस्त को दीवान और 10 अगस्त को भलसिंह को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि राधा का प्रेमी आरोपी राजू, मुकेश और कैलाश फरार है। एसपी विपुल श्रीवास्तव ने बताया कि इस वारदात मे कुल 6 आरोपी शामिल थे। पुलिस को राधाबाई ने बताया कि घटना के दिनांक से 2 दिन पहले ही उसने राजू को फोन कर कहा था कि वह उसके बिना नहीं जी सकती। वह उसके पति को मार दे ओर उसे ले जाये वरना उसे फांसी पर टंगा पाएगा। इस पर से राजू वारदात के दो दिन पहले दो मोटरसाइकिलों से अपने चार अन्य दोस्तों को लेकर जोबट पहुंचा था ओर घटना के दिन का इंतजार किया। घटना के दिन शाम को अपने भाई के यहां एक धार्मिक कार्यक्रम मे जब जामसिंह पहुंच गया तभी राधाबाई ने हत्यारे प्रेमी राजू और उसके दोस्त दीवान को घर के भीतर छिपा दिया और तीन आरोपियों को घर के बाहर छिपकर निगाह रखने को कहा और रात करीब ढाई बजे जैसे ही आकर जामसिंह खाट पर लेटा ओर 10 मिनट बाद नींद के आगोश में समां गया वैसे ही घात लगाए बैठे राजू व दीवान ने फालिया के तीन घातक वार से जामसिंह की जीवन लीला समाप्त कर ली। वारदात के बाद राजु ने करीब 1 घंटा लाश के पास गुजारा, एक बीड़ी पी और फिर रवाना हो गया। आरोपियों के रवाना होने के कुछ देर बाद राधाबाई ने डकैती और हत्या की कहानी गढ़ घडिय़ाली आंसू बहाना शुरु कर दिया। कहते है बुरा काम का बुरा नतीजा,लेकिन बडा सवाल यह है कि राधाबाई जो कि खुद 5 बच्चों की मां है तथा जामसिंह की दूसरी पत्नी है तथा खुद राधा की दो बेटियां शादीशुदा है तब भी यह सब क्यो किया? क्या राधा रंगीन मिजाज थी? क्यों उसे अपने आशिक के जरिए पति को रास्ते से हटाना पड़ा।यह सब जानने के लिए आपको हत्या के घटनाक्रम से थोडा पहले लिये चलते है।किला जोबट गांव का रहने वाला था जामसिंह, जामसिंह अच्छी कद काठी का था और उसने आज से करीब 25 साल पहले शादी कर ली थी। मगर उसकी यह पहली शादी 10 साल ही चली और पत्नी से जामसिंह का अलगाव हो गया। परेशान चल रहा जामसिंह उस समय गुजरात चला गया जहां काम के दौरान उसने देखा कि साथ मे काम कर रही एक लड़की उसे लगातार देखकर मुस्करा रही है। एक दो दिन बाद जब यह मुस्कराहट बढ़ी तो अकेलापन झेल रहे जामसिंह के मन मे भी प्रेम के लड्डू फूटने लगे। जामसिंह को समझ में आ गया था कि यह लड़की अपने झाबुआ जिले की ही है ; उस समय जिला झाबुआ ही था, हिम्मत कर के एक दिन जामसिंह ने उस मुस्कराने वाली लड़की का नाम पूछा तो उसने अपना नाम राधा बताया। यह जामसिंह के लिए आगे बढने का सिग्नल था । अगले दिन हिम्मत कर जामसिंह ने राधा को बोल दिया कि वह उसे पसंद करता है जवाब मिला मैं भी तुम्हे पसंद करती हूं। उस दिन के बाद दोनों का प्रेमालाप शुरु हो गया। एक वक्त ऐसा आया जब काम कर दौरान साथ रहने वाले इलाके के लोगों को दोनों के प्रेम संबंधों की भनक लग गइ तो दोनो ने साथ जीने की कसम खाई ओर वहां से भाग गए, बाद मे दोनो परिवारो की रजामंदी से दोनो की शादी करा दी गई। रााधा ओर जाम सिंह की उम्र में करीब 8 साल का अंतर था। धीरे धीरे वक्त गुजरता गया ओर राधा कब 5 बच्चों की मां बन गई और उनमे से दो बेटियों की शादी हो गई, पता ही नही चला। जामसिंह व राधा ज्यादातर गुजरात में ही रहते थे ओर वाडी यानी गुजरात के पटेलों के खलियान मे ही काम करते है। इसी बीच एक दिन जामसिंह जब शाम को गुजरात मे ही अपनी झोपड़ी पर लौटा तो पाया कि राधा घर पर नहीं है काफी तलाशा तो नहीं मिली, बाद मे पता चला कि राधा को किसी ओर से इश्क हो गया है ओर वह उसी के साथ चली गयी है बाद में राधा लौट आई व जामसिंह ने बच्चों के खातिर उसे माफ कर दिया और घर पर रख लिया। सब कुछ धीरे-धीरे ठीक होने लगा था तभी एक दिन गुजरात के अमरेली में वाडी में काम के दौरान जाम सिंह ने घर आकर देखा तो पाया राधाबाई घर पर नहीं है आशंकित ओर चिंतित जामसिंह राधा की खोज मे देर शाम को गांव के आउटर की और निकल पडा, वहां उसने देखा कि एक खेत से कुछ आवाजें आ रही थी उसमे राधा की हंसी की आवाज भी थी, उसने छिपकर देखा तो थोडी देर बाद खेत से राधा निकली और मिनट बाद चांदपुर के डूंगरगांव का रहने वाला राजू निकला जो पास की वाड़ी में काम करता था। इस सीन को देखकर जामसिंह सन्न रह गया और चुपचाप घर पहुंच कर राधाबाई को खूब खरीखोटी सुनाई और अगले ही दिन राधा व दस साल के बच्चे को लेकर अलीराजपुर जिले स्थित किला जोबट अपने घर आ गया। 11 जुलाई को जामसिंह अपनी पत्नी राधाबाई को लेकर घर आ गया था यह सोचकर कि दूर रहने पर शायद राधा राजु को भुल जायेगी ण्ण्मगर हुआ इसका उल्टा ण्ण्राधा को राजु के साथ बिताए अपने अंतरंग पल याद आने लगे ओर वह रातभर करवटे बदलकर रात गुजारा करती थी फिर आई 28 जुलाई जब राधाबाई, राजू से मिलन को लेकर व्याकुल हो गई व उसे मोबाइल काल कर दो टुक कहा कि अगर वह उसे जिंदा देखना चाहता है तो मेरे पति को मारकर मुझे ले जाये वरना वह फांसी लगा लेगी। इस काल के बाद राजु के दिमाग के तार हिल गये उसने गुजरात के अमरेली जिले के पीठाकोटडा गांव थाना भाबरा में काम कर रहे अपने करीबी दोस्तों दीवान, भलसिंह, मुकेश, कैलाश को साथ लिया और जामसिंह की हत्या की योजना बनाई व दो मोटरसाइकिल से पांचों 30 जुलाई को जोबट पहुंच गये और फिर मौका पाकर वारदात को अंजाम देकर निकल भागे, लेकिन अब सभी का भांडा फूट चुका है राधा य दीवान व भलसिंह को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है बाकी साथियों की तलाश है। इस अपराध कथा से साफ है कि राधा ने अपनी कामुकता में कई परिवार बर्बाद कर दिए। पति जाम सिंह राधा का बार बार भरोसा कर मारा गया। खुद राधा का जीवन अब जेल में गुजरेगा व उसके आशिक और उसके साथियों का जीवन भी बर्बाद हो गया। शायद इसलिए ही किसी शायर ने लिखा है  “इश्क कातिल होता है यह इंसान के दिल का ही नहीं दिमाग का भी कत्ल कर देता है।”

कथा पुलिस जांच पर आधारित

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